सेहतनामा- इस देश में पिज्जा-बर्गर-फ्रेंच फ्राइज पर टैक्स: पूरी दुनिया में आतंकवाद और एक्सीडेंट से ज्यादा फास्ट फूड खाकर मर रहे लोग


एक घंटा पहलेलेखक: राजविक्रम

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क्या आपको मालूम है कि सिगरेट, तंबाकू और शराब वगैरह पर एक खास तरह का टैक्स लगाया जाता है, जिसे सिन टैक्स कहते हैं। ये टैक्स इसलिए लगाया जाता है ताकि इन चीजों की कीमत ज्यादा रहे।

कीमत इसलिए ज्यादा रहे ताकि यह आसानी से खरीदी न जा सके क्योंकि यह सेहत के लिए नुकसानदायक है। हर साल नए बजट के साथ सिगरेट-तंबाकू वगैरह पर लगने वाला टैक्स बढ़ा दिया जाता है।

लेकिन क्या ऐसा कोई टैक्स खाने-पीने की चीजों पर भी लग सकता है? उन चीजों पर, जो सिगरेट और शराब की ही तरह सेहत के लिए भी नुकसानदायक हैं। हाल ही में कोलंबिया में ऐसा ही कुछ हुआ है। इस देश ने जंक फूड यानी पिज्जा-बर्गर, कोल्ड ड्रिंक, फ्रेंच फ्राइज वगैरह पर टैक्स लगाने के लिए एक कानून बनाया है, जिसे ‘जंक फूड लॉ’ नाम दिया जा रहा है।

इस नए कानून में कोलंबिया की केंद्र सरकार ने फास्ट फूड पर 10% का अतिरिक्त टैक्स लगाया है, जो अगले साल बढ़ाकर 15% कर दिया जाएगा और 2025 तक इसे बढ़ाकर 20% कर दिया जाएगा। लेकिन सिगरेट-तंबाकू जैसा सिन टैक्स खाने पीने की चीजों पर लगाने की क्या जरूरत हो सकती है? आइए समझते हैं।

क्या सिगरेट जितना खतरनाक है फास्ट फूड
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक दुनिया भर में 90 लाख लोग भुखमरी की वजह से मरते हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक डायबिटीज, हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन जैसी नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों की वजह से हर साल करीब 4.1 करोड़ लोग अपनी जान गंवा देते हैं। मतलब भुखमरी से ज्यादा जानें गलत खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से जा रही हैं।

यही कारण है कि कोलंबिया जैसे देश अब कानून बनाकर फास्ट फूड की खपत पर लगाम लगाना चाह रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण है जंक फूड में मौजूद ट्रांस फैट, हाई शुगर, हाई सोडियम और सैचुरेटेड फैट जैसी चीजें।

ये पदार्थ न सिर्फ जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं बल्कि समय से पहले मौत का कारण भी बनते हैं। मेडिकल जर्नल जामा नेटवर्क में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि फास्ट फूड खाने वाले लोगों में हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के मुताबिक फास्ट फूड खाने की वजह से हर साल 1.1 करोड़ जाने जाती हैं। वहीं इसकी तुलना में स्मोकिंग के कारण हर साल 80 लाख लोग मरते हैं। यानी ये स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक है। आइए समझते हैं कि ये हमें कैसे बीमार बना रहा है।

बढ़ाता है शुगर लेवल
कोल्ड ड्रिंक, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज वगैरह कार्बोहाइड्रेट से भरे होते हैं। इतना हाई कार्बोहाइड्रेट शरीर के शुगर लेवल को अचानक बढ़ाने के लिए काफी होता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में ये भी देखा गया कि फास्ट फूड इंसुलिन लेवल को भी अचानक बढ़ा सकता है, जिसकी वजह से शुगर लेवल गिर जाता है।

शुगर लेवल में ये उतार-चढ़ाव आगे चलकर कई बीमरियों का कारण बन सकता है।

ब्लड प्रेशर
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि फास्ट फूड में मौजूद सोडियम की मात्रा ब्लड वेसल्स पर भी असर डालती है और उन्हें संकरा कर सकती है। जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है। इसकी वजह से शरीर के लिए पानी अब्सॉर्ब करना मुश्किल हो सकता है।

इंफ्लेमेशन
हम चाहे कितनी भी कम मात्रा में फास्ट फूड खाएं, ये हमें फिर भी नुकसान पहुंचा सकता है। हेल्थ प्रमोशन पर्सपेक्टिव में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि दिन में एक बार भी फास्ट फूड खाना इंफ्लेमेशन यानी अंदरूनी को सूजन बढ़ा सकता है।

पाचन में गड़बड़ियां
पाचन दुरुस्त रखने के लिए फाइबर बहुत जरूरी है। ये शरीर में पानी की कमी से भी बचाता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर रखता है। लेकिन फास्ट फूड में फाइबर की मात्रा शून्य होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि फास्ट फूड शरीर के लिए न्यूट्रीशन को अब्सॉर्ब करना मुश्किल बनाते हैं और गट बैक्टीरिया पर भी असर डालते हैं।

इसका नकारात्मक असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है।

मेमोरी और लर्निंग पर भी असर
फास्ट फूड सिर्फ हमारे दिल के लिए खतरनाक नहीं है। ये हमारे दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है। फ्रंटियर साइकोलॉजी में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि फास्ट फूड में मौजूद ट्रांस फैट और शुगर हमारी मेमोरी और सीखने की क्षमता पर भी असर डालते हैं। और तो और, भविष्य में डिमेंशिया जैसी भूलने की बीमारियों का खतरा भी बढ़ा सकते हैं।

डिप्रेशन और एंग्जायटी का भी खतरा
2021 में ही इस बारे में एक रिसर्च की गई कि क्या फास्ट फूड से हमारे मूड पर भी कोई असर पड़ता है? 322 पुरुषों और महिलाओं पर हुई इस स्टडी में देखा गया कि जो लोग जंक, तला-भुना और फास्ट फूड खा रहे थे, उनमें डिप्रेशन का खतरा भी ज्यादा था।

जर्नल ऑफ पर्सनलाइज्ड मेडिसिन में छपी इस रिसर्च में ये भी देखा गया कि जो लोग हरी सब्जियां, नट्स और फल ज्यादा खा रहे थे, उनका मूड भी दूसरों के मुकाबले सही रहता था।

अब आप समझ सकते हैं कि टेस्टी लगने वाला ये फास्ट फूड हमें बीमार बनाने में भी उतना ही फास्ट है। शायद इसीलिए अब कोलंबिया जैसे देश इस पर लगाम लगाने के लिए टैक्स लगा रहे हैं। ताकि इनकी खपत को कम किया जा सके और लोग हेल्दी रह सकें।

लेकिन अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए हमें किसी कानून की जरूरत नहीं होनी चाहिए। फास्ट फूड के खतरों को समझकर हम खुद भी इनसे बचने के लिए कदम उठा सकते हैं।

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