रश्मिका मंदाना के फेक वीडियो ने मचाया बवाल,और हाईलाइट हुई AI की Deepfake तकनीक, आखिर क्या है ये ?


मनोरंजन डेस्क- एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना बहुत जल्द वो फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर के साथ काम करते हुए दिखाई देंगी. लेकिन इस वक्त वो जिस चीज को लेकर काफी ज्यादा चर्चा में हैं. वो कोई फिल्म नहीं,बल्कि उनका एक फेक वीडियो हैं जो सोशल मीडिया पर हर तरफ खूब वायरल हैं.अपने Deepfake वीडियो को लेकर रश्मिका मंदाना काफी ज्यादा चर्चा में है.

रश्मिका मंदाना के साथ बिग बी अमिताभ बच्चन ने भी इस फेक वीडियो को लेकर दुख जताया है. और इसपर एक्शन लेने की मांग की है. रश्मिका मंदाना के फैंस भी उनके स्पोर्ट में आ गए है.और मामले में कानूनी कार्यवाही करने की मांग कर रहे है. वायरल वीडियो में लिफ्ट में जाती हुई महिला का चेहरा रश्मिका मंदाना जैसा लग रहा है.ये कारनामा AI के डीपफेक टेक्नोलॉजी के जरिए किया गया है. लेकिन इस तरीका का AI का खेल कोई नया नहीं है. इससे पहले भी इस तरीके की चीजों का इस्तेमाल फिल्मों के कई सीन में किया जा रहा है.

लेकिन AI के Deepfake वीडियो को बनाने का तरीका क्या हैं और कैसे इसकी पहचान होती है. हम आपको बताते हैं…

इस वायरल वीडियो की पहचान एक फैक्ट चैक करने वाले एक शख्स ने की. और पता चला कि वीडियो में रश्मिका मंदाना नहीं बल्कि कोई और हैं.

Deepfake…AI की एक ऐसी तकनीक हैं. जिसके जरिए वीडियो,ऑडियो की ओरिजनलिटी में हेराफेरी की जाती है. टेक्नोलॉजी की मदद से फोटो और वीडियो में बदलाव किए जाते हैं. किसी और का भी चेहरा लगया जा सकता है. मतलब ये समझिए की किसी की भी फेक वीडियो बनाई जा सकती है. जो देखने में बिल्कुल असली लगती हैं पर होती हैं फेक.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,इसका चलन साल 2017 में शुरु हुआ था.कहा जा रहा है कि एक जगह पर अशलील वीडियो में चेहरे बदलने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था. बाद में इस एजेंसी को बंद कर दिया गया था.

Deepfake बेहद की टफ प्रोसेस हैं. इसके लिए कंप्यूटर भी उसी लेवल का होना चाहिए. आप कंप्यूटर सिस्टम इस तरीके की चीजों को कर नहीं पाएंगे. Deepfake कंटेंट दो एल्गोरिदम का उपयोग करके बनाई जाती है, जो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करती है. एक को डिकोडर कहते हैं तो दूसरे को एनकोडर.

कहां होता हैं इसका इस्तेमाल?

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत समय पहले अशलील कंटेंट बनाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल होता था.कलाकारों के चेहरों को बदलकर इस तरीके की साइटों पर डाला जाता था.

एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में ऑनलाइन पाए गए डीपफेक वीडियो में 96 प्रतिशत अश्लील कंटेंट था.इसके अलावा इसका इस्तेमाल मनोरंजन के लिए भी किया जाता है. इस तरीके की वीडियोज का मकसद देखनेवालों को ये यकीन दिलाना होता है.पर ऐसा हुआ नहीं.


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