हार्ट अटैक के मामलों में मोबाइल, जंक फूड, लाइफ स्टाइल और स्टेरॉयड जिम्मेदार?


नई दिल्ली. युवाओं में हार्ट अटैक (Heart Attack) बढ़ते मामलों ने लोगों को फिर से डराना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया पर गाजियाबाद के एक जिम का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवक की ट्रेड मिल पर दौड़ लगाते ही हार्ट अटैक से मौत हो जाती है. इसी तरह यूपी के इटावा में अग्निवीर की भर्ती दौड़ में शामिल एक 22 साल के युवक की दौड़ लगाने के दौरान ही दिल का दौरा पड़ने से मौत हो जाती है. इस युवक के बड़े भाई की भी अग्निवीर भर्ती के दौरान पिछले साल ही दिल का दौरा पड़ने से ही मौत हो गई थी. युवाओं में बढ़ते हृदय रोग के मामलों को देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी गंभीर मानते हैं. इस बारे में देश के जाने-माने कार्डियोलजिस्ट और दिल्ली एम्स के डॉक्टर ए के बिसोई ने न्यूज 18 हिंदी से विस्तार से बात की.

ए के बिसोई कहते हैं, युवाओं में हार्ट अटैक के कई कारण हो सकते हैं. अधिक मात्रा में स्टेरॉयड लेना भी एक कारण हो सकता है. सुंदर बॉडी बनाने की जिद ने युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ा दिए हैं. अप्रशिक्षित जिम ट्रेनर के चक्कर में युवा स्टेरॉयड लेना शुरू कर रहे हैं. स्टेरॉयड खाने से शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव पड़ते हैं. साथ ही बाजार में नकली स्टेरॉयड भी मिल रहा है, जो काफी खतरनाक होता है. इसलिए डायटिशियन की सलाह के बिना स्टेरॉयड नहीं लेना चाहिए.

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अधिक एक्सरसाइज करना भी हार्ट अटैक का कारण हो सकता है. (Image: Canva)

हार्ट अटैक के लिए लाइफ स्टाइल कितना जिम्मेवार?
हृदय की बीमारियों को कुछ दशक पहले तक बढ़ती उम्र के साथ होने वाली समस्या के तौर पर देखा जाता रहा है, लेकिन कोरोना काल के बाद कम उम्र के लोगों में भी इसके गंभीर मामले और हार्ट अटैक की समस्या देखी जा रही है. डॉ बिसोई कहते हैं, ‘पहले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में ही हार्ट अटैक के लक्षण देखे जाते थे. सूगर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, अत्याधिक वजन जैसे कारण हुआ करते थे, लेकिन अब कम उम्र के बच्चों में भी हार्ट अटैक हो रहे हैं.

एम्स दिल्ली के डॉक्टर क्या सोचते हैं
डॉ एके बिसोई के मुताबिक, ‘इस समय 30 साल से कम उम्र के लोगों में कार्डियक अरेस्ट अधिक देखे जा रहे हैं. 20-22 साल के बच्चों को भी हार्ट का सर्जरी करना पड़ रहा है. इसका प्रमुख कारण है लाइफ स्टाइल में बदलाव. कोविड के बाद लोगों के लाइफ स्टाइल में काफी बदलाव आए हैं. कम उम्र के बच्चों में भी कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ रहा है और कार्डियक अरेस्ट आ रहा है. कोविड के बाद लोगों में अनिश्चितता का माहौल, तनाव, डाइट हैबिट्स, धुम्रपान, देर रात तक जगना भी प्रमुख कारणों में से एक है. कोरोना के बाद शरीर के बायोलॉजी में काफी बदलाव आए हैं. युवाओं में वजन भी बढ़ गया है. मैंने कई आईआईटी के 23-24 साल के बच्चों का बाईपास सर्जरी किया है. इन बच्चों में स्ट्रेस का लेवल काफी बढ़ा हुआ था. अमूमन आदमी को 9 से 12 बजे रात तक सो जाना चाहिए, लेकिन कोरोना के बाद देर रात तक बच्चे जाग रहे हैं.’

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नींद की कमी के कारण कई बीमारियां हो सकती हैं. Image: Canva

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डॉ बिसोई आगे कहते हैं, लाइफ स्टाइल से मेरा मतलब लोगों में मोबाइल का लत ज्यादा लगना. जंक फूड लोग ज्यादा पसंद करने लगे हैं. बच्चों में फिजिकल फिटनेस और आउटडोर गेम की कमी साफ झलक रही है. इससे अत्यधिक वजन बढ़ रहा है और लगातार मोबाइल देखने से हार्टबीट में भी बढ़ाने के लक्षण देखे गए हैं. गलत तरीके से स्टेरॉयड का सेवन बच्चे कर रहे हैं. इसके साथ ही जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं, उनके शरीर में काफी बदलाव हुए हैं. इन्हीं कारणों से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं.’

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