शाहिद कपूर-कृति सेनन का रोबोटिक इश्क वैलेंटाइन के मौके पर दिखाता है प्यार का अलग रंग, रह गई एक कमी


Teri Baaton Mein Aisa Uljha Jiya Review: आजकल प्यार मोहब्बत इश्क के मायने बदल गए हैं. इनकी जगह Situationship ने ले ली है. पहले के जमाने में जिंदगी में दिल एक आध बार टूटता था. आजकल हफ्ते में एक आध बार भी टूट जाता है. ऐसे में ये फिल्म सवाल उठाती है कि क्या रोबोट इंसानों से बेहतर इश्क कर सकते हैं. क्या रोबोट इंसान से ज्यााद भरोसेमंद हैं. वैलेंटाइन डे के मौके पर आई ये फिल्म इश्क का एक अलग रंग दिखाती है और एंटरटेन भी करती हैं.

कहानी
ये कहानी है आर्यन नाम के रोबोटिक इंजीनियर की जिसको शादी नहीं करनी क्योंकि उसे कोई लड़की अच्छी नहीं लगती लेकिन फिर उसे प्यार हो जाता है सिफरा नाम की एक रोबोट कृति सेनन से, उसे रोबोट से प्यार कैसे होता है. फिर क्या होता है जब वो उसे अपने परिवार से मिलवाता है और ये रोबोटिक इश्क क्या रंग लेता है. यही फिल्म की कहानी है.

कैसी है फिल्म
इस फिल्म की शुरुआत काफी खराब है. शुरू में लगता है कि ये क्या ही चल रहा है. फिल्म आपको बोर करती है लेकिन इंटरवल तक आते आते फिल्म असली मुद्दे पर आती है जब एक रोबोट बनी कृति सेनन की शाहिद अपने परिवार से मिलवाते हैं. वहीं से असली कहानी शुरू होती है और सेकेंड हाफ में फिल्म एंटरटेन करती है. सेकेंड हाफ में ही जाकर आपको लगता है कि ये फिल्म देखने लायक है. फर्स्ट हाफ में कहानी को बिल्ड किया गया है लेकिन उसमें बहुत ज्यादा वक्त ले लिया गया है. उसे छोटा किया जा सकता था. जब कृति शाहिद के परिवार से मिलती हैं तो वो सीन बहुत मजेदार हैं. आपको खूब एंटरटेन करते हैं. फिल्म ये मैसेज भी देती है कि रोबोट इंसानों से बेहतर मोहब्बत करत सकते हैं. क्लाइमैक्स में एक सरप्राइज है और एंडिंग को दिलचस्प बनाने की कोशिश की गई है.

एक्टिंग
शाहिद कपूर का काम अच्छा है. वो स्क्रीन पर अच्छे लगते हैं लेकिन ये सब शाहिद पहले भी कर चुके हैं. इसमें कुछ नया नहीं है. कृति सेनन इस फिल्म की जान हैं. कृति ने रोबोट के किरदार में अच्छा काम किया है. ऐसा कुछ कृति ने पहले नहीं किया…वो जब रोबोटिक एक्सप्रेशन देती हैं तो खूब हंसी आती है. ये फिल्म एक तरह से कृति के ही इर्द गिर्द घूमती है औऱ कृति ने इस कैरेक्टर को पूरी ईमानदारी से निभाया है. धर्मेंद्र को स्क्रीन पर देखकर अच्छा लगता है लेकिन उनके किरदार को थोड़ा और स्पेस देने की जरूरत थी. इस उम्र में अगर धर्मेंद्र एक्टिंग कर रहे हैं तो उन्हें ठीक से इस्तेमाल किया जाना था. डिंपल कपाड़िया अच्छी लगती हैं और उनका काम भी अच्छा है. बाकी के कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.

डायरेक्शन 
अमित जोशी और अराधना साह का डायरेक्शन ठीक है. फर्स्ट हाफ को और बेहतर करने की जरूरत थी. फिल्म पर उनकी पकड़ सेकेंड हाफ में जाकर पता चलती है. कहानी और सब्जेक्ट मजेदार हैं लेकिन उस हिसाब से फिल्म का ट्रीटमेंट कमजोर लगता है. कुछ और मजेदार सीन डाले जाते तो फिल्म और अच्छी लगती है. 

म्यूजिक
सचिन जिगर का म्यूजिक एवरेज ही है. टाइटल सॉन्ग को छोड़कर कोई गाना आपके दिल को नहीं छूता. गानों के बीच आप आराम से बाहर जा सकते हैं.

कुल मिलाकर ये एक अलग तरह की फिल्म बनाने की कोशिश की गई है और कोशिश कुछ हद तक कामयाब हुई है. वैलेंटाइन डे के मौके पर ये फिल्म आई है. आप देख सकते हैं…

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