1983, 2003, 2011… क्रिकेट विश्‍व कप फाइनल में अब तक कैसा खेली है टीम इंडिया, हाईलाट्इस देख लीजिए


नई दिल्‍ली: आईसीसी क्रिकेट विश्व कप का फाइनल रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा। इस मुकाबले में भारत की भिड़ंत पांच बार की विश्‍व कप विजेता ऑस्‍ट्रेलिया से होगी। दोनों बीस साल बाद विश्‍व कप फाइनल में एक-दूसरे से टकराएंगे। दो दशक पहले 2023 में हुए फाइनल मुकाबले में ऑस्‍ट्रेलिया ने भारतीय टीम को 125 रन से शिकस्‍त दी थी। पिछले कुछ वर्षों में क्रिकेट विश्व कप और आईसीसी ईवेंट्स ने भारत को निराशा हाथ लगी है। लेकिन, इस बार में विश्‍व कप में भारत ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उसने उम्‍मीदें बढ़ा दी हैं। पूरे टूर्नामेंट में भारत दूसरी टीमों पर हावी रही है। भारतीय टीम लगातार दस मैचों में अजेय रहकर फाइनल में पहुंची है। बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग उसने हरेक डिपार्टमेंट में शानदान प्रदर्शन किया है। विश्‍व कप के इतिहास में भारत अब तक दो बार ट्रॉफी उठाई है। पहला मौका 1983 में आया था। फिर दूसरी बार उसने 2011 में इतिहास रचा था। रविवार को होने वाले खिताबी मुकाबले से पहले आइए एक नजर डालते हैं पिछले विश्व कप फाइनल्‍स में भारत के प्रदर्शन पर:

25 जून, 1983, 23 मार्च 2003 और 2 अप्रैल, 2011…ये तीन तारीखें हैं जब भारत ने वनडे विश्व कप के फाइनल में प्रतिस्पर्धा की। इन तीन वर्षों में हमने दो बार ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। जबकि 2003 में रिकी पोंटिंग की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को हार का सामना करना पड़ा। अब रविवार 19 नवंबर को भारत के पास अपना पुराना हिसाब चुकता करने का मौका है। एक बार फिर वर्ल्ड कप 2023 के खिताबी मुकाबले में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टक्कर होगी। खास बात यह है कि टूर्नामेंट में इन दोनों टीमों का सफर भी एक दूसरे के खिलाफ शुरु हुआ था, जहां जीत भारत की हुई थी।

दिलचस्प यह है कि 1983 में इंग्लैंड में अपनी खिताबी जीत के दौरान कपिल देव की अगुवाई वाली टीम ने गत चैंपियन वेस्टइंडीज पर 34 रनों की जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की थी। 25 जून को लॉर्ड्स में एक यादगार दिन उसी टीम को 43 रनों से हराकर ट्रॉफी जीती।

क्या रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इतिहास खुद को दोहरा सकता है? इस बार विश्व कप में भारत के सफर में कुछ खास है। बल्ले से उनका वर्चस्व और गेंद से पिन-पॉइंट एक्‍यूरेसी रही है। कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व में भारत ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को 70 रनों से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। यह आईसीसी इवेंट में नॉकआउट मैच में कीवी टीम पर उनकी पहली जीत और लगातार 10वीं जीत थी।

कपिल देव की अगुआई में 1983 की वो शानदार जीत

1983 World Cup

प्रूडेंशियल कप में प्रतिस्पर्धा करने वाली शीर्ष आठ टीमों में वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, मेजबान इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, भारत, श्रीलंका और जिम्बाब्वे शामिल थे। भारत ने सभी बाधाओं के बावजूद दो बार के गत चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर अपने अभियान की शुरुआत की और एक जबर्दस्‍त सफर की नींव रखी। हालांकि, पहले मुकाबलों में वेस्टइंडीज ने भारत को 66 रनों से हरा दिया। फिर 18 जून को टुनब्रिज वेल्स में जिम्बाब्वे के खिलाफ टूर्नामेंट का मैच आया। टीम 9/4 पर थी। तब इस संकट के बीच कपिल देव ने भारत के 266/8 के कुल स्कोर में से नाबाद 175 रन बनाए। इसे जिम्बाब्वे हासिल करने में मामूली अंतर से असफल रहा और 31 रन से हार गया।

विजडन ने इस मुकाबले को एक उल्लेखनीय मैच बताया जिसमें क्रिकेट के इस रूप में खेली गई सबसे शानदार पारियों में से एक थी। इस महत्वपूर्ण जीत ने ग्रुप बी में वेस्टइंडीज के बाद दूसरे स्थान पर रहकर सेमीफाइनल में भारत की जगह सुनिश्चित कर दी। भारत ने सेमीफाइनल में ओल्ड ट्रैफर्ड में इंग्लैंड को हराया और मेजबान टीम को 213 रनों पर रोक दिया। मोहिंदर अमरनाथ के हरफनमौला प्रदर्शन (2/27 और 46) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत ने 6 विकेट से जीत दर्ज करके फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली।

Final

भारत की यात्रा का चरम 25 जून को आया, जब उनका सामना एक बार फिर वेस्टइंडीज से हुआ। इस बार फाइनल लॉर्ड्स में था। अपने खतरनाक तेज आक्रमण और मजबूत बल्लेबाजी क्रम के लिए मशहूर वेस्टइंडीज को लगातार तीसरी बार कप जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारत की शुरुआत खराब रही। सुनील गावस्कर 2 रन पर एंडी रॉबर्ट्स का शिकार बन गए। कृष्णमाचारी श्रीकांत और अमरनाथ के बीच एक छोटी साझेदारी ने टीम को 50 रन के पार पहुंचाया। इससे पहले भारत ने यशपाल शर्मा, कपिल के साथ कुछ विकेट जल्दी खो दिए। इस तरह भारत 111/6 पर छह विकेट खो चुका था।

इसके बाद संदीप पाटिल और मदन लाल के कुछ उपयोगी योगदान ने भारत को 183 रन बनाने में मदद की। हालांकि, मजबूत विंडीज लाइन-अप के लिए लक्ष्य बहुत छोटा लग रहा था। जवाब में वेस्टइंडीज ने शुरुआती विकेट खो दिए। बलविंदर संधू ने गॉर्डन ग्रीनिज को बोल्ड कर दिया। एक छोटी साझेदारी के बाद मदन लाल ने डेसमंड हेन्स और विवियन रिचर्ड्स को आउट किया। देखते ही देखते मौजूदा चैंपियन का स्कोर 57/3 हो गया। तब से विंडीज़ नियमित अंतराल पर विकेट खोती रही और अंत में जीत भारत की हुई।

2011 में धोनी की कप्‍तानी में बना इतिहास

2011 World Cup

1983 में खिताबी जीत के बाद भारत विश्व कप में ज्यादा सफल नहीं रहा। 1987 में घरेलू मैदान पर इंग्लैंड के हाथों सेमीफाइनल में हार के नौ साल बाद कोलकाता में उसी चरण में श्रीलंका के खिलाफ खराब प्रदर्शन और जोहान्सबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दिल टूटने से फैंस परेशान थे कि स्थिति कब बदलेगी। लेकिन समय बदला और साल 2011 में भारत ने वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया।

भारत ने 2011 में श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ संयुक्त रूप से विश्व कप की मेजबानी की। भारत ने ग्रुप ए में दक्षिण अफ्रीका के बाद दूसरे स्थान पर रहकर क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और युवराज सिंह के अर्धशतकों की मदद से एमएस धोनी की टीम ने अहमदाबाद में छह विकेट से जीत हासिल कर क्वार्टर फाइनल में तीन बार के गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को मात दी।

मोहाली में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ बहुप्रतीक्षित सेमीफाइनल में एक मैच जिसमें दोनों देशों के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूसुफ रजा गिलानी स्टैंड में मौजूद थे। भारत ने सचिन तेंदुलकर के 85 रनों की मदद से 29 रन से जीत दर्ज की और श्रीलंका के साथ फाइनल में जगह बनाई। फिर 2 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में कुमारा संगकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।

धीमी शुरुआत के बाद संगकारा ने 48 रन पर आउट होने से पहले माहेला जयवर्धने के साथ 62 रन जोड़े। लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट खोने के बावजूद जयवर्धने ने 103 रनों की तेज पारी खेलकर श्रीलंका को चुनौतीपूर्ण 274 रन बनाने में मदद की।

जवाब में भारत की शुरुआत खराब रही। वीरेंद्र सहवाग पारी की दूसरी ही गेंद पर लसिथ मलिंगा का शिकार बन गए। अगला झटका भारत को सचिन तेंदुलकर के रूप में लगा। हालांकि, इसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच अहम साझेदारी हुई। विराट के आउट होने के बाद खुद को ऊपरी क्रम में प्रमोट करते हुए धोनी ने गंभीर के साथ 109 रन की मैच जिताऊ साझेदारी की। गंभीर के 97 रन पर आउट होने के बाद धोनी (नाबाद 91*) और युवराज सिंह (नाबाद 21) ने भारत को जीत दिलाई। इसमें कोई शक नहीं है कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में फैंस इसी तरह के समापन की उम्मीद करेंगे।

इस बार कैसा रहा है ऑस्‍ट्रेलिया का सफर?
ऑस्ट्रेलिया ने विश्व कप के अपने शुरुआती दो मैचों में हार से उबरने के बाद लगातार आठ मैच जीतकर फाइनल तक का सफर तय किया। ऑस्ट्रेलिया ने गुरुवार को सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को तीन विकेट से हराया। टीम के सामने 19 नवंबर को खेले जाने वाले फाइनल में भारत की चुनौती होगी। विश्व कप फाइनल में पहुंचने तक ऑस्ट्रेलिया की यात्रा इस प्रकार है:

मैच एक: ऑस्ट्रेलिया चेन्नई में भारत से छह विकेट से हार गया।

मैच दो: ऑस्ट्रेलिया लखनऊ में दक्षिण अफ्रीका से 134 रन से हार गया।

मैच तीन: ऑस्ट्रेलिया ने लखनऊ में श्रीलंका को 5 विकेट से हराया।

मैच चार: ऑस्ट्रेलिया ने बेंगलुरु में ने पाकिस्तान को 62 रन से हराया।

मैच पांच: ऑस्ट्रेलिया ने दिल्ली में नीदरलैंड को 309 रनों से हराया।

मैच छह: ऑस्ट्रेलिया ने धर्मशाला में न्यूजीलैंड को पांच रन से हराया।

मैच सात: ऑस्ट्रेलिया ने ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 33 रनों से हराया।

मैच आठ: ऑस्ट्रेलिया ने पुणे में अफगानिस्तान को तीन विकेट से हराया।

मैच नौ: ऑस्ट्रेलिया ने पुणे में बांग्लादेश को आठ विकेट से हराया।

सेमीफाइनल: ऑस्ट्रेलिया ने कोलकाता में दक्षिण अफ़्रीका को तीन विकेट से हराया।


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