मुश्किल में फंसा Nestle! बेबी फूड में चीनी मिलाए जाने की FSSAI करेगा जांच, शेयर भी इतना टूटा


भारत समेत एशियाई देशों में बेबी फूड में शुगर मिलाए जाने की रिपोर्ट को लेकर नेस्‍ले (Nestle) की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. उपभोक्‍ता मामलों के मंत्रालय ने इसकी जांच करने के लिए FSSAI को कहा है.  बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने इस मुद्दे पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को पत्र लिखा है. 

दरअसल, गुरुवार को नेस्‍ले इंडिया (Nestle India) को लेकर स्विस जांच संगठन, पब्लिक आई की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें दावा किया गया है कि नेस्‍ले भारत समेत एशिया के कई देशों में शुगर मिलाता है. जबकि WHO गाइडलाइन के मुताबिक 3 साल के बच्‍चे के फूड में शुगर का इस्‍तेमाल नहीं होना चाहिए, क्‍योंकि इससे स्‍वास्‍थ्‍य पर गंभीर असर हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है अमेरिका और यूरोप में नेस्‍ले बेबी फूड में चीनी नहीं मिलता है, लेकिन भारत में कंपनी Baby Food में चीनी मिलता है. गौरतलब है कि नेस्‍ले इंडिया का शेयर पिछले दो दिन में 4.40 फीसदी टूट चुका है और 2,435.95 रुपये पर कारोबार कर रहा है. 

कितने ग्राम मिलता है चीनी 
अब इसी मामले की जांच के लिए सरकार ने FSSAI को जांच के लिए लेटर लिखा है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नेस्ले ने एक साल और उससे अधिक उम्र के बच्‍चों के लिए मिल्‍क फार्मूला ब्रांड, निडो और सेरेलैक के नमूनों में सुक्रोज या शहद के रूप में चीनी मिलाई है. कंपनी पर आरोप है कि वह भारत में बेचे जाने वाले नेस्ले सेरेलैक बेबी अनाज में हर सर्विंग (कटोरी) 2.7 ग्राम चीनी मिलाती है, जबकि जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम जैसे अन्य देशों में चीनी नहीं मिलाई जाती है. 

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कैसे हुआ इसका खुलासा? 
यह खुलासा तब हुआ जब स्विस संगठन पब्लिक आई ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले बेबी फूड प्रोडक्‍ट्स के नमूने विश्लेषण के लिए बेल्जियम के लैब में भेजे. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत 2022 के दौरान कंपनी की बिक्री सबसे ज्‍यादा 250 मिलियन डॉलर से ज्‍यादा हुई थी. 

नेस्‍ले ने क्‍या कहा? 
बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, नेस्‍ले इंडिया के प्रवक्‍ता ने कहा कि हम आपको आश्‍वस्‍त करना चाहेंगे कि हमारे बेबी फूड प्रोडक्‍ट्स में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, लौह जैसी पोषण संबंधी चीजें देते हैं. हम अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं और न ही करेंगे. प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि एक्‍स्‍ट्रा चीनी में कमी नेस्‍ले इंडिया की प्राथमिकता है. पिछले पांच साल में हमने पहले ही प्रकार के आधार पर एक्‍स्‍ट्रा चीनी में 30 प्रतिशत तक की कमी कर दी है. हम नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं और पोषण, गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना, अतिरिक्त चीनी को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार करते हैं. 


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