नए सरकार के गठन के साथ शहर विधायक लखनलाल देवांगन को राज्य के केबिनेट में उद्योग, श्रम व वाणिज्य मंत्री का दर्जा मिला है।
Publish Date: Wed, 03 Jan 2024 11:44 PM (IST)
Updated Date: Wed, 03 Jan 2024 11:44 PM (IST)
HighLights
- उद्योग मंत्रालय से दो साल बाद भी नहीं मिली अनुमति
- आइबीपी की भूमि का मिल चुका है आधिपत्य
- उत्पाद खपाने के लिए किसानों को नए सरकार से उम्मीद
कोरबा(नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरबा-कटघोरा के बीच गोपालपुर और करतला विकासखंड के ग्राम चांपा में फूड प्रोसेसिंग पार्क निर्माण के लिए उद्योग विभाग ने दो साल पहले स्थल चिन्हांकित कर लिया है। इसके लिए जमीन भी आवंटित कर दी गई है। गोपालपुर की 10 हेक्टेयर जमीन को आइबीपी के आधिपत्य से वापस लिया गया है। वहीं चांपा की 10 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। उद्योग मंत्रालय से अनुमति नहीं मिलने की वजह से योजना फाइल में गुम हो गई है। नए सरकार के गठन के साथ शहर विधायक लखनलाल देवांगन को राज्य के केबिनेट में उद्योग, श्रम व वाणिज्य मंत्री का दर्जा मिला है। ऐसे में जिले वासियाें में फूड प्रोसेसिंग के अस्तित्व में आने की उम्मीद बंध गई है।
फूड प्रोसेसिंग पार्क परिकल्पना भाजपा शासन के कार्यकाल में छह साल पहले की गई थी। जमीन की समस्या के कारण यह मूर्त रूप नहीं ले सका। तीन साल पहले कांग्रेस शासन के कार्यकाल में योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई। बताना होगा कि गोपालपुर के पास आइबीपी कंपनी संचालन के लिए शासन से 60 हेक्टेय जमीन दी गई थी। जिसमें उसने 50 हेक्टेयर जमीन को कंपनी ने उपयोग किया। संचालित होने के बाद 20 साल पहले आइबीपी कंपनी बंद हो गई अब यहां इंडियन आयल कंपनी का संचालन हो रहा है। इसके बावजूद उसके निकट 10 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ा था।
कांगे्रस के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्य एवं उद्योग के मार्गदर्शन गोपालपुर व करतला विकासखंड ग्राम चांपा स्थित जमीन को आधिपत्य में लेने के लिए जिला उद्योग विभाग से कहा था। जमीन आधिपत्य लेने के बाद भी अधोसंरचना के लिए राशि नहीं मिली। गोपालपुरस फूड प्रोसेसिंग पार्क से कटघोरा व कोरबा के किसानाें को अपने उत्पाद का कच्चा माल खपाने में सहूलियत होगी। वहीं चांपा के उद्योग पार्क से करतला विकासखंड के किसानों को सहूलियत होगी। फूड प्रोसेसिंग पार्क खुलने से सरसो, मूंगफली, तिल व सूर्यमुखी जैसे उत्पादों के लिए तेल उद्योग को बढावा मिलेगा। सुगंधित और पतला चावल के अलावा उससे जुड़े अन्य व्यापार जैसे पोहा, मुर्रा, शुष्क भेल आदि के कारोबार के किसान अपने उत्पाद को उचित कीमत में बेच सकेंगे। सीतापल, अमरूद, जामुन के सेक से जुड़ी उत्पाद के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगने से किसानों को मौसमी फलों से बेहतर लाभ होगा।
पोड़ी उपरोड़ा के झिनपुरी में भी स्थल चिन्हित
उद्योग विभाग की ओर वनांचल उत्पाद सामान तैयार करने के लिए जमीन तलाशी जा चुकी। इस कड़ी में पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम झिनपुरी में भी 10 हेक्टेयर जमीन चिन्हाकित किया गया है। फूड प्रोसेसिंग के लिए उद्योग विभाग ने इसे चिन्हित किया है। हस्तांतरित करने के लिए ग्राम एवं नगर निवेश से अनापत्ति पत्र की मांग की है। चार, चिरौंजी, हर्रा, बहेड़ा के अलावा काष्ठकला से संबंधित उद्योग बढ़ने से स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
48 स्थानों में खुलने थे लघु उद्योग
जिले के विभिन्न 48 स्थानों में 945 हेक्टेर भूमि उद्योग के लिए अधिग्रहित किया गया है। तीन से 10 साल से भी अधिक समय गुजरने के बाद इन स्थानों में उद्योग की शुरूआत नहीं हो सकी है। अधिग्रहित की गई जमीन में लघु, मध्यम व बड़े उपक्रम के प्रस्ताव शामिल हैं। उद्योग शुरू करने के लिए बैंक से ली गई ऋ ण का भुगतान नहीं करने अथवा मामला लंबित होने की वजह से भूमि विवाद में हैं। डेबू व वंदना पावर जैसे वृहत उद्योग अभी तक जनहित में शुरू नहीं हो सके हैं। ऐसे में जिन उद्यमियों ने उद्योग शुरू करने के लिए जमीन के लिए आवेदन किया है, उनके लिए स्थल सुलभ नहीं हो रही।
परवान नहीं चढ़ पाई कुक्कुट आहार योजना
फूड प्रोसेसिंग शुरू होने की उम्मीद से मक्का की खेती को बढ़ावा दिया गया था। कांग्रेस के कार्यकाल में इससे गोठानों को भी शामिल करने की योजना भी बनाई गई थी। महिला समूहों को डेयरी संचालन से लेकर मुर्गी पालन के लिए भी सहयोग किया जा रहा था। कुक्कुट आहार, पापकार्न जैसे व्यवसाय के लिए उत्पाद से अच्छी आमदनी की उम्मीद की जा रही थी। अब योजना को नई सरकार से उम्मीद है।
गोपालपुर और करतला विकासखंड के ग्राम चांपा के भूमि को छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्य व उद्योग ने ने आधिपत्य में है। फूड प्रोसेसिंग पार्क की अधोसंरचना के लिए उद्योग मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद ही निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी।
टीआर कश्यप, महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र