मोहम्मद शमी, सिराज और बुमराह क्या भारत के बेस्ट पेस अटैक हैं?


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  • Author, नितिन श्रीवास्तव
  • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, कोलकाता से
  • 4 नवंबर 2023

मोहम्मद शमी: तीन मैच, 14 विकट, दो मैचों में 5-5 विकेट. एकदिवसीय वर्ल्ड कप के इतिहास में 45 विकटों के साथ ज़हीर खान के 44 विकेट का रिकार्ड तोड़ा.

जसप्रीत बुमराह: सात मैच, 15 विकेट और हर मैच में रन देने का औसत महज़ 3.72.

मोहम्मद सिराज: सात मैचों में 9 विकेट.

वर्ल्ड कप 2023 में अपने ख़ौफ़ को लगातार बढ़ा रही ये भारत की तेज़ गेंदबाज़ तिकड़ी है, जिसका लोहा न सिर्फ़ मौजूदा प्लेयर्स बल्कि पूर्व महान खिलाड़ी भी मान रहे हैं.

अब कमाल की बात ये है कि इसमें अब तक के सबसे सफल रहे मोहम्मद शमी को सिर्फ़ तीन मैचों में ही खेलने का मौक़ा मिला है. दूसरी कमाल की बात ये कि मोहम्मद शमी गेंदबाज़ी करने तीसरे नंबर पर आते हैं यानी फ़र्स्ट चेंज के रूप में.

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने बीबीसी से कहा, “क्रीज़ पर उस बल्लेबाज़ के बारे में सोचिए जो अभी तक एक एंड से बुमराह की बुलेट गेंदों को खेल रहा था और दूसरी तरफ़ से सिराज की रफ़्तार को. अब उसे शमी अपनी तरफ़ दौड़ता हुआ मिलता है.”

उन्होंने कहा, “बतौर कप्तान अगर मेरे पास ये विकल्प है तो मैं किसी भी शानदार बैटिंग लाइनअप को मानसिक तौर पर लगातार दबाव में रखूँगा और भारत की अब तक की जीतों में यही सबसे बड़ा योगदान रहा है.”

बेस्ट पेस अटैक?

जसप्रीत बुमराह

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पिछले एक साल से ये बहस तेज होती गई है कि क्या अपनी मज़बूत बल्लेबाज़ी के लिए ऐतिहासिक तौर पर जाने जाने वाली भारतीय टीम अब तेज़ गेंदबाज़ी के बल पर मैच के बाद मैच जीत रही है.

गुरुवार को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में जिस तरह से शमी, बुमराह और सिराज की तिकड़ी ने श्रीलंका की पारी को ध्वस्त किया उससे अब इस बहस को ज़्यादा मज़बूती मिल चुकी है कि ये पेस बॉलिंग अटैक अब तक के सबसे टॉप का तो है ही.

यानी अगर सिर्फ़ इसी विश्व कप की बात करें तो इन तीनों ने मिलकर सात मैचों में 38 विकट लेते हुए भारत की सेमीफ़ाइनल एंट्री में एक अहम भूमिका निभाई है.

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन मानते हैं कि, “मुझे नहीं लगता कि भारत का पेस अटैक इस तिकड़ी से ज़्यादा बेहतर कम से कम मैंने देखा हो.”

उन्होंने आगे कहा, “मेरे करियर के दौरान जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद अच्छे गेंदबाज़ थे और ज़हीर खान तो निश्चित ही बेहतरीन थे. लेकिन फ़िलहाल शमी, बुमराह और सिराज एक साथ बहुत शानदार गेंदबाज़ी कर रहे हैं और दो अच्छे स्पिनर्स के बैकअप से भारत की ऑल राउंड गेंदबाज़ी मैच विनर साबित हो रही है.”

बल्लेबाज़ों की दुविधा

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विपक्षी बल्लेबाज़ों को इस भारतीय पेस अटैक से दो स्तर पर मुश्किलें आ रही हैं.

पहली ये कि ये तीनों 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पर गेंद फेंक रहे हैं और दूसरी ये कि फ़्लैट पिचों पर भी इन तीनों को विकेट के दोनों ओर स्विंग मिल रहा है. ऐतिहासिक तौर पर भारतीय गेंदबाज़ी इन दो चीजों के लिए ख़ौफ़नाक तो नहीं ही समझी जाती थी लेकिन अब इसका डर दूसरे खेमों में दिखने लगा है.

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और अब के महान तेज गेंदबाज़ों में से एक वसीम अक़रम ने ए स्पोर्ट्स टीवी शो में बात करते हुए भारत के तेज गेंदबाज़ों की ख़ासी तारीफ़ करते हुए कहा, “उनकी सफलता का राज़ यही है कि उन्होंने गेंदों की सीम पर अपनी पकड़ बेहतरीन कर ली है.”

‘स्विंग के सुल्तान’ कहे जाने वाले अक़रम ने बताया, “पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से बहस चल रही है कि भारतीय गेंदबाज़ों के अलावा दूसरे गेंदबाज़ गेंद स्विंग क्यों नहीं करा पा रहे. पाकिस्तान में किसी ने गेंदों से छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया है. मैं इस बहस को बेबुनियाद मानता हूँ. ये क्यों नहीं हो सकता कि इन गेंदबाज़ों ने अपने गेम पर और ज़्यादा मेहनत की है और समय के साथ ज़्यादा बेहतर हुए हैं. मझे लगता है उनकी तारीफ़ करनी चाहिए.”

उसी बहस में हिस्सा लेते हुए पूर्व पाकिस्तानी कप्तान मिसबाह-उल-हक़ ने जोड़ा, “तीनों गेंदबाज़ों ने अपनी कलाई और सीम पर उँगलियों की पकड़ पर महारत सी हासिल कर ली है. वे जब कलाइयों से गेंद रिलीज़ करते हैं तो वो बिलकुल स्लो मोशन में जाती दिखती है लेकिन बेहद घातक होती हैं.”

पहले और अब में फ़र्क़

मोहम्मद सिराज

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ऐसा कहना ग़लत होगा कि भारत में पहले टॉप क्लास पेस गेंदबाज़ नहीं रहे हैं. अपने करियर के पीक पर कपिल देव गेंद को ज़बरदस्त स्विंग कराते थे. ज़हीर खान, श्रीनाथ और वेंकटेश प्रासाद की बात हम कर ही चुके हैं.

इरफ़ान पठान, अजीत अगरकर, ईशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, श्रीसंत, आशीष नेहरा और उमेश यादव के अलावा भी टीम में अच्छे तेज गेंदबाज़ रहे हैं.

हालाँकि भारतीय टीम में बोलबाला स्पिनर्स और मीडियम पेसर्स का ज़्यादा रहा है लेकिन फ़िलहाल ये सिलसिला उलट सा गया है क्योंकि प्रमुख भूमिका में तेज गेंदबाज़ आ गए हैं, ख़ासतौर से बुमराह, शमी और सिराज.

साथ ही अब भारतीय तेज गेंदबाज़ी डिफ़ेंसिव नहीं दिखती यानी विपक्षी टीम को रन बनाने से रोकना सबसे पहला गोल नहीं बल्कि प्राथमिकता विकट लेने की है, जल्द से जल्द.

वरिष्ठ क्रिकेट विश्लेषक आनंद वासु मानते हैं, “भले ही ये तीनों इन भारतीय पिचों पर खेलते हुए बड़े हुए हैं लेकिन अब ये सिर्फ़ पिच के भरोसे नहीं रहते.”

उन्होंने कहा, “अभी तक ये तीनों भारतीय तेज गेंदबाज़ सफल इसलिए हुए हैं क्योंकि ये गेंद को स्टम्प्स पर ठीक जगह डाल रहे हैं जिससे बल्लेबाज़ उसे अपने शरीर के क़रीब खेलने पर मजबूर हो रहे हैं. ज़ाहिर है, आउट होने का रिस्क भी तभी बढ़ रहा है और वे अपने विकेट भी अकसर गंवा रहे हैं.”


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