राज्य के आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभावान खिलाड़ियों को मेनू से इतर घटिया क्वालिटी का भोजन परोसा जा रहा है। इस सत्य पर से पर्दा 30 नवंबर को दुमका के कुमार दुधानी स्थित तीरंदाजी और दुमका स्थित फुटबॉल प्रशिक्षण केंद्र पर फूड इंस्पेक्टर के छापे के बाद उठ गया है। छापे के दौरान मेनू से इतर भोजन परोसे जाने और दोयम दर्जे के अनाज, मसाले और फल खिलाड़ियों को दिए जाने की पुष्टि हो गई। अनाज और मसाला की क्वालिटी सही नहीं थी और उसे खुले में रखा गया था। साफ सफाई और हाइजीन का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा था। कैटरर को जांच रिपोर्ट के आधार पर फूड इंस्पेक्टर की ओर से कैटरर को शो कॉज भी किया गया था। कैटरर ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए भविष्य में गलती नहीं दोहराने का भरोसा दिलाया है।
किसने क्या कहा
“हमारी टीम ने DSO के प्रतिवेदन पर जांच की। जांच में कई खामियां पाई गईं और उसकी रिपोर्ट DSO को सौंप दी गई है। अब नियमित अंतराल पर जांच सुनिश्चित की जाएगी” अमित कुमार राम, फूड इंस्पेक्टर, दुमका “मामला मेरे संज्ञान में आया है, नियमनुसार कार्रवाई की जाएगी और सुनिश्चित किया जाएगा कि खिलाड़ियों को मेनू के अनुसार पौष्टिक आहार मिले” तूफान कुमार पोद्दार, DSO, दुमका |
नए मेनू व रेट पर वर्क ऑर्डर मिलने के बावजूद खिलाड़ियों को परोसा जा रहा था पुराना रेट का खाना
जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि कैटरर मेसर्स गौरी देवी को 24 नवंबर को ही नए रेट व मेनू पर खाना खिलाने का वर्क ऑर्डर दिया गया था। इसके बावजूद पुराने मेनू से मिलता जुलता खाना परोसा जा रहा था। यही नहीं टेंडर की शर्तों के अनुसार पानी पीने के लिए ना तो एक्वागार्ड की व्यवस्था की गई और ना ही प्रॉपर ड्रेस में तीन कुकिंग स्टाफ भी नजर नहीं आए। पता हो कि दुमका में पहले 175 रुपए प्रति खिलाड़ी (GST समेत) की दर से भोजन उपलब्ध कराया जाता था अब 315 रुपए प्रति खिलाड़ी (GST अतिरिक्त) की दर से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
नियमतः वेंडर पर लगना चाहिए आर्थिक दंड
टेंडर की शर्तों के अनुसार घटिया अनाज, मसाले व फल पाए जाने पर कैटरर पर आर्थिक दंड का भी प्रावधान है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार कैटरर पर किसी भी तरह का आर्थिक दंड नहीं लगाया गया है।
दुमका के आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों में भोजन का जिम्मा वर्षों से एक ही “परिवार “को
दुमका में जब से आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना हुए है तब से कैटरर का काम “गुप्ता परिवार” के ही जिम्मे रहा है। बारी बारी से मेसर्स अवधेश कुमार गुप्ता (पति), मेसर्स गौरी देवी (पत्नी) और मेसर्स मोहित कुमार गुप्ता (पुत्र) के नाम पर ही काम एलॉट होता रहा।
खेल निदेशक ने जिस वेंडर पर दंडात्मक कार्रवाई का दिया था निर्देश, उसे ही किया गया पुरस्कृत
खेल निदेशक सुशांत गौरव ने जिस कैटरर मेसर्स गौरी देवी पर दंडात्मक कार्रवाई के लिए 26 सितंबर को ज्ञापांक 534 द्वारा उपायुक्त को पत्र लिखा गया था। उस कैटरर पर कार्रवाई तो नही हुई अलबत्ता उसे ही नए टेंडर के आधार पर 24 नवंबर को काम एलॉट कर दिया गया।
अन्य जिलों के आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों का भी हाल बेहाल
दुमका के अलावा भी ज्यादातर आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों में खिलाड़ियों को मिलनेवाले भोजन का भी यही हाल है। खेल निदेशालय ने SAI और डाइट विशेषज्ञों के साथ मिलकर खिलाड़ियों के लिए पौष्टिक आहार का नया मेनू और 350 रुपए का रेट तय किया। इसके बाद आवासीय सेंटरों वाले जिलों को टेंडर करने का निर्देश दिया गया। किसी जिले में 285 रुपए की दर पर टेंडर हुआ तो कहीं 315 रुपए पर। जब 350 का काम 285 रुपए की दर पर होगा तो क्वालिटी की आशा बेमानी है।
निदेशालय ने मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं की
निदेशालय ने नया मेनू और रेट तो तय कर दिया लेकिन खिलाड़ियों तक ये मेनू पहुंच रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए कोई व्यवस्था की ही नहीं। बिल्ली (DSO) के जिम्मे ही मछली (खिलाड़ियों का भोजन) की रखवाली का जिम्मा दे दिया। तकनीक के युग में व्हाट्सएप ग्रुप में ही रोजाना भोजन करते हुए खिलाड़ियों के रियल टाइम फोटो मंगाया जा सकता है लेकिन ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है।
…तो सरकार अपना प्रशिक्षण केंद्र हमारे स्कूल से हटा ले
रांची से सटे एक जिले में टेंडर की प्रक्रिया इसलिए लटकी हुई है कि जिस स्कूल में आवासीय सेंटर चल रहा है वहां के प्राचार्य ने साफ साफ कह दिया है कि अगर खिलाड़ियों का भोजन टेंडर के जरिए किसी तीसरे पार्टी से उपलब्ध कराया जाएगा तो सरकार अपना सेंटर हमारे स्कूल से उठा ले। दरअसल स्कूल आवासीय है और वहां खेल प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे बच्चों के अलावा भी अन्य बच्चे रहते हैं। अब बच्चों के बीच दो तरह का भोजन दिया जाएगा तो प्राचार्य के लिए स्थिति विकट हो सकती है। वो अभिभावकों को क्या जवाब देंगे। इसलिए प्राचार्य ने ऐसा स्टैंड लिया है।