जीवन में चाहिए
कुछ रस
कुछ मनोरंजन
काम और आपाधापी के बीच
चाहिएं
कुछ पल ऐसे भी
जिससे हम भूल जाएं
अपने आप को
और करें कुछ ऐसा
कि जिससे मिले आनंद
यही है मनोरंजन
जब मन में रहे न रंज कोई
तो कह सकते
उसी को हम
मनोरंजन
असल में
अमृत की दो घूंटें हैं
मनोरंजन
जो बहता है
आपके लहू में
ऊर्जा बन कर
दिन भर की थकान के बाद
काम करता है दवा का
मनोरंजन
रोज़ के इतर से
कोई भी काम
आप करें ऐसा
जिससे आए आपको आनंद
तो वही है मनोरंजन
आप गा सकते हैं गाना
सुन सकते हैं गाना
देख सकते हैं फिल्म
या कर सकते हैं कुछ ऐसा
जिससे आपको हो महसूस
राहत
तो यही है मनोरंजन
वह प्रक्रिया है मनोरंजन
जिससे
न्यूरॉन मस्तिष्क के
करते हैं महसूस
खुद को आनंदित
लेकिन रहे ध्यान
किसी चीज़ की लत या सनक
नहीं हो सकती मनोरंजन
इसलिए लत और मनोरंजन में
खींचना सीमा रेखा
है ज़रूरी
तभी मनोरंजन की कामना
आपकी होगी पूरी।
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24 मिनट पहले