ज्योतिष और हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसी कई बातें बताई गई हैं जिनका पालन हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है। ऐसा माना जाता है कि हम जो भी भोजन करते हैं वो न सिर्फ हमारे शरीर को पोषण देता है बल्कि हमारे मन मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है और शरीर को ऊर्जावान बनाने में मदद करता है।
शास्त्रों में बताया जाता है कि हमें कभी भी किसी का जूठा भोजन नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे आपकी सेहत प्रभावित होती है और मन में भी नकारात्मक विचारों का आगमन होता है। आपको न सिर्फ शास्त्रों बल्कि विज्ञान और आयुर्वेद के अनुसार भी किसी का जूठा भोजन न करने की सलाह दी जाती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि आपको किसी का जूठा भोजन क्यों नहीं करना चाहिए और इससे क्या नुकसान हो सकते हैं।
जूठा भोजन करने से शारीरिक ऊर्जा कम होती है
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपने शरीर से एक अद्वितीय ऊर्जा का संचार करता है जो उनके विचारों, भावनाओं और अनुभवों से प्रभावित होती है। जब हम भोजन का उपभोग करते हैं, तो हम न केवल इसकी पोषण सामग्री को बल्कि इसके साथ जुड़े ऊर्जावान कंपन को भी अवशोषित करते हैं।
जो भोजन पहले किसी और के द्वारा खाया जाता है उस भोजन से पूरी ऊर्जा नष्ट हो जाती है और जब हम उसी भोजन को ग्रहण करते हैं तो उसका पूरा प्रभाव हमारे शरीर पर नहीं होता है। ऐसे भोजन को खाने से हमारे शरीर की ऊर्जा बढ़ने के बजाय कम होने लगती है और कई शारीरिक समस्याएं होने का डर बना रहता है।
किसी भी ऐसे व्यक्ति का जूठा भोजन करना और ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है जिसके आचार-विचार भी नकारात्मक हों। ऐसे भोजन से आपके मस्तिष्क में भी दुष्प्रभाव होते हैं।
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जूठा भोजन करने से विचारों में परिवर्तन होता है
भोजन हमेशा साफ़ तन और शुद्ध मन से करने की सलाह दी जाती है। यदि आप ऐसे व्यक्ति का जूठा भोजन करते हैं जो स्वयं ही विचारों में नकारात्मक होता है या जिसके आचरण शुद्ध नहीं होते हैं तो ऐसे भोजन से आपके विचार भी परिवर्तित होने लगते हैं और इसका प्रभाव आपके मन के विचारों को बदलने में भी होता है।
कई बार आप जाने अनजाने में ऐसे व्यक्ति का जूठा भोजन करते हैं जिनके विचार शुद्ध न हों तो यह आपके लिए अच्छा संकेत नहीं होता है और ये आपके मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
जूठे भोजन से दूसरे व्यक्ति की ऊर्जा प्रभावित होती है
जब हम किसी दूसरे व्यक्ति के जूठे भोजन का सेवन करते हैं, तो हम उनकी ऊर्जा और अनुभवों को अनजाने में अपना बना लेते हैं। इस प्रकार, उनके भोजन के कर्म का प्रभाव हमारे जीवन में भी महसूस होता है।
अगर उनके कर्म शुद्ध नहीं हैं, तो उनके जूठे भोजन का सेवन हमारे जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अगर हम किसी का जूठा भोजन ग्रहण कर रहे हैं तो उस व्यक्ति के कर्मों के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए।
यदि उनके कर्म नकारात्मक हैं या उनसे जुड़ी कोई आपत्तिजनक बातें हैं, तो हमें ध्यान देना चाहिए और उनके जूठे भोजन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रख सकते हैं और नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।
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जूठा भोजन सेहत को प्रभावित कर सकता है
अगर हम शास्त्रों की न भी मानें तो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, किसी और का जूठा भोजन खाने से बीमारियों का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है और यदि उस व्यक्ति को कोई बीमारी है तो वो आपके शरीर में भी फ़ैल सकती है।
भले ही भोजन देखने में साफ और सुरक्षित लगता हो, लेकिन उसमें बैक्टीरिया या वायरस हो सकते हैं जो बीमारी या परेशानी का कारण बन सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर देता है, इसी वजह से जूठा भोजन न करने की सलाह दी जाती है।
जूठा भोजन करने के मनोवैज्ञानिक प्रभाव
मनोवैज्ञानिक रूप से, किसी और का जूठा खाना खाने से असुविधा, घृणा या मन में बेचैनी की भावनाएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे भोजन का उपभोग करना जो पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आंशिक रूप से खाया जा चुका है, उसका इस्तेमाल आपके मन मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।
यदि हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो भोजन केवल एक भौतिक पदार्थ नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक पोषण और उत्थान का एक माध्यम भी है। कई आध्यात्मिक परंपराओं में, भोजन तैयार करने और साझा करने का कार्य पवित्र क्रिया माना जाता है, जो साम्य, कृतज्ञता और दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है।
जूठा खाना खाने से यह पवित्र आदान-प्रदान बाधित होता है और खाने के कार्य में निहित आध्यात्मिक आशीर्वाद को पूरी तरह से प्राप्त करने की हमारी क्षमता बाधित हो सकती है।
इन्हीं कारणों से जूठा भोजन न सिर्फ शास्त्रों के अनुसार बल्कि विज्ञान के अनुसार भी खाना वर्जित होता है और इसके फायदे की जगह नुकसान हो सकते हैं।
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