नई दिल्ली: 1979 में जब रूस ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो लाखों लोगों ने पाकिस्तान पलायन किया, उन्होंने शरणार्थी शिविरों में क्रिकेट खेला और वहीं सीखा। उस समय अफगानिस्तान के पास नेशनल टीम भी नहीं थी। ये लोग जब अफगानिस्तान लौटे तो क्रिकेट उनके साथ आया। आज अफगानिस्तान ने विश्व कप 2023 का सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए रविवार को अरूण जेटली स्टेडियम पर मौजूदा चैंपियन इंग्लैंड को 64 रन से हरा दिया। ये जीत करीब चार दशक तक युद्ध की त्रासदी झेलने वाले अफगानियों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम करेगी।
IPL को मिलना चाहिए जीत का क्रेडिट
इंटरनेशनल क्रिकेट में अफगानिस्तान के इस सफर का श्रेय काफी हद तक भारत और आईपीएल दोनों को जाता है। भारत अफगानिस्तान का दूसरा घर रहा है। अपने देश में सुविधाओं के अभाव में अफगानिस्तान टीम ने भारत (ग्रेटर नोएडा और देहरादून) को ही अपना घरेलू मैदान बनाया। अफगानिस्तान के खिलाड़ी आईपीएल में खेलते हैं, जिससे उन्हें अनुभव मिल रहा है और अफगानिस्तान में युवा क्रिकेटरों को उम्मीद की किरण भी मिलती है। राशिद खान, मुजीब-उर-रहमान, मोहम्मद नबी जैसे क्रिकेटर आईपीएल में अपनी-अपनी टीम के स्टार प्लेयर्स हैं।
अब पाकिस्तान की बारी
इससे पहले कभी अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हराया नहीं है और विश्व कप में यह अफगानिस्तान की दूसरी ही जीत है। इससे टीम का मनोबल भी बढेगा क्योंकि अफगानिस्तान को अभी वर्ल्ड कप में छह मैच और खेलने हैं। अब 23 अक्टूबर को पाकिस्तान से सामना है और अफगान टीम के हौसले बुलंद होंगे। हाल ही में अफगानिस्तान ने एशियाई खेलों की टी-20 प्रतियोगिता के दूसरे सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हराकर फाइनल में एंट्री मारी थी।
नई इबारत गढ़ेगी यह जीत
अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को आईसीसी और बाकी देशों से और सहयोग की जरूरत है। अफगानिस्तान के पास क्रिकेट का बुनियादी ढांचा नहीं है। एक ही विश्व स्तरीय मैदान काबुल में है, लेकिन प्रतिभा की कमी नहीं है। अफगानिस्तान में क्रिकेट का क्रेज है और देश में दूर दराज के इलाकों में भी टीवी के आगे नजरें गड़ाए लोग टीम को खेलते-देखते हैं। आज जब अफगानिस्तान ने इंग्लैंड को हरा दिया तो त्योहार जैसा माहौल होगा। उम्मीद है कि यह जीत एक नई इबारत गढ़ेगी।