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40 मिनट पहले
वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के बाद से ही पाकिस्तान क्रिकेट के साथ कई विवाद जुड़ते जा रहे हैं.
अब इसी कड़ी में पूर्व क्रिकेटर सलमान बट को टीम की चयन समिति में शामिल करने और अगले ही दिन बाहर का रास्ता दिखाने का मामला भी जुड़ गया है.
दरअसल, ओडीआई विश्व कप में सिर्फ़ चार मैचों में जीतने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट टीम में एक-एक कर कई बदलाव हुए. पहले बाबर आज़म ने तीनों ही फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ी. इसके बाद शाहीन शाह अफ़रीदी को टी-20 और शान मसूद को टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी सौंपी गई.
इस घटनाक्रम के बाद वहाब रियाज़ को इंज़माम-उल हक की जगह टीम का मुख्य चयनकर्ता नियुक्त किया गया. पीसीबी ने वहाब रियाज़ के सलाहकार के तौर पर पूर्व क्रिकेटर सलमान बट, कामरान अकमल और राव इफ़्तिकार अंजुम को चुना.
हालांकि, बट की नियुक्ति विवादों में घिर गई.
पूर्व क्रिकेटर रमीज़ राजा ने भी सलमान बट की नियुक्ति की आलोचना की.
सलमान बट को साल 2010 में मैच फिक्सिंग का दोषी पाया गया था. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (आईसीसी) ने सलमान बट पर प्रतिबंध भी लगाया था. उन्होंने कुछ महीने लंदन की जेल में सज़ा भी काटी थी.
पीसीबी पर सवाल उठे तो वहाब रियाज़ ने फ़ैसले की समीक्षा करते हुए सलमान बट को सेलेक्शन कमेटी से नियुक्ति के एक दिन के अंदर ही बाहर कर दिया.
लेकिन अब ये फैसला भी कुछ पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटरों को पसंद नहीं आ रहा. वसीम अकरम ने सलमान बट को हटाए जाने पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को अपने फैसले पर टिके रहने की सलाह दी है.
पाकिस्तान क्रिकेट में क्यों मचा है बवाल?

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बीते शुक्रवार को पीसीबी ने कामरान अकमल, राव इफ़्तिकार अंजुम और सलमान बट को मुख्य चयनकर्ता वहाब रियाज़ के सलाहकार सदस्यों के तौर पर नियुक्त किया.
इन तीनों को तत्काल प्रभाव से अपनी ज़िम्मेदारी संभालनी थी.
अंजुम और अकमल पहले भी पीसीबी की चयन प्रक्रिया से जुड़े रह चुके हैं. लेकिन 2010 में लगे प्रतिबंध के बाद वापसी करने के बाद पहली बार सलमान बट पीसीबी में किसी आधिकारिक पद पर नियुक्त किए गए थे.
इस स्पॉट फ़िक्सिंग के मामले में हालांकि रियाज़ और अकमल को भी उस समय आईसीसी से नोटिस भेजा गया था, लेकिन प्रतिबंध केवल बट पर लगा था.
इस नियुक्ति के बाद पाकिस्तानी मीडिया में इस फ़ैसले पर जमकर विवाद हुआ. डॉन न्यूज़ में छपे एक लेख में इसे ‘पीसीबी की सबसे दागदार नियुक्ति’ बताया गया.
पूर्व क्रिकेटर रमीज़ राजा ने इस फ़ैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दे दिया.
रमीज़ राजा ने ‘क्रिकबज़’ से कहा, “ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि चयन समिति में एक ऐसा सदस्य है जो टीम सेलेक्शन के दौरान अपने निजी रिश्तों को तरजीह देते हुए फ़ैसले ले सकता है और दूसरा मैच फिक्सिंग के लिए जेल में रहा हो.”
मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब पाकिस्तान प्रधानमंत्री के कार्यालय का भी इस पूरे विवाद पर बयान आया.
डॉन न्यूज़ की ख़बर के अनुसार पाकिस्तान के पीएमओ ने एक बयान जारी करते हुए ये कहा कि “प्रधानमंत्री ने विवादित पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सलमान बट की नियुक्ति का संज्ञान लिया है.”
पाकिस्तान के केयरटेकर पीएम अनवारुल हक़ काकड़ ने ये भी कहा कि देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और चयन समिति को किसी भी विवाद से मुक्त रहना चाहिए.
पीएम ने चयन समिति में मेरिट के आधार पर ‘गैर-विवादित और प्रतिष्ठित चयनकर्ताओं’ को शामिल करने का भी निर्देश दिया.
अज़हरुद्दीन और अजय जडेजा का ज़िक्र

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सलमान बट पर उठते सवालों के बीच चीफ़ सेलेक्टर वहाब रियाज़ ने शनिवार को ही प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और मीडिया पर गुस्सा जाहिर किया.
उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “कुछ मीडिया हाउस के संभवतः प्रोपेगेंडा कर रहे हैं और वो ये कोशिश कर रहे हैं कि चीज़ों को और खराब किया जाए और मुझे भी उसके साथ जोड़ा जाए. चीफ़ सेलेक्टर के तौर पर ये मेरा फ़ैसला होगा कि मेरे साथ काम करने वाले लोग कौन होंगे. लोग मुझे और सलमान को लेकर दोस्ती की बात कर रहे हैं. इसलिए मैं ये फ़ैसला पलटने का एलान करता हूं. मैंने पहले ही सलमान बट से बात कर ली है और उन्हें बता दिया है कि वह मेरी टीम का हिस्सा नहीं हो सकते. मैं नहीं चाहता कि लोग हमें किसी भी तरह से जोड़ें.”
हालांकि, एक सवाल के जवाब में रियाज़ ने स्पष्ट किया कि जो हुआ उसकी सज़ा सलमान बट भुगत चुके हैं और अब उन बातों से आगे बढ़ना चाहिए. रियाज़ ने ये भी कहा कि सलमान बट शानदार क्रिकेटर रहे हैं और वो इसलिए उनका सहयोग चाहते थे.
लेकिन क्या सलमान बट को एक दिन के अंदर पद से हटाने का फैसला प्रधानमंत्री की ओर से दबाव बनाए जाने की वजह से लिया गया है, ये पूछे जाने पर रियाज़ ने ना में जवाब दिया.
इस दौरान वहाब रियाज़ ने भारत के पूर्व क्रिकेटरों मोहम्मद अज़हरुद्दीन और अजय जडेजा का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि दोनों पर मैच फ़िक्सिंग के आरोप लगे लेकिन इसके बावजूद अब वे आधिकारिक पदों पर हैं.
उन्होंने कहा, “हमारे पड़ोसी मुल्क में ही ये मिसाल दिखती है. मोहम्मद अज़हरुद्दीन किसी क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और जडेजा वर्ल्ड कप के दौरान अफ़ग़ानिस्तान की टीम के बल्लेबाज़ी के लिए कंसलटेंट थे. ये लोग क्रिकेट की दुनिया में काम कर रहे हैं और कोई हंगामा नहीं है.”
रियाज़ ने साफ़ कहा कि उन्होंने ये फ़ैसला पलटने का इसलिए सोचा क्योंकि ये कहा जा रहा था कि सलमान बट से दोस्ती के कारण उन्हें पद दिया गया.
बट को लेकर फ़ैसला पलटने के बाद पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर वसीम अकरम ने क्रिकेट बोर्ड की आलोचना की.
वसीम अकरम ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा, “हर तीन मिनट के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस न करें. अपने फ़ैसले पर टिके रहें. अगर आपने कोई फ़ैसला लिया है तो आपने इसके परिणाम के बारे में भी सोचा होगा. बहादुर बनें.”
इसके बाद पीसीबी ने एक बयान जारी कर ये बताया कि बट की नियुक्ति के फ़ैसले पर विचार हुआ और गहन समीक्षा के बाद ये तय किया गया कि उन्हें सलाहकार सदस्य के तौर पर समिति में शामिल नहीं किया जाएगा.
पीसीबी ने ये भी कहा कि चयन समिति को सुझाव और जानकारी देने वाले किसी भी सदस्य को नियुक्त करने का अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ चीफ़ सेलेक्टर के पास होता है.
बट, स्पॉट फिक्सिंग और सालों का प्रतिबंध…

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सलमान बट पर जब साल 2010 में बैन लगा, तब तक वह पाकिस्तान के लिए 33 टेस्ट, 78 वनडे और 24 टी-20 मैच खेल चुके थे. प्रतिबंध के समय वह पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान थे. वह साल 2009 में पाकिस्तान की टी-20 वर्ल्ड कप विजेता टीम का भी हिस्सा थे.
सलमान बट का नाम लॉर्ड्स के मैदान में टेस्ट मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में आया. उन्हें पांच साल के लिए बैन कर दिया गया और इंग्लैंड की जेल में सज़ा भी काटनी पड़ी.
साल 2010 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच के दौरान कप्तान होते हुए बट ने अपने तेज़ गेंदबाज़ों मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ़ को मोटी रकम के बदले नो-बॉल डालने के लिए कहा था. दोष साबित होने के बाद बट को ढाई साल की जेल हुई थी लेकिन वह जल्दी रिहा हो गए.
आईसीसी ने मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ़ पर भी इस मामले में प्रतिबंध लगाया था.
इस मामले में वहाब रियाज़ से भी पूछताछ हुई लेकिन उनपर कोई आरोप नहीं लगाया गया.
बैन ख़त्म होने के बाद बट ने कभी भी पाकिस्तान क्रिकेट टीम में वापसी नहीं की. हालांकि, साल 2020 में उन्हें पीसीबी ने कमेंटेटर का पद ऑफ़र किया था.