संगम संस्कृतियों का : उपहारों की बौछार संग जादूगर का कमाल भी


लखनऊ। दिसंबर 2023 जाते-जाते लखनऊ के लोगों को देकर जाएगा संगम का अनूठा उपहार। यह संभव हो रहा है अमर उजाला और संस्कृति विभाग के संयुक्त आयोजन संगम 2023 के चलते। रिवर फ्रंट गोमतीनगर में दो दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में लखनऊ के लोगों को देखने को मिलेगा लोक रंग। उपहारों की होगी बौछार, जादूगर दिखाएगा कमाल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजेगा मंच।

समारोह का उद्घाटन 24 दिसंबर को दोपहर 12 बजे होगा, इसके बाद शुरू होगा खानपान और संस्कृतियों का मेला। इस आयोजन में लखनऊ विकास प्राधिकरण, सिडबी और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग का भी सहयोग मिल रहा है।

संगम में एक तरफ मराठा समाज महाराष्ट्र की संस्कृति से परिचित कराएगा तो दूसरी ओर ओडिसा की कला व संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा। तमिल और केरल का इडली-सांभर ही नहीं, वहां के रहन-सहन को भी समझने का मौका मिलेगा। एक तरफ कला-संस्कृति का प्रदर्शन होगा तो दूसरी तरफ छुट्टी के दिन परिवार फूड जोन व शाॅपिंग जोन का भी आनंद ले सकेंगे। साथ ही बिखरेंगे पहाड़ के गढ़वाली और कुमाऊंनी रंग। कश्मीर की खूबसूरत संस्कृति, पंजाब का उल्लास, जैन धर्म का शाकाहार संकल्प के अलावा भोजपुरी, राजस्थानी, अवधी और मुस्लिम समाज का अंदाज भी होगा खास। श्री अन्न व जनजातीय समाज की परिकल्पना भी स्टाल पर साकार होती दिखेगी।

वर्जन–

कश्मीर की संस्कृति को करीब से जानें

संगम संस्कृतियों का… में विगत वर्ष भी पनुन- कशमीर की सक्रिय भागीदारी थी। इस साल फिर संस्कृति विभाग और अमर उजाला रिवर फ्रंट पर यह आयोजन कर रहे हैं। हम पनुन कश्मीर के स्टाल पर कश्मीर की खासियत से परिचित कराएंगे। छुट्टी भी है, आइए और हम सबसे मिलिए।

– रवि काचरू, सचिव- पनुन कश्मीर, लखनऊ

निःसंदेह एक सुसंगत आयोजन

विभिन्न संस्कृतियों व जीवनशैली के अनूठे समावेश को अविरल संजोते इस ‘संगम’ कार्यक्रम के आयोजकों, विशेषकर अमर उजाला को बधाई व साधुवाद। सामाजिक परिवेश को परिपक्व करने की दिशा में मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएं । अटल जयंती के अवसर पर निःसंदेह एक सुसंगत आयोजन।

– आनंद प्रकाश माहेश्वरी, भूतपूर्व महानिदेशक, सीआरपीएफ व समाजसेवी

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आइए सभी, एक-दूसरे की संस्कृति को समझिए

सचमुच यह कार्यक्रम संगम है। उड़ीसा की कला, यहां की संस्कृति और खानपान अलग पहचान रखता है। यहां की हैंडलूम सिल्क व सूती साड़ियों की बात ही निराली है। इसी तरह भारत के नाट्यशास्त्र में जिन शास्त्रीय नृत्यों को सम्मिलित किया जाता है, उसमें ओडीसी नृत्य भी शामिल है। संगम में लगने वाले उड़िया समाज के स्टाल पर यह सब देखने को मिलेगा। हम भी वहां होंगे अपने समाज के सदस्यों के साथ। आप सभी आइए, एक दूसरे के प्रांत की संस्कृति और खानपान को समझिए।

– जीबी पटनायक, पूर्व वरिष्ठ अधिकारी व उड़िया समाज के अध्यक्ष

अपनी संस्कृति से जुड़िए, अद्भुत कार्यक्रम को देखिए

एक अद्भुत कार्यक्रम होने जा रहा है। भोजपुरी समाज की तरफ से ही नहीं बल्कि हर समाज और संस्कृति की तरफ से लखनऊ के लोगों से अपील है कि आइए और देखिए कि किस तरह से उत्तर प्रदेश के आंगन में विभिन्न संस्कृतियां फल-फूल रही हैं। खासकर युवा पीढ़ी के लिए जानना जरूरी है, उसे समझना जरूरी है विविधता में एकता के बारे में। हम आपका इंतजार करेंगे रिवर फ्रंट पर, आइएगा जरूर।

– प्रभुनाथ राय, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज

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