संजय सिंह की बढ़ी मुश्किलें, आबकारी नीति मामले में ईडी ने कोर्ट में पेश की 60 पन्नों की चार्जशीट


नई दिल्ली: आप नेता संजय सिंह आबकारी नीति मामले (Delhi Excise Policy Case) में फंसते जा रहे हैं। आज ईडी ने उनके खिलाफ राउज एवेन्यू कोर्ट में 60 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। इसी साल अक्टूबर में कई घंटों की पूछताछ के बाद संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद से वो तिहाड़ जेल में बंद हैं।

अक्टूबर में हुई थी गिरफ्तारी

ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत एक स्थानीय अदालत में आरोपपत्र दायर किया। यह इस मामले में पूरक आरोप पत्र है क्योंकि एजेंसी पहले ऐसी लगभग पांच अभियोजन शिकायतें दायर कर चुकी है। ईडी ने ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य सिंह को इस मामले में अक्टूबर में गिरफ्तार किया था।

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संजय सिंह ने हर दावे का किया खंडन

धनशोधन रोधी एजेंसी ने आरोप लगाया था कि आरोपी कारोबारी दिनेश अरोड़ा ने राज्यसभा सदस्य के आवास पर दो किस्तों में दो करोड़ रुपये नकद पहुंचाए थे।सिंह ने इस दावे का खंडन किया है। ईडी ने 2021-22 दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में ‘आप’ सांसद को गिरफ्तार किया था। इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बाद वह दूसरे बड़े नेता हैं। दिल्ली पर शासन करने वाली ‘आप’ ने गिरफ्तारियों और मामले को “राजनीतिक षड्यंत्र” करार दिया है।ईडी के अनुसार, जांच में पता चला है कि अरोड़ा ने सिंह के घर पर दो मौकों पर दो करोड़ रुपये नकद पहुंचाए थे। अगस्त 2021 से अप्रैल 2022 के बीच यह नकदी पहुंचाई गई।

क्या थी नई आबकारी नीति?
दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 पेश की थी। सरकार इस नई नीति के जरिए शराब खरीदने का नया अनुभव लोगों को देना चाहती थी। नई नीति में होटलों के बार, क्‍लब्‍स और रेस्‍टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई थी। इसमें छत समेत खुली जगह पर भी जगह शराब परोसने की अनुमति दी गई थी। इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी। बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम करने का भी प्रावधान था। इसके अलावा बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्‍फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं रखी गई थी। नई पॉलिसी के तहत किसी भी शराब की दुकान पर सरकार का मालिकाना हक नहीं रखने का प्रावधान था। नई पॉलिसी में कंज्‍यूमर की चॉइस और ब्रैंड्स की उपलब्‍धता को तवज्जो दी गई थी। इसका उद्देश्य स्‍मगलिंग और बूटलेगिंग रोकना था। नई पॉलिसी में सबसे खास बात थी कि ई-टेंडरिंग के जरिए हर जोन ऑपरेटर के लिए नया L-7Z लाइसेंस अलॉट किया जाना था।

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