- Hindi News
- Lifestyle
- Mental Health Problem Treatment; Food Habit, Treat Therapy And Lifestyle Changes
एक घंटा पहलेलेखक: मृत्युंजय
- कॉपी लिंक
आपने वो जुमला तो सुना ही होगा कि ‘मर्दों के दिल का रास्ता उनके पेट से होकर जाता है।’ एक नई रिसर्च में इससे मिलती-जुलती बात सामने आई है और यह मर्द-औरत सभी पर समान रूप से लागू होती है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया की एक रिसर्च में पाया गया कि पसंद का टेस्टी खाना लोगों को डिप्रेशन और बाकी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से बाहर निकाल सकता है।
इस रिसर्च की मानें तो खुशगवार मन का रास्ता पेट से होकर जाता है। जीभ और पेट को खुश रखें तो मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम कोसों दूर रहेगी। टेस्टी फूड सीधे-सीधे मेंटल हेल्थ पर असर डालता है।
मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम के लिए अभी तक आसपास के माहौल और फिजिकल हेल्थ को जिम्मेदार माना जाता था। इस रिसर्च में बिल्कुल नई जानकारी सामने आई है। आने वाले वक्त में इसका निष्कर्ष करोड़ों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
यह भी संभव है कि आने वाले वक्त में डॉक्टर डिप्रेशन और तनाव से निपटने के लिए किसी शानदार रेस्टोरेंट का पता दें या दवाओं की जगह मेन्यू लिस्ट थमा दें।
जैसा खाए अन्न, वैसा होए मन
अपने यहां एक पुरानी कहावत है- जैसा खाए अन्न, वैसा होए मन। हालिया अमेरिकी रिसर्च का मतलब भी यही है। रिसर्च बताती है कि स्वादयुक्त भोजन स्ट्रेस मैनेजमेंट, एंग्जाइटी और डिप्रेशन में दवा जितनी कारगर है।
आमतौर पर किसी भी तरह की बीमारी से जूझ रहे शख्स को खास ‘पथ्य’ यानी रोगियों का भोजन दिए जाने का चलन रहा है। बीमार होने पर सबसे बड़ा डर फीका और स्वादहीन पथ्य को लेकर ही होता है।
मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से जूझ रहे लोगों के लिए सोशल मीडिया पर तमाम अजीबोगरीब फूड आइटम्स सुझाए गए हैं। ये फूड आइटम्स अक्सर स्वादहीन या अजीबोगरीब स्वाद वाले होते हैं, इन्हें खाना भी मुश्किल होता है।
लेकिन नई रिसर्च कहती है कि टेस्टी खाने के सहारे भी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को हराया जा सकता है।
अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए पेट के बैक्टीरिया जिम्मेदार
फूड हमारी मेंटल हेल्थ को किस तरह प्रभावित करते हैं, यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया की रिसर्च में इसका भी जवाब मिला है। इसके मुताबिक हमारे पेट में कई तरह के गुड बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव होते हैं।
फर्मेंटेड फूड और दही में ऐसे सूक्ष्मजीव काफी मात्रा में पाए जाते हैं। पेट में ये सूक्ष्मजीव मौजूद हों तो इससे हमारी फीलिंग सीधे तौर पर प्रभावित होती है। मन में एक किस्म की खुशी महसूस होती है।
40% लोग मेंटल डिसऑर्डर के शिकार, 10 में से 1 को ही मेडिकल हेल्प
मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को समाज में टैबू की तरह देखा जाता है। लेकिन आंकड़ों की मानें तो भारत के लगभग 40% लोग किसी न किसी रूप में कॉमन मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। यानी देश के किसी की भी कोने या फैमिली से रेंडम 5 लोगों को चुनें तो उनमें से 2 लोग कॉमन मेंटल डिसऑर्डर के शिकार मिल जाएंगे।
देश की बड़ी आबादी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से जूझ रही है। बावजूद इसके इसमें से सिर्फ 10% लोगों को ही मेडिकल सहायता मिल पाती है। नतीजतन ज्यादातर केस कभी डॉक्टर के पास पहुंच ही नहीं पाते और गंभीर रूप ले लेते हैं। जानकार बढ़ती आत्महत्या दर और घरेलू हिंसा के पीछे एक कारण इसे भी मानते हैं।
ऐसी स्थिति में फूड हैबिट्स और लाइफस्टाइल में पॉजिटिव बदलाव लाकर इससे बचा जा सकता है।
अच्छी फूड हैबिट और बेटर लाइफस्टाइल से दूर होगा मेंटल डिसऑर्डर
डायटीशियन डॉ. रजा मलिक बताते हैं कि फूड और माइंड में सीधा रिश्ता है। खाना पेट में जाने से पहले ही जीभ के जरिए माइंड को सिग्नल भेज देता है। पसंद का खाना या फिर वह फूड जिससे अच्छी यादें जुड़ी हों, खाएं तो मन में खुशी महसूस होती है। ऐसा करने से बॉडी में तुरंत डोपामाइन रिलीज होती है और लोग रिलैक्स फील करते हैं।
फूड अगर टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी हो तो जीभ और पेट दोनों के जरिए दिमाग को खुश होने का सिग्नल जाता है। ऐसे में खुशी और मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से लड़ने की ताकत भी बढ़ती जाती है।
मन को खुश रखने के लिए अपनाएं ट्रीट थेरेपी, खुद को दें तोहफा
आपने जानवरों को तरह-तरह के करतब करते देखे होंगे। ऐसी वीडियोज को जरा गौर से देखें तो पाएंगे कि करतब के तुरंत बाद ट्रेनर जानवरों को कुछ खाने के लिए देते हैं। यह ट्रीट या रिवॉर्ड होता है। इसकी लालच में ही जानवर उस काम को खुशी-खुशी करते हैं।
‘कंज्यूमर साइकोलॉजी’ जर्नल की एक रिपोर्ट बताती है कि ट्रीट या रिवॉर्ड थेरेपी के सहारे इंसान भी खुद को खुश और मेंटली फिट रख सकते हैं।
मसलन, मन बहुत उदास-चिड़चिड़ा हो या फिर काम के लंबे घंटे से उठे हों तो पसंद की कोई चीज खाएं, इससे मन को खुशी मिलेगी और तन-मन आगे भी इस तरह की मेहनत के लिए तैयार रहेगा। रिवॉर्ड या ट्रीट के बाद काम बोझ की तरह नहीं लगेगा और काम की वजह से तनाव या एंग्जाइटी का भी खतरा कम होगा।
रिवॉर्ड कई तरह के हो सकते हैं, लेकिन सबसे बेहतर और तुरंत असर देने वाला रिवॉर्ड पंसद का खाना या अच्छी ड्रिंक ही है। अमेरिका में हुई रिसर्च भी यही इशारा करती है। मन को खुश रखना है तो जीभ और पेट का भी ख्याल रखें।
रेस्टोरेंट में मिल सकती है डिप्रेशन की दवा, स्वाद और सेहत में रखें संतुलन
कुल जमा बात यह है कि तन, मन और जीभ आपस में कनेक्टेड हैं। एक की खुशी से बाकी की खुशी डिसाइड होती है। जीभ को खुश रखेंगे तो मन भी खुश रहेगा। हालांकि यहां पर इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जीभ को खुश करने के चक्कर में पेट को नाराज करना सही नहीं है। डाइटीशियन ने कई ऐसे फूड बताए हैं जो टेस्टी और हेल्दी दोनों हैं। खुद को ट्रीट देने के लिए ये फूड आइटम्स सबसे बेहतर विकल्प हैं।
आने वाले वक्त में डॉक्टर डिप्रेशन से निपटने के लिए किसी फेमस रेस्टोरेंट का पता दें तो आश्चर्य न करें। बस स्वाद और सेहत में संतुलन बनाने की कोशिश करें।