विवादों के बीच नेस्ले को मिली बड़ी खुशखबरी, तीन में महीने में कूट डाले 934 करोड़ रुपए


विवादों के बीच नेस्ले को मिली बड़ी खुशखबरी, तीन में महीने में कूट डाले 934 करोड़ रुपए

विवादों में घिरा नेस्ले

बेबी फ़ूड मामले के बीच आज Nestle India ने तिमाही के नतीजे पेश कर दिए हैं. नेस्ले इंडिया को कीमतों में बढ़ोतरी और मार्जिन विस्तार के कारण मार्च 2024 को समाप्त तिमाही के लिए नेट प्रॉफिट 934 करोड़ रुपए रहा है, जो एक साल पहले के 737 करोड़ रुपए से 27% अधिक है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कंपनी उत्पाद में अधिक चीनी डाल रही है. उसके बाद से फूड नियामक FSSAI ने इसकी जांच करने का आदेश दिया था.

जल्द मार्केट में आएगा कंपनी का नया प्रोडक्ट

कंपनी ने एक नियामक फाइलिंग में कहा कि राजस्व 9% बढ़कर 5,268 करोड़ रुपए हो गया है. नेस्ले 2024 के अंत तक भारत में नेस्प्रेस्सो लॉन्च करेगी, कंपनी अपने नेटवर्क, ऑनलाइन चैनलों और बुटीक के माध्यम से नेस्प्रेस्सो उत्पादों (मशीनों और कैप्सूल) को बेचेगी और वितरित करेगी. नेस्ले इंडिया ने नेस्ले हेल्थ साइंस के पोषण संबंधी हेल्थ सॉल्यूशन विटामिन, खनिज और दूसरे हेल्थ ऑप्शन को एक साथ लाने के लिए डॉ. रेड्डीज के साथ एक संयुक्त उद्यम पर हस्ताक्षर किया है. संयुक्त उद्यम के वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में चालू होने की उम्मीद है.

नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और MD सुरेश नारायणन ने कहा कि हमे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि बढ़ती फूड महंगाई और अस्थिर कमोडिटी कीमतों से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद, हमने दोहरे अंक की वृद्धि हासिल की है. हमने मूल्य निर्धारण और मिश्रण के संयोजन के कारण अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में मजबूत विकास गति देखी है.

इस रिपोर्ट ने बढ़ाई है नेस्ले की टेंशन

स्विट्जरलैंड की एक एनजीओ पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि नेस्ले ने यूरोप के अपने बाजारों की तुलना में भारत सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचे. रिपोर्ट तैयार करने के लिए विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले करीब 150 विभिन्न शिशु उत्पादों पर स्टडी की गई.

रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने के बच्चों के लिए नेस्ले का गेहूं आधारित उत्पाद सेरेलैक ब्रिटेन तथा जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त चीनी के बेचा जाता है, लेकिन भारत से विश्लेषण किए गए 15 सेरेलैक उत्पादों में एक बार के खाने में औसतन 2.7 ग्राम चीनी थी. हालांकि, नेस्ले इंडिया ने दावा किया कि उसने पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु आहार उत्पादों में चीनी में 30 प्रतिशत तक की कमी की है.


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