6 घंटे पहलेलेखक: मृत्युंजय
- कॉपी लिंक
दिल की भावनाओं के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे पेट की भी कुछ भावनाएं होती हैं, जिसे ‘गट फीलिंग’ कहते हैं। अनहेल्दी खाने से पेट की भावनाएं आहत भी हो सकती हैं और इसका सीधा असर हमारे मूड और रिश्तों पर पड़ता है।
जी हां, ये कोई रूमानी बात नहीं है। साइंस जर्नल ‘ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्यूनिटी’ में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक इंसानी मूड और खाने का सीधा संबंध है।
इस रिसर्च के मुताबिक अगर गट फीलिंग अच्छी हो तो स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन दूर रहते हैं। इस तरह से खुद के साथ और दुनिया के साथ रिश्ता मधुर बन सकता है।
ग्राफिक-1
पेट ह्यूमन बॉडी में सेकेंड माइंड की तरह है। सिर्फ गट में ही 60 करोड़ से ज्यादा न्यूरॉन्स होते हैं। ऐसे में जो कुछ भी हम खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे दिमाग पर पड़ता है।
सोर्स- ‘ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्यूनिटी’, साइंस जर्नल
दूसरा दिमाग है पेट, इसे खुश रखने से आएंगी जीवन में खुशियां
‘ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्यूनिटी’ की रिसर्च के मुताबिक दिमाग के अलावा पेट में भी बड़ी संख्या में न्यूरॉन्स मौजूद होते हैं। ये न्यूरॉन्स दिमाग तक सूचना लाने, ले जाने का काम करते हैं।
पेट में 60-70 करोड़ न्यूरॉन्स होने की वजह से पेट सूचनाओं के आदान-प्रदान में काफी अहम हो जाता है। पेट की स्थिति कैसी है, हर पल यह संदेश दिमाग को मिलता रहता है। जिसकी वजह से मूड सीधे-सीधे प्रभावित होता है।
ग्राफिक-2
टेस्टी और हेल्दी फूड, जो मन को रखें खुश
- फर्मेंटेड फूड
- दही और अन्य मिल्क प्रोडक्ट
- डार्क चॉकलेट
- सूखे मेवे
- बेरी
- टमाटर
- हरी पत्तेदार सब्जियां
- एवाकाडो
- हेल्दी स्वीटनर (शहद, गुड़)
- साबुत अनाज
सोर्स- डॉ. अनु अग्रवाल (डायटीशियन, नई दिल्ली)
टेस्टी खाना मन को रखेगा खुश, हेल्दी और फ्रेश होना है शर्त
खाने और मूड के रिश्ते को जानने के लिए एक रिसर्च अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया में भी की गई। इस रिसर्च में पाया गया कि पसंद का टेस्टी खाना लोगों को डिप्रेशन और बाकी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स से बाहर निकाल सकता है। लेकिन यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सिर्फ वो टेस्टी फूड ही मूड को खुश रखते हैं, जो हेल्दी भी हों।
अनहेल्दी खाना मुंह के स्वाद को तो अच्छा लगता है, थोड़ी देर के लिए हैपी हॉर्मोन डोपामाइन भी देता है, लेकिन ये खाना पेट में जाकर गट फीलिंग को बिगाड़ सकता है। लांग टर्म में मूड पर भी इसका निगेटिव असर ही पड़ता है।
ग्राफिक-3
मूड बूस्टिंग और हैप्पी हॉर्मोन रिलीज कराने के लिए विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर फूड खाएं। इसके लिए ड्राई फ्रूट्स, हरी सब्जियां, मीठे फल बेहतर विकल्प हैं।
-डॉ. अनु अग्रवाल (डायटीशियन, नई दिल्ली)
गट माइक्रोब्स है मन का साथी, इसके बढ़ने से बढ़ेंगी खुशियां
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया की एक रिसर्च से पता चला है कि हमारी पसंद के खाने के साथ पेट में जाने वाले लैक्टोबैसिल्स बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम को ट्यून करके मेंटल स्ट्रेस और डिप्रेशन को ठीक करते हैं। मेंटल हेल्थ का रिश्ता सीधे-सीधे हमारे पेट से जुड़ा हुआ है।
कैसे बनाएं पेट का मूड, जो रखेगा डिप्रेशन, एंग्जाइटी से दूर
आपने कई ऐसे लोगों को देखा होगा, जो परेशान या गुस्सा होने पर खाना छोड़ देते हैं या अनहेल्दी चीजें खाने लगते हैं। जब हम उदासी या खुशी महसूस करते हैं तो हम कुछ स्पेशल खाना चाहते हैं। हम जो खाते हैं, उसका असर सीधा हमारे मूड पर पड़ता है। इसी तरह हम जो खाते हैं, उसमें हमारे मूड में बदलाव लाने की क्षमता होती है।
इसका प्रभाव उन लोगों में अधिक स्पष्ट होता है, जो तनाव या डिप्रेशन से पीड़ित हैं क्योंकि वे मूड में बदलाव को लेकर ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इसका मतलब यह भी है कि सही खाने से हमारे मूड में बदलाव आ सकता है। ऐसा माना जाता है कि हमारी आंत शरीर का दूसरा मस्तिष्क है और आंत में जो कुछ भी जाता है, वह हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर काफी हद तक असर डालता है।
ऊपर हमने यह तो जान लिया कि हेल्दी खाने से हमारे मूड और गट फीलिंग पर क्या असर पड़ता है। आइए अब यह जान लेते हैं कि डिप्रेशन या तनाव को दूर रखने के लिए किस तरह के खाने से बचना चाहिए।
चीनी से बढ़ती चिड़चिड़ाहट- चीनी ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाती है, जिससे इंस्टेंट रूप से एनर्जी और हैप्पी हॉर्मोन रिलीज होता है। लेकिन जैसे ही ग्लूकोज का स्तर गिरता है, हैप्पी हॉर्मोन भी तेजी से गिरता है।
तुरंत हुए इस बदलाव की वजह से व्यक्ति उदास और चिड़चिड़ा महसूस करने लगता है। फिर उसे कुछ मीठा खाने की क्रेविंग होती है। इस तरह वह मीठे के जाल में फंसता चला जाता है।
इसके अलावा चीनी ब्रेन न्यूरॉन्स पर निगेटिव इफेक्ट डालती है। डॉ. अनु अग्रवाल के मुताबिक हेल्दी मूड के लिए चीनी खाने से बचना चाहिए। अगर मीठे की तलब लगी हो तो भी शहद, गुड़ और मीठे फल जैसे नैचुरल स्वीटनर बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
जंक फूड और फास्ट फूड से दिमाग सुस्त – जंक फूड और फास्ट फूड खाने से मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है क्योंकि इनमें चीनी और अनहेल्दी फैट की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो ब्रेन में निगेटिव एक्टिविटी को बढ़ावा देती है। नियमित जंक फूड और फास्ट फूड खाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने का भी खतरा रहता है, जो मूड में बदलाव और डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
इस बात को लेकर अमेरिका में हुई एक स्टडी में पाया गया कि जो बच्चे नियमित जंक फूड खाते हैं, परीक्षा में उनका प्रदर्शन हेल्दी फूड खाने वाले बच्चों के मुकाबले कमतर होता है।
कुल मिलाकर बात इतनी है कि दिल ही नहीं हेल्दी-हैप्पी माइंड और सफल रिश्ते का रास्ता भी पेट से होकर जाता है। वैसै भी एक्सपर्ट पेट को हमारी बॉडी का दूसरा माइंड बताते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अपने इस दिमाग को भी खुश रखने की कोशिश की जाए। गट फीलिंग को समझें और इसकी ‘भावनाओं’ से न खेलें।