धीरज कुमार/किशनगंज. किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ टेक्निकल खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. वहीं, किशनगंज के फुलवारी भूवननगर दो नौजवान संजय सिंह और मनीष ठाकुर ने इंटीग्रेटेड फॉर्मिग सिस्टम के तहत खेती की शुरूआत की है. इंट्रीग्रेटेड फार्मिंग खेती जिसे समेकित कृषि प्रणाली भी कहते हैं. जिसमें एक साथ कई प्रकार की खेती की जाती है. जिसमें खेती के साथ-साथ रेस्टोरेंट भी चला रहे हैं. जो कि किशनगंज शहर के समीप फूलवारी भूवननगर में हैं. वहीं, ये किशनगंज समेत सीमांचल का पहला फूड विलेज एग्रो टूरिज्म है. जिसमें शुद्ध देसी तरीके से खेती, खाना और फार्मिंग की जाती है.
फूड विलेज एग्रो टूरिज्म एक ऐसी फार्मिंग या खेती है, जिसमें खेती के साथ-साथ मछली पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, ऑर्गेनिक वेजिटेबल, ग्रीन जोन है. इसके साथ रेस्टोरेंट है. जिसमें शुद्ध मिट्टी के बर्तन में खाना तैयार और सर्व किया जाता है. जिसमें वेजीटेरियन खाना 100 रुपये और नॉनवेज खाना 150 रुपये थाली है. जिसमें दो पीस मछली/मीट मिलता है. मिट्टी के बर्तन में खाना और पक्षियों की चहचहाहट के बीच देसी फीलिंग के साथ खाना खाने का आनंद ही कुछ अलग है.
लतागोरी घूमने के दौरान आया था आइडिया
संजय सिंह और मनीष ठाकुर ने बताया कि आज से 2 साल पहले लतागोरी घूमने गये थे, उस क्रम में फारेस्ट के अंदर एक प्राकृतिक रेस्टोरेंट खोलने का आइडिया आया. फिर जाकर पिछले साल इस फूड विलेज एग्रो टूरिज्म की शुरुआत हुई. वहीं, आगे मनीष ने बताया फूड विलेज एग्रो टूरिज्म खोलने का उद्देश्य एक ही है कि शुद्ध ख़ाना और स्वच्छ माहौल दे सकें. यहां पर खाना खाते समय में ऐसा फिल आयेगा जैसे कि प्रकृति की गोद में बैठे हों. प्योर देसी खाना वो भी देसी स्टाइल में. प्योर मिट्टी की बर्तन में तैयार होता है जो कि काफ़ी दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. वहीं, रविवार को अत्यधिक लोग अपने परिवार के साथ यहां घूमने आते हैं जो कि शहर के फूलवारी भूवननगर में स्थित है.
सीमांचल का पहला एग्रो टूरिज्म फूड रेस्टोरेंट
किशनगंज के फूलवारी भूवननगर में स्थित फूड विलेज एग्रो टूरिज्म सीमांचल का पहला एग्रो टूरिज्म फूड रेस्टोरेंट है. जहां प्योर देसी खाना मिलता है, वो एक दम तरोताजा. जो कि सब सामने में ही तैयार किया जाता है. मिट्टी के बर्तन में खाना बनता है और मिट्टी के बर्तन में परोसा भी जाता है. इस फूड विलेज एग्रो टूरिज्म रेस्टोरेंट में खाना पकाने से लेकर खाने तक सभी ए टू जेड मिट्टी का बर्तन उपयोग किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 25, 2023, 14:05 IST