साउथ अफ्रीका में टेस्ट सीरीज क्यों नहीं जीत पाता भारत: डिविलियर्स बोले- पिचें बल्लेबाजों के लिए मुश्किल, यहां मुझसे भी रन नहीं बनते


स्पोर्ट्स डेस्कएक घंटा पहलेलेखक: राजकिशोर

  • कॉपी लिंक

एबी डिविलियर्स का कहना है कि भारत अपनी बैटिंग के दम पर ही साउथ अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीत सकता है। भास्कर को दिए इंटरव्यू में साउथ अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर ने कहा, ‘टीम इंडिया बॉलिंग के दम पर पिछली बार सीरीज जीत के करीब पहुंचा था, इस बार भी उनकी बॉलिंग अच्छी है लेकिन सीरीज जीतने के लिए बैटर्स को रन बनाने ही होंगे।’

टीम इंडिया को दिसंबर-जनवरी में साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीनों फॉर्मेट की सीरीज खेलनी है। साउथ अफ्रीका में भारत 3 टी-20, 3 वनडे और 2 टेस्ट खेलेगा। भारत ने यहां टी-20 और वनडे सीरीज तो जीत रखी है लेकिन टेस्ट सीरीज में 31 साल से सफलता नहीं मिल सकी।

डिविलियर्स ने भास्कर को बताया कि साउथ अफ्रीका में बैटर्स के लिए रन बनाना मुश्किल होता है, इसीलिए टीम इंडिया यहां नहीं जीत पाती। जानते हैं एबी डीविलियर्स से SA20 लीग के जरिए हुई भास्कर की बातीचत के प्रमुख अंश…

सवाल-1: साउथ अफ्रीका और भारत की राइवलरी बड़ी, फिर सीरीज में 2 ही टेस्ट क्यों होते हैं?
डिविलियर्स: मुझे नहीं लगता इस पर मैं कुछ कर सकता हूं। लेकिन दोनों ही देशों की दोस्ती और राइवलरी बहुत रोमांचक है। मंडेला और गांधी की दोस्ती दुनिया में एक मिसाल है, दोनों की दोस्ती के नाम पर ही सीरीज का नाम भी फ्रीडम ट्रॉफी रखा गया। साउथ अफ्रीका भी भारत में 13 साल से टेस्ट सीरीज नहीं जीत सका। भारत को तो साउथ अफ्रीका में परेशानी होती ही है। दोनों टीमों के बीच 2 ही टेस्ट होना कम तो है, फ्यूचर में ज्यादा टेस्ट हो तो बेहतर रहेगा।

टीम इंडिया इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे टॉप अपोनेंट्स के खिलाफ 4 से 5 टेस्ट की सीरीज खेलती है। लेकिन न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ सीरीज में 2 या 3 ही टेस्ट खेलती है।

सवाल-2: भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 2 टेस्ट सीरीज जीतीं लेकिन टीम साउथ अफ्रीका में क्यों नहीं जीत पाती?
डिविलियर्स: मुझे लगता है दुनिया के कई क्वालिटी बैटर्स के लिए साउथ अफ्रीका की पिचें सबसे मुश्किल हैं। टेस्ट मैच में बैटिंग के लिए यहां सबसे खतरनाक पिचें मिलती हैं, कई बार चोट लगने का खतरा भी रहता है। अगर आप दुनिया के बेस्ट औसत रखने वाले बैटर्स के आंकड़े देखें तो उन्हें भी साउथ अफ्रीका में दिक्कतें होती हैं। उनका एवरेज साउथ अफ्रीका में बहुत गिर जाता है।यहां तेज गेंदबाज हावी रहते हैं, क्योंकि उन्हें तेजी और उछाल के साथ स्विंग भी मिलती है।

न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की पिचों पर गेंदबाजों को तेजी के साथ स्विंग मिलती है, दोनों ही जगह बैटर्स को परेशानी होती है। ऑस्ट्रेलिया में तेजी और उछाल मिलता है जबकि साउथ अफ्रीका में तेजी और उछाल के साथ स्विंग भी रहती है। इसीलिए ये पिचें और बैटर्स के लिए बाकी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा परेशानी वाली रहती हैं।

सवाल-3: क्या आपको भी घरेलू मैदान पर परेशानी होती थी?
डिविलियर्स: स्टीव स्मिथ जैसे मॉडर्न डे ग्रेट बल्लेबाज मुझे याद आते हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में रन बनाए लेकिन साउथ अफ्रीका में उनका औसत बेहद गिर जाता है। यहां तक कि मुझे भी होम कंडीशन में बैटिंग करने में बहुत दिक्कतें आईं। यहां बैटिंग कुछ ज्यादा ही मुश्किल हो जाता है। बाकी जगह की पिचें मुझे उतनी चुनौतीपूर्ण नहीं लगतीं जितनी अपने ही देश की लगती हैं।

डिविलियर्स ने विदेश में करीब 55 की औसत से 3977 रन बनाए लेकिन साउथ अफ्रीका में उनका औसत 47 का ही रहा। हालांकि घरेलू मैदान पर उन्होंने 4788 रन बनाए हैं और टेस्ट में 47 का औसत होना भी शानदार है। फिर भी विदेशी मैदान की तुलना में घरेलू मैदान पर उनका औसत गिर जाता है।

सवाल-4: साउथ अफ्रीका में टेस्ट कैसे जीत सकते हैं?
डिविलियर्स: टेस्ट मैच जीतने के लिए आपको रन बनाने ही होंगे। बोर्ड पर रन होंगे तभी आपके गेंदबाजों को कॉन्फिडेंस आएगा और वे 20 विकेट लेकर टीम को टेस्ट जिता सकेंगे। मुझे लगता है भारत को हर बार बैटिंग में ही दिक्कतें होती हैं, जिस कारण वे सीरीज नहीं जीत पाते। बॉलिंग के दम पर टीम 2-3 बार सीरीज जीत के करीब पहुंची, इस बार भी उनकी बॉलिंग अच्छी है लेकिन सीरीज जीतने के लिए टीम के बैटर्स को रन बनाने ही होंगे।’

टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका में अब तक 8 टेस्ट सीरीज खेली हैं लेकिन टीम को एक में भी जीत नहीं मिली। 7 में भारत को हार मिली जबकि 2010 में एक सीरीज ड्रॉ रही थी। साउथ अफ्रीका में भारत का प्रदर्शन इतना ज्यादा खराब है कि टीम यहां 23 में से 4 ही टेस्ट जीतने में सफल रही है। 12 में टीम को हार मिली, वहीं 7 टेस्ट ड्रॉ रहे।

भारत ने 2 टेस्ट विराट कोहली की कप्तानी में जीते, जबकि एक-एक बार राहुल द्रविड़ और एमएस धोनी की कप्तानी में भी सफलता को जीत मिली। धोनी की ही कप्तानी में टीम ने एकमात्र बार सीरीज ड्रॉ कराई थी।

डिविलियर्स ने कहा कि साउथ अफ्रीका में बैटर्स को परेशानी होती है। इस बात को स्टैट्स की मदद से समझते हैं…

32 सेंचुरी लगा चुके स्मिथ के नाम साउथ अफ्रीका में एक ही शतक
डिविलियर्स ने कहा कि साउथ अफ्रीका में स्टीव स्मिथ जैसे दिग्गज बल्लेबाजों की भी परेशानी होती है। स्मिथ ने 102 टेस्ट में 58.61 की औसत से 9320 रन बनाए हैं, इनमें 32 सेंचुरी शामिल हैं। लेकिन साउथ अफ्रीका में उनका औसत 41.10 पर पहुंच जाता है। यहां वह 6 टेस्ट में 411 रन ही बना सके हैं, जिनमें वह एक ही सेंचुरी लगा सके। एक्टिव प्लेयर्स में स्मिथ के नाम ही सबसे ज्यादा टेस्ट शतक है लेकिन साउथ अफ्रीका में उनसे भी ज्यादा रन नहीं बनते।

साउथ अफ्रीका में विलियमसन के नाम एक भी फिफ्टी नहीं
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने 1992 में साउथ अफ्रीका से इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का बैन हटाया। उन पर अश्वेत खिलाड़ियों से भेदभाव करने का आरोप था। तब से 25 से ज्यादा टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ियों में स्मिथ का औसत ही बेस्ट है। श्रीलंका के कुमार संगकारा, ऑस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ, भारत के सचिन तेंदुलकर और न्यूजीलैंड केन विलियमसन का औसत स्मिथ के बाद बेस्ट रहा। लेकिन साउथ अफ्रीका में इन बैटर्स का औसत भी खराब हो जाता है।

टेस्ट में संगकारा ने 57.40, वॉ ने 55.88, तेंदुलकर ने 55.07 और विलियमसन ने 54.92 की औसत से रन बनाए। लेकिन साउथ अफ्रीका में संगकारा 35.75 और विलियमसन महज 21.16 की औसत से ही रन बना सके। टॉप बैटर्स में विलियमसन को ही साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

वॉ (50.25) और तेंदुलकर (46.44) का औसत जरूर साउथ अफ्रीका में अच्छा है लेकिन उनके ओवरऑल टेस्ट औसत के सामने में ये आंकड़े फिर भी खराब है। भारत से विराट कोहली ने जरूर साउथ अफ्रीका में 51.39 की औसत से रन बनाए हैं, जबकि उनका ओवरऑल औसत 49.29 का है।

गिलक्रिस्ट का औसत साउथ अफ्रीका में बेस्ट
दुनिया के टॉप बैटर्स को तो साउथ अफ्रीका में परेशानी होती है लेकिन यहां अच्छा खेलता कौन है? इसका जवाब है ऑस्ट्रेलियन बैटर्स और वे बल्लेबाज जो ऑस्ट्रेलिया में अच्छा खेलते हैं। इसकी वजह है दोनों देशों में मिलने वाली एक्स्ट्रा बाउंस। दोनों ही देशों की पिचें तेज और उछालभरी होती हैं, साउथ अफ्रीका की पिचें खतरनाक इसलिए हो जाती हैं क्योंकि यहां गेंदबाजों उछाल और तेजी के साथ स्विंग भी मिलती है।

1992 के बाद से साउथ अफ्रीका में ऑस्ट्रेलिया के 16 बैटर्स की टेस्ट औसत 40 से ज्यादा की है। इनमें 7 ने तो 50 से ज्यादा की औसत से रन बनाए। साउथ अफ्रीका में कम से कम 5 टेस्ट खेलने वाले बैटर्स में ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट ने ही बेस्ट औसत (65.37) से रन बनाए हैं। उनके नाम 6 टेस्ट में 523 रन हैं। बेस्ट औसत में उनके बाद ऑसट्रेलिया के ही डेविड वॉर्नर (63.33) दूसरे और फिलिप ह्यूज (53.20) पांचवें नंबर पर हैं।

इंग्लैंड के नासेर हुसैन (61.66) और वेस्टइंडीज के क्रिस गेल (54.50) ने भी साउथ अफ्रीका में अच्छा प्रदर्शन किया है। बेस्ट औसत के मामले दोनों खिलाड़ी टॉप-5 बैटर्स में शामिल हैं। खास बात ये भी कि टॉप-5 बैटर्स में 4 लेफ्ट हैंडर्स हैं और पांचों का टेस्ट में ओवरऑल ​​​​​​औसत 48 से भी कम है।

भारत के स्क्वॉड में सिर्फ कोहली का औसत 50 पार
साउथ अफ्रीका में टीम इंडिया तीनों फॉर्मेट की सीरीज खेलेगी। टीम इंडिया यहां 10, 12 और 14 दिसंबर को 3 टी-20 मुकाबले से दौरे की शुरुआत करेगी। 17, 19 और 21 दिसंबर को 3 वनडे खेले जाएंगे। वहीं 26 से 30 दिसंबर तक पहला टेस्ट और 3 से 7 जनवरी 2024 तक दूसरा टेस्ट मैच होगा।

तीनों सीरीज के लिए टीम इंडिया में 31 खिलाड़ियों का सिलेक्शन हुआ है। टेस्ट टीम के स्क्वॉड में शामिल विराट कोहली ही साउथ अफ्रीका में 50 से ज्यादा के औसत से रन बना पाए हैं। उन्होंने 7 टेस्ट में यहां 51.35 के औसत से 719 रन बनाए हैं। कोहली के अलावा विकेटकीपर केएल राहुल ही यहां 200 से ज्यादा रन बना सके हैं। उनके नाम 5 टेस्ट में 26 के खराब औसत से 256 रन हैं।

कप्तान रोहित साउथ अफ्रीका में एक फिफ्टी भी नहीं लगा सके
कप्तान रोहित शर्मा का औसत साउथ अफ्रीका में महज 15.37 का है। उनसे ज्यादा रन ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन ने बनाए हैं। अश्विन के नाम 6 टेस्ट में करीब 18 की औसत से 197 रन हैं। रोहित के नाम 4 टेस्ट में 123 रन हैं। शुभमन गिल, यशस्वी जायसवाल और श्रेयस अय्यर जैसे युवा बैटर्स साउथ अफ्रीका में पहली बार टेस्ट खेलेंगे। ऐसे में टीम इंडिया के बैटर्स के लिए एक बार फिर यहां रन बनाना चैलेंजिंग ही साबित हो सकता है।

खबरें और भी हैं…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *