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Dr Deepak

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क्रोनिक किडनी डिजीज ( सीकेडी ) या उससे भी गंभीर स्थिति , किडनी फेल होने के बारे में पता चले तो यह बहुत डरावना हो सकता है। किडनी खराब होने के प्रमुख कारणों में से दो है डायबिटीज और ब्लड-प्रेशर।
संवाददाता से बातचीत के दौरान डॉ दीपक धनखड़ में बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट व किडनी डायलिसिस , किडनी फेल होने या क्रोनिक किडनी डिजीज के मामले में सबसे लोकप्रिय व सामान्य उपचार है परंतु इसके दुष्प्रभाव भी है जैसे किडनी ट्रांसप्लांट का रिजेक्ट होना व डायलिसिस के दौरान अनचाहे संक्रमण। किडनी की बीमारियों के लिए प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार आयुर्वेद में उपलब्ध है। जिसका एक उदाहरण मरीज धर्मराम है जो गाँव गच्छिपुरा , मकराना तहसील , नागौर , राजस्थान के निवासी हैं।

साल 2023 में उन्हें उनके किडनी रोग का पता चला उसके बाद महीने दर महीने उनका क्रिएटिनिन लेवल बढ़ता गया , साथ ही उनकी चिंता भी। डॉक्टर ने उन्हें AV फिस्टुला बनाने की सलाह दी व डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उन्होंने AV फिस्टुला बनवा भी लिया लेकिन जब उन्होंने 2  जून  2023 को जांच करवाई तो उनका क्रिएटिनिन लेवल 10 पंहुच चुका था तो डॉ ने उन्हें डायलिसिस के लिए कहा लेकिन जब वह डायलिसिस के लिए गए तो उन्हें पता चला कि उनका AV फिस्टुला अच्छे से mature नहीं हुआ है और उन्हें डायलिसिस के लिए ICU में भर्ती होना पड़ेगा|

हर उम्मीद छोड़ चुके धर्म राम जी को डॉ दीपक धनखड़ के आयुर्वेदिक ईलाज के बारे में पता चला | बिना किसी देरी के उन्होंने डॉ दीपक धनखड़ से संपर्क साधा। डॉ दीपक धनखड़ ने उनकी जांच के बाद उन्हें एक महीने की दवाई दी व एक कस्टम डाइट चार्ट भी बनाकर दिया। पहले ही महीने से उनका क्रिएटिनिन लेवल कम होना शुरू हो गया था जोकि 2 नवम्बर 2023 की रिपोर्ट में 6.76 mg/dl आ गया। धर्म राम जी अपनी इस रिकवरी से काफी खुश है इस रिकवरी से उन्हें एक नई आस मिली है अब वह अपनी बीमारी को भूलकर अपने पारंपरिक काम खेती पर ध्यान देते है व अपने गाँव गच्छिपुरा में दुसरे लोगो को इस बीमारी के प्रति जागरूक करते हैं।

डॉ दीपक धनखड़ ने बताया कि धर्म राम जी की यह रिकवरी सिर्फ इस लिए सम्भव हो पाई क्यूँकि उन्होंने समय से दवाई का सेवन किया व ढंग से डाइट चार्ट का पालन किया | डॉ दीपक धनखड़ ने अनुसार रिकवरी सिर्फ तभी संभव है जब मरीज डॉक्टर की बात का अच्छे से पालन करे ,दवाईयों को उनका असर दिखाने का समय दे , मनमानी करने वाले मरीज में कभी भी रिकवरी नहीं आती।


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