29 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस अनुष्ठान में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। पीएम ने इससे पहले 11 दिन का उपवास रखा है। 11 दिनों का यह उपवास स्वयं को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है। इस दौरान वह खास दिनचर्या अपनाएंगे। साथ ही, खानपान में पुरानी ‘सात्विक भोजन’ शैली का पालन करेंगे।
सात्विक भोजन शैली क्या होती है? इस दौरान क्या-क्या खा पी सकते हैं? यह हमारे शरीर के लिए कितना फायदेमंद होता है। आज के सेहतनामा में इसे विस्तार से जानेंगे।
सात्विक भोजन का सबसे पहले जिक्र मिलता है छांदोग्य उपनिषद में। इसमें बताया गया है कि सात्विक भोजन करने से हमारा मन और चित्त नवीन एवं शुद्ध ऊर्जा महसूस करता है। जबकि भगवद्गीता के अनुसार- सात्विक भोजन से जीवन, शुद्धता, मजबूती, स्वास्थ्य, खुशी और उत्साह की अनुभूति होती है।
क्या होती है सात्विक भोजन शैली?
हमारी संस्कृति में तीन तरह की भोजन शैलियां बताई गई हैं। राजसिक, तामसिक और सात्विक। राजसिक भोजन का संबंध राजघरानों में बनने वाले भोजन से है। इसमें मसालेदार भोजन शामिल होते हैं। तामसिक में प्याज, लहसुन, मांस और शराब वगैरह शामिल होते हैं। वहीं, सात्विक भोजन में फल-फूल सब्जियां खाई जाती हैं, जिन्हें ज्यादा से ज्यादा सिर्फ उबालकर खाया जा सकता है।
आयुर्वेद में सात्विक भोजन के कई महत्व बताए गए हैं। इसके अनुसार सात्विक भोजन शैली को अपनाने वाले शख्स में ऊर्जा, खुशी, शांति के अलावा मानसिक स्पष्टता देखने को मिलती है।
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हमारा भोजन कैसा है, इसका असर हमारे दिल की सेहत पर पड़ता है। इसे विस्तार से समझने के लिए हमने बात की प्रो०(डा०) अवधेश शर्मा से, जो कानपुर के हृदय रोग संस्थान में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ हैं।
प्रकृति के करीब है सात्विक फूड
डॉ. अवधेश शर्मा बताते हैं कि जो हमारा डाइटरी पैटर्न है, उसका सीधा असर हमारी सेहत पर होता है। भारतीय सभ्यता में सात्विक फूड का जिक्र मिलता है। इसमें बताया गया है कि आप जितना भी नेचर के करीब रहेंगे। आपकी हेल्थ उतनी ही अच्छी रहेगी।
सात्विक खाने के साथ पॉजिटिव पॉइंट ये है कि इसे पचाने में बहुत कम मेहनत चाहिए। उसके अब्जॉर्प्शन में भी कम ऊर्जा खर्च करनी होगी। तो हमारे हार्ट को भी कम पंप करना होगा। इससे हार्ट का वर्कलोड कम हो जाएगा।
कोलेस्ट्रॉल हमारे दिल पर सीधा असर करता है। जैसे ऑयली फूड है, जंक फूड है या रिपीटेड फ्राइड आइटम्स हैं। सब हमारी बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल जमा करते हैं। अगर हार्ट की धमनियों में यह जमा हो गया, तो ब्लॉकेज हो सकता है। यही बाद में हार्ट अटैक का कारण बनता है।
सात्विक फूड से मिलता है गुड कोलेस्ट्रॉल
डॉ. अवधेश बताते हैं- कोलेस्ट्रॉल सिर्फ बुरा नहीं होता। यह दो तरह का होता है। एक गुड कोलेस्ट्रॉल है, जिसे हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल (HDL) कहते हैं। दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल है, जिसे लो डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल (LDL) कहते हैं। ताजे फल और सब्जियां खाने से हमें गुड कोलेस्ट्रॉल मिलता है।
सात्विक भोजन का कॉन्सेप्ट कहता है कि भोजन ताजा हो। अगर ऐसा नहीं है तो कितना भी सादा भोजन हो, इस कैटेगरी में नहीं आएगा। इसमें प्याज, लहसुन, मांस आदि का प्रयोग नहीं किया जाता। आमतौर पर इसमें फल, सब्जियां, नारियल, शहद, घी और हर्बल चाय आदि का इस्तेमाल होता है।
क्यों करना चाहिए सात्विक भोजन, 10 कारण
- ताजे फल-सब्जियों से तैयार सलाद से शरीर को उचित मात्रा में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल और मोनोसैचुरेटेड फैट मिलता है। यह आपकी इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाता है।
- सात्विक भोजन में तेल और मसाले का इस्तेमाल कम से कम होता है। इससे हमारा दिमाग और मन संतुलित रहता है।
- सात्विक भोजन में फल और सब्जियों के अधिक प्रयोग से कैलोरीज की मात्रा कम रहती है। यह वजन कम करने में मदद करता है।
- इसमें पर्याप्त मात्रा में फाइबर मौजूद रहता है। जो हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- इसमें प्रचुर मात्रा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपको क्रॉनिक बीमारियों से बचाता है।
- सात्विक खाने की सबसे बड़ी खूबी है कि यह हमारी बॉडी को डिटॉक्स करता है। सभी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मददगार है।
- लगातार ताजे फल और सब्जी के सेवन से शरीर अधिक ऊर्जावान महसूस करता है।
- सात्विक खाने में कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स मिलते हैं। जो आपकी स्किन को ग्लोइंग रखता है।
- यह भोजन पद्धति आपको डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाती है।
- इससे आपके दिमाग को पॉजिटिव एनर्जी महसूस होती है।
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हालांकि, आयुर्वेदाचार्य डॉ. अचल इस कॉन्सेप्ट को बहुत अच्छा मानने से इनकार करते हैं।
देस-काल के हिसाब से भी भोजन का कॉन्सेप्ट
डॉ. अचल का कहना है कि “हमें किसी भी भोजन का लाभ तभी मिलेगा, जब वह देस-काल के हिसाब से किया जाएगा। यहां देस का मतलब उस स्थान से है, जहां आप रहते हैं। जबकि काल का मतलब उस मौसम से है, जो भोजन के समय है। इसके उदाहरण में वह बताते हैं कि राजस्थान और पंजाब का मौसम आमतौर पर ऊष्ण यानी गर्म रहता है तो वहां को लोगों को घी और दूध खाने की जरूरत है। वहीं आप पश्चिम बंगाल जाएंगे तो वहां की परिस्थितियां मछली खाने को कहती हैं।”
डॉ. अचल यह भी बताते हैं कि नॉनवेज खाने या अधिक तली-भुनी चीजें खाने को पचाने में में ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।
असात्विक भोजन करने से बढ़ता है वर्कलोड
अगर आप असात्विक भोजन कर रहे हैं। तो उसके डाइजेशन और अबजॉर्प्शन दोनों में अधिक मात्रा में एनर्जी खर्च करनी पड़ेगी। यानी पाचन तंत्र और आंतों को ज्यादा काम करना पड़ेगा। जिसके लिए अधिक ब्लड चाहिए तो हार्ट को पंप भी अधिक करना होगा। यह उन अंगों में थकान भरता है और समय से पहले बूढ़ा बनाता है।
फास्टिंग अपना रहे यूरोपीय देश
यूरोपीय देशों में असात्विक भोजन का चलन ज्यादा है। वे इसके लगातार सेवन से पैदा होने वाली समस्याओं से बचने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपना रहे हैं। इसमें रात और सुबह के खाने के बीच 14 से 16 घंटे का अंतर रखा जाता है। यह कॉन्सेप्ट भारत के लिए बहुत पुराना है और सभ्यता का हिस्सा है।
विराट बन गए वीगन
साथ ही, यूरोपीय देशों में वीगन डाइट का चलन शुरू हुआ है। यह भी सात्विक फूड के काफी करीब है। इसे स्टार क्रिकेटर विराट कोहली भी फॉलो करते हैं।
उपवास और सात्विक भोजन से मिलती है लॉन्ग लाइफ
उपवास रखने और सात्विक भोजन करने से बॉडी ऑर्गन्स पर वर्कलोड कम पड़ता है। सादे खाने से वर्कलोड कम होता है तो ऑर्गन्स थकते नहीं हैं। फास्टिंग से उन्हें आराम करने का मौका मिलता है। यह उन्हें अपने काम में अच्छा बनाए रखने में मदद करता है। यह बात तो तय मानिए कि आपके अंदर की दुनिया खुश है, तो बीमारियां अपने आप दूर रहेंगी। इस डाइटरी पैटर्न को अक्षय कुमार, मनोज वाजपेयी जैसे कई फेमस बॉलीवुड एक्टर भी अपना रहे हैं। वे अपनी फिटनेस के पीछे का राज भी इसे ही मानते हैं।
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