मालेगांव के सिनेमा हॉल में मनोरंजन के नाम पर ‘मौत का खेल’, याद आया उपहार कांड


मालेगांव के सिनेमा हॉल में मनोरंजन के नाम पर 'मौत का खेल', याद आया उपहार कांड

मनोरंजन के नाम पर मौत का खेल

मालेगांव के मोहन लाल सिनेमा हॉल में टाइगर 3 देखने पहुंचे सलमान के फैंस ने जिस तरह से हुड़दंग मचाया वो बेहद ही खतरनाक था. दिवाली की शाम पर्दे पर एक तरफ सलमान खान का एक्शन सीन चल रहा था, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ पागल फैंस बम-पटाखे फोड़ रहे थे. वीडियो देखकर कहीं से भी नहीं लग रहा था, कि ये सब थियेटर में हो रहा है. अपने फेवरेट एक्टर को देखकर फैंस का डांस करना, सीटी बजाना तो ठीक है, लेकिन इतना बावलापन कि लोग अपने साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डाल दें ये तो बेहद गंभीर मामला है.

जश्न के नाम पर थिएटर के अंदर रॉकेट छोड़े, पटाखे फोड़े गए, लोगों ने सुरक्षा को ताक पर रख दिया. इन लोगों को ना तो कानून का खौफ था और ना ही किसी की जान की परवाह थी. ये घटना देखकर दिल्ली के उपहार सिनेमा कांड की यादें ताजा हो गईं, जिस त्रासदी में 59 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.

26 साल पहले हुआ था उपहार कांड

13 जनवरी 1997 का वो काला दिन दिल्ली वालों के लिए कभी ना भूलने वाला दिन है. उपहार सिनेमा में फिल्म बॉर्डर देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी थी. लोग अपने परिवार के साथ शाम का शो देखने पहुंचे थे, लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से ये शाम उनकी जिंदगी की सबसे खौफनाक शाम बन गई. सिनेमा हॉल के अंदर रखे बेसमेंट के जनरेटर में आग लगी और पूरे हॉल में फैल गई, सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी होने की वजह से लोगों की जान चली गई, जिसमें 23 मासूम बच्चे शामिल थे. कुछ दिन पहले इस घटना पर एक वेब सीरीज भी आई थी, ‘ट्रायल बाई फायर’. उपहार सिनेमा का वो दर्द लोगों के जहन में आज भी जिंदा है. मालेगांव की घटना देखकर फिर वही यादें ताजा हो रही हैं, कुछ लोगों की मस्ती के चक्कर में फिर कोई बड़ा हादसा हो सकता था.

सलमान खान ने फैंस से की अपील

अपने फैंस का ऐसा पागलपन देखकर खुद सलमान खान को आगे बढ़कर लोगों को ऐसी हरकत न करने अपील करनी पड़ी- सलमान ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘मैं टाइगर 3 के दौरान सिनेमाघरों के अंदर आतिशबाजी के बारे में सुन रहा हूं, यह खतरनाक है. आप खुद को और दूसरों को जोखिम में न डालें, फिल्म का आनंद लें, सुरक्षित रहें.

थियेटर के अंदर पटाखे लेकर कैसे गए लोग?

ये घटना इतनी छोटी नहीं है कि इसे नजरअंदाज कर दिया जाए, आखिर इस घटना के लिए जिम्मेदार कौन है? जो लोग पटाखे लेकर अंदर गए, सिनेमा हॉल का मैनेजमेंट, या वहां की सिक्योरिटी. आखिरी इतनी भारी मात्रा में ये लोग पटाखे लेकर अंदर कैसे पहुंचे. आमतौर पर थियेटर में अंदर जाने से पहले सिक्योरिटी चेकिंग होती है, जिसमें माचिस तक अंदर ले जाने की इजाजत नहीं होती, लेकिन यहां तो पटाखों का पूरा का पूरा जखीरा लेकर लोग अंदर पहुंच गए और हुड़दंग मचाने लगे, थियेटर के अंदर पटाखे फोड़े गए. इन लोगों को ना तो अपनी जान की फिक्र थी और ना ही उन लोगों की जो चुपचाप वहां सिर्फ फिल्म देखने गए थे.

राहत की बात रही कि इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई. लेकिन सवाल ये है कि क्या दोबारा उपहार कांड जैसी घटना होने पर ही हम सबक लेंगे. उतनी बड़ी घटना के बाद भी लोगों ने सबक नहीं लिया. मालेगांव के लिए ये कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले शाहरुख खान की फिल्म जवान देखने पहुंचे फैंस ने भी पटाखे फोड़े थे और एक बार फिर वैसी ही घटना हुई. अगर ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया गया तो ये लोग मनोरंजन के नाम पर मौत का खेल खेलते रहेंगे और लोगों की जान खतरे में डालते रहेंगे.


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