मूवी रिव्‍यू: मनोरंजन तो करती है, पर तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया में खलती है लॉजिक की कमी


इंसानी दुनिया में रोबोट की उपयोगिता पर बरसों से प्रयोग चल रहे हैं। ताजा-तरीन AI का मुद्दा भी खूब गर्माया हुआ है कि क्या यह कृत्रिम इंटेलिजेंस मानव क्षमताओं की जगह लेकर इंसान को नकारा बना देगा? ऐसे में निर्देशक जोड़ी अमित जोशी और आराधना शाह एक रोबोट और इंसान की प्रेम कहानी के साथ आए हैं। यह जोड़ी ये सवाल उठाती है कि हर तरह से परफेक्ट होते हुए भी क्या एक रोबोट आम जिंदगी में इंसान की जगह ले सकती है? इस मुद्दे पर बॉलीवुड हो या हॉलीवुड अब तक रजनीकांत, ‘रोबोट’, ‘लव स्टोरी 2050’, ‘हर’, ‘एक्स मशीन’ जैसी कई फिल्में बन चुकी हैं। निर्देशक की यह जोड़ी कहानी में लव, रोमांस, ड्रामा, नाच-गाना सभी कुछ जोड़ती है, बस लॉजिक की कमी रह जाती है।

‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ की कहानी

कहानी शुरू होती है रोबोटिक्स इंजीनियर आर्यन (शाहिद कपूर) के लिए लड़की ढूंढने के साथ। आर्यन एक भले-पूरे परिवार का लड़का है और उसकी मां ही नहीं, बल्कि उसकी पूरी फैमिली चाहती है कि वो शादी कर घर बसा ले। मगर आर्यन को कोई लड़की पसंद नहीं आती। इसी बीच उसे उसकी मौसी उर्मिला (डिंपल कपाड़िया) अमेरिका में एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में बुलाती है। रोबोटिक्स कंपनी की मालकिन उर्मिला खुद भी कई साल से रोबोट्स पर तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट्स कर रही है और उसकी कोशिश है कि वह इंसानी दुनिया को एक ऐसा परफेक्ट रोबोट दे सके, जो इंसान को मात दे। वह आर्यन की देखभाल के लिए सिफ्रा (कृति सेनन) नाम की रोबोट को नियुक्त करती है।
सिफ्रा की तमाम खूबियों को देखकर आर्यन उससे प्यार करने लगता है। मगर कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब उसे पता चलता है कि सिफ्रा एक रोबोट है, इसके बावजूद वह अपने मन में पनपे जज्बातों को रोक नहीं पाता। वह किसी तरह अपनी मौसी को इस बात के लिए राजी कर लेता है कि वह इस खूबसूरत रोबोट को मानवीय परिवेश में टेस्ट करने के लिए इंडिया भेजे। असल में आर्यन मन बना चुका है कि वह सिफ्रा से शादी करेगा। उसने सिफ्रा की असल पहचान जाहिर किए बगैर उसे अपने घरवालों से मिलवा भी दिया है। लेकिन क्या आर्यन के घरवालों को पता चल पाएगा कि सिफ्रा रोबोट है? क्या उनकी शादी हो पाएगी? इन तमाम सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने पर मिलेंगे।

‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ का ट्रेलर


‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ मूवी रिव्‍यू

निर्देशक द्वय अमित जोशी और आराधना शाह आज बहस का मुद्दा बने AI के दौर में एक सामयिक मुद्दे के साथ पेश होते हैं। प्रोफेशनल लाइफ में जब AI खतरा बनता जा रहा है, तो ऐसे में इश्क-मोहब्बत और घर बसाने के लिए इंसान किसी जीती-जागती लड़की के बजाय अगर रोबोट का ऑप्शन आजमाए तो क्या हो? निर्देशक जोड़ी ने इसे फैमिली एंटरटेनर के साथ-साथ रोम-कॉम बनाने की पूरी कोशिश की है, जिसमें वे सफल भी रहते हैं, मगर रोबोट को पारिवारिक सेटअप में स्थापित करने में कमी रह जाती है। कहानी को डेवलप होने में थोड़ा समय लगता है। मगर फिर कहानी में कई मनोरंजक सीक्वेंस जुड़ जाते हैं।

यह फिल्म कई हिस्सों में हंसाती और मनोरंजन भी करती है, मगर अंत तक आते-आते प्रेडिक्टिबल हो जाती है। फिल्म का स्क्रीन प्ले कसा जा सकता था। क्लाइमेक्स बहुत जल्दबाजी में खत्म किया हुआ महसूस होता है। फिल्‍म की राइटिंग पर मेहनत की गई होती, तो यह एक कमाल की मूवी बन सकती थी। गीत -संगीत की बात करें, तो फिल्म के, ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’, ‘अंखियां गुलाब’, ‘लाल -पीली अंखियां’ जैसे तमाम गाने हिट हैं और इन गानों पर शाहिद और कृति को नाचते देखना मजेदार है।

अभिनय की बात करें, तो पर्दे पर शाहिद कपूर और कृति सेनन की जोड़ी काफी फ्रेश लगी है। एक लंबे समय बाद ग्रे और इंटेंस भूमिकाओं से हटकर शाहिद को रोमांटिक स्पेस में देखना उनके फैंस को जरूर भाएगा। उन्होंने अपनी भूमिका को अपने विशिष्ट अंदाज में जिया है। कृति परदे पर निहायत खूबसूरत लगी हैं। उन्होंने रोबोट के किरदार को बहुत ही खूबसूरती से अंजाम दिया है। पर्दे पर दोनों की केमेस्ट्री खूब जमी है। धर्मेंद्र और डिंपल कापड़िया ने अपने रोल्स के साथ न्याय किया है। सहयोगी कास्ट में राकेश बेदी, ग्रुषा कपूर, माही राज जैन, राजेश कुमार, आशीष वर्मा आदि जैसे कलाकारों ने अच्छा साथ दिया है।

क्यों देखें- शाहिद-कृति के फैंस और रोम-कॉम के शौकीनों के लिए यह वन टाइम वॉच हो सकती है।


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