सेहतनामा-10 साल में 1 लाख छात्रों ने दी जान: तुलसी-अश्वगंधा की चाय सुधारे नींद, स्ट्रेस घटाए; चॉकलेट, मेवे और केले उदासी भगाए, मूड दुरुस्त


2 घंटे पहलेलेखक: राजविक्रम

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अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ. रॉबर्ट सपोलस्की दिमाग और इंसानी बर्ताव के प्रोफेसर हैं। वो बताते हैं कि नॉर्मल कंडीशन में हमारा दिमाग दिन में करीब 20% एनर्जी का इस्तेमाल करता है। हमें करीब 2000-3200 कैलोरी एनर्जी की जरूरत रोज पड़ती है। यानी 20 फीसदी के हिसाब से करीब 400- 640 कैलोरी हमारा दिमाग इस्तेमाल करता है।

डॉ. रॉबर्ट ये भी बताते हैं कि चेस के अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के दौरान एक ग्रांडमास्टर बिना अपनी कुर्सी से हिले 6000 कैलोरी तक एनर्जी का इस्तेमाल कर सकता है। यानी स्ट्रेस और दिमागी वर्जिश में एक आम आदमी के दिन भर के कामकाज से ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल हो सकता है।

अब आप समझिए कि दिमाग को चलाने के लिए, पढ़ने के लिए, स्ट्रेस से लड़ने के लिए कितनी ज्यादा एनर्जी की जरूरत पड़ती है। इसी स्ट्रेस से देश के करोड़ों छात्र हर दिन गुजरते हैं। यही कारण है देश भर में छात्रों की आत्महत्या के मामले पहले के मुकाबले बढ़ रहे हैं। ऐसे में ये अकेले स्कूल और बाहरी दुनिया की जिम्मेदारी नहीं है कि आने वाली पीढ़ी का ख्याल रखें।

सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट्स को जिम्मेदार ठहराया
पेरेंट्स पर बच्चों की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में एक याचिका की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि कोचिंग में रेग्युलेशन की बात के इतर पेरेंट्स भी बच्चों पर दबाव बनाने के जिम्मेदार हैं।

खैर जिम्मेदारी तो दोनों तरफ से उठानी पड़ती है। इसलिए आइए-आज जानते हैं कि पेरेंट्स बच्चों की मेंटल हेल्थ और स्ट्रेस कम करने के लिए क्या कर सकते हैं। प्रोटीन खाने से मसल्स बनते हैं, ये बात हम सभी को मालूम है। लेकिन दिमाग के लिए क्या खाना सही है, कैसे इसे शांत रखें ताकि बच्चे गलत कदम न उठाएं और याददाश्त भी दुरुस्त रहे।

एंटीऑक्सीडेंट्स से हेल्दी रखें ब्रेन
शरीर के रोज के कामकाज में फ्री रेडिकल नाम के तत्व बनते हैं। ये फ्री रेडिकल ज्यादा हो जाएं तो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। हमारा दिमाग भी इनके खतरों से अछूता नहीं है। लेकिन इनसे बचने का भी तरीका कुदरत ने हमें दिया है।

एंटीऑक्सीडेंट्स इन फ्री रेडिकल को खत्म करने में हमारी मदद करते हैं और दिमाग को इनके खतरों से बचाते हैं। वैसे तो कई चीजों में ये एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, लेकिन विटामिन-सी से भरपूर चीजें इसमें हमारी खास मदद कर सकती है। विटामिन-सी एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट्स है। नीबू, संतरा और आंवले जैसे फलों में विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

चाय-कॉफी की जगह चुनें ज्यादा हेल्दी ऑप्शन
अक्सर छात्र पढ़ाई करते-करते रिलैक्स करने के लिए चाय-कॉफी का सहारा लेते हैं। एक-दो कप तो ठीक लेकिन ज्यादा चुस्कियों के नुकसान भी हैं।

नेशनल जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिसर्च में देखा गया कि ज्यादा चाय और कॉफी सोने के पैटर्न में बदलाव कर सकती है। खराब स्लीप साइकल की वजह से स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन भी बढ़ सकता है।

लेकिन इनके हेल्दी ऑप्शन भी है। कई रिसर्च में ये भी देखा गया कि पेपरमिंट, तुलसी और अश्वगंधा की चाय स्ट्रेस कम करने में मदद कर सकती हैं और नींद सुधारने में भी मदद करती हैं।

उदासी को कैसे मैनेज करें
कुछ लोग स्ट्रेस में ज्यादा खाते हैं। इसे स्ट्रेस ईटिंग कहा जाता है। लेकिन अक्सर पिज्जा, बर्गर और बाहर का तला-भुना खाना ही सामने नजर आता है। ये खाकर कुछ समय के लिए मजा तो आता है लेकिन इनमें मौजूद ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इसलिए स्ट्रेस में हेल्दी चीजें खाएं, जो स्ट्रेस भी कम करे और दिमाग भी दुरुस्त रखे।

विटामिन-डी
‘काम योर माइन्ड विद फूड ‘ की राइटर और न्यूट्रिशनिस्ट व साइकिएट्रिस्ट डॉ. उमा नायडू बताती हैं कि इस दिशा में हुए कई शोध ये इशारा करते हैं कि विटामिन-डी डिप्रेशन और एंग्जायटी के खिलाफ भी असरदार है। विटामिन-डी दिमाग में न्यूरो-स्टेरॉयड नाम के केमिकल की तरह काम करता है और एंग्जायटी से लड़ने में मदद करता है।

डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट फ्लावोनोइड नाम के तत्वों से भरपूर होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिसर्च में देखा गया कि ये याददाश्त दुरुस्त रखने और मूड ठीक करने में भी मददगार है। दरअसल, डार्क चॉकलेट दिमाग में न्यूरोट्रोपीन्स नाम के केमिकल को बढ़ावा देती है। जो इसे हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं।

फैटी फिश
ओमेगा-3 फैटी एसिड नाम का तत्व हमारे दिमाग के लिए जरूरी है, ये कुछ मछलियों में पाया जाता है। लेकिन बादाम, अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स में भी ये मिलता है इसलिए इन्हें डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

हेल्दी ब्रेन तो हेल्दी मेमोरी
दिमाग कोई कसरत करने वाला अंग तो है नहीं कि चार डंबल उठा के इसकी कसरत कराई जा सके। इसलिए इसे हेल्दी रखने के और भी तरीके हैं जैसे योग, ध्यान और कोई हॉबी या स्किल सीखना। अगर हम दिमाग को नित नए पजल्स, नए चैलेंज देते रहेंगे तो ये एक्टिव और दुरुस्त रहता है।

‘ब्रेन फूड’ किताब की लेखिका डॉ. लिसा लिखती हैं कि खाने पीने का भी संबंध हमारे दिमाग से है। हम जो खाते हैं वो हमारे दिमाग और मेमोरी को इफेक्ट करता है। इसलिए दिमाग को हेल्दी रखने के लिए डाइट पर भी ध्यान देना चाहिए।

फर्मेंटेड फूड
जाने-माने अमेरिकी डॉक्टर मार्क हाइमन बताते हैं कि हमारे पेट में दो तरह के बैक्टीरिया होते हैं एक तो अच्छे गट बैक्टीरिया और दूसरे बुरे गट बैक्टीरिया। हमारे पेट का हमारे दिमाग से कनेक्शन है। दिमाग को खुशी का एहसास देने वाला केमिकल सेरोटोनिन पेट में ही बनता है। और ये बैक्टीरिया इसमें मदद करते हैं।

इसलिए दिमाग को खुश रखने के लिए हेल्दी गट बैक्टीरिया को भी खुश रखना जरूरी है। इसके लिए ढोकला, चीज, दही, छाछ जैसी हेल्दी गट बैक्टीरिया वाली चीजें अपनी डाइट में शामिल करें।

कई बार हम उदासी का कारण बाहर ढूंढते हैं। लेकिन ये हमारे अंदर छिपा हो सकता है। पर्याप्त धूप न मिलने पर भी उदासी मन में घर कर सकती है। और पेट सही न रहे तो भी। इसलिए बाहरी कारणों के साथ-साथ इन पर भी ध्यान देना जरूरी है।

योग, ध्यान और कसरत आपके शरीर के साथ-साथ दिमाग भी सही रखने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसलिए इन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। साथ ये भी याद रखें कि डिप्रेशन एक जटित चीज है सिर्फ खाने से ये ठीक हो जाएगी ऐसा सोचना भी सही नहीं। इसलिए खान-पान सही रखकर दिमाग को हेल्दी बनाएं। स्ट्रेस न लें न दें। उदासी से लड़ने के लिए खुद के अंदर-बाहर हर जगह काम करना होगा।

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