49 मिनट पहले
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नए साल की शुरुआत के बाद पहला त्योहार मकर संक्रांति का होता है। आज देश भर में इस त्योहार की धूम है।
मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है। जानकारी के लिए बता दें कि खिचड़ी भारत का नेशनल फूड यानी राष्ट्रीय भोजन है।
खिचड़ी एक ऐसी डिश है, जिसे छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक सभी खा सकते हैं। कई मंदिरों और भंडारे-भोज में भी इसे “प्रसाद” के रूप में परोसा जाता है।
इसके अलावा जब भी कुछ हल्का खाने का मन हो या जल्दी बनने वाले खाने की बात हो तो खिचड़ी की याद सबसे पहले आती है। खिचड़ी न्यूट्रीशन से भरपूर एक हेल्दी फूड है।
आज जरूरत की खबर में बात करेंगे मकर संक्रांति की डिश खिचड़ी की। साथ ही शरीर को इससे मिलने वाले न्यूट्रीशन और फायदों के बारे में जानेंगे।
एक्सपर्ट: डायटीशियन अंजू विश्वकर्मा
खिचड़ी हम भारतीयों का फेवरेट फूड है। और कौन सी ऐसी डिश है भला, जिसे बीमार होने से लेकर खास मौकों पर भी खाया जाता हो। खिचड़ी न सिर्फ स्वादिष्ट होती है, बल्कि सुपाच्य और पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। छोटे बच्चों से लेकर कमजोर पाचन तंत्र वाले बुजुर्गों तक सबको सूट करती है।
हालांकि खिचड़ी खाने का फायदा तभी होगा, जब इसे पारंपरिक तरीके से बनाया गया हो यानी अरहर, उड़द, मसूर, चना, मूंग की धुली दालों की बराबर मात्रा, चावल, घी, नमक और खूब सारी मौसमी सब्जियां डालकर खिचड़ी बनाई गई हो।
अगर इसमें सिर्फ आलू-चावल, रिफाइंड ऑयल और मसाले होंगे तो खिचड़ी के फायदे नुकसान में बदल जाएंगे।
सवाल: खिचड़ी को पौष्टिक क्यों माना जाता है?
जवाब: असल में खिचड़ी में पड़ने वाली सभी चीजों से शरीर को अलग-अलग पोषक तत्व मिलते हैं। जैसेकि
दाल- कॉम्प्लेक्स कार्ब और प्रोटीन
सब्जियां- विटामिन्स और मिनरल्स
मसाले- एंटीमाइक्रोबियल गुण, एंटीऑक्सीडेंट्स
चावल- कार्बोहाइड्रेट
घी- हेल्दी फैट
सवाल: खिचड़ी से हमारे शरीर को क्या न्यूट्रीशन मिलता है?
जवाब: दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है। साथ ही इसमें पड़ने वाले मसाले जैसे तेजपत्ता, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, इलायची, अदरक और लहसुन एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होते हैं। इसमें जिस घी का तड़का लगता है, वह शुद्ध हेल्दी फैट है। इस तरह देखा जाए तो खिचड़ी एक ऐसा फूड है, जिसमें शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व होते हैं।
सवाल: खिचड़ी खाने से शरीर को क्या फायदा होता है?
जवाब: खिचड़ी का पोषण उसमें मौजूद तत्वों के साथ उसे बनाने के तरीके में भी निहित है। चूंकि दाल-चावल सब्जियों को देर तक पकाया जाता है, इसलिए वह बहुत सुपाच्य हो जाती है।
नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि खिचड़ी के फायदे क्या-क्या हैं-
ऊपर ग्राफिक में लिखे खिचड़ी के फायदों को डीटेल में समझते हैं-
पाचन तंत्र को दुरुस्त रखें – पाचन क्षमता कमजोर होने पर भी ये आसानी से पच जाती है। लिवर पेशेंट को भी डॉक्टर्स खिचड़ी खाने की सलाह देते हैं।
पौष्टिक फूड- खिचड़ी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। 250 ग्राम खिचड़ी में 15 ग्राम फाइबर होता है। फाइबर शरीर के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि यह हमारे गट माइक्रोबायोम्स का भोजन है। साथ ही खिचड़ी फोलेट और आयरन का रिच सोर्स है।
कब्ज- कब्ज में खिचड़ी खाना सुविधाजनक और मुफीद है। खिचड़ी खाने के बाद पेट में भारीपन नहीं रहता और यह जल्दी पच भी जाती है। अगर किसी को दस्त की शिकायत है, तो उसे छिली हुई मूंग दाल की गीली खिचड़ी खाना चाहिए। ये शरीर को कमजोर भी नहीं होने देती। बॉडी को हाइड्रेटेड रखती है क्योंकि इसमें मौजूद दाल और चावल दोनों वॉटर बेस्ड होते हैं।
वजन कम करने में मददगार- बढ़ते वेट को कम करने और फूड क्रेविंग को कंट्रोल करने के लिए दिन में एक बार खिचड़ी खा सकते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में मददगार होती है, जिससे वजन भी नियंत्रण में रहता है। साथ ही ये कम कैलोरी वाली डिश है।
लेकिन वेट कंट्रोल में रखने के लिए कैलोरी को बर्न करना जरूरी है। इसलिए नीचे दिए ग्राफिक से समझिए कि खिचड़ी से मिलने वाली कैलोरी को आप कैसे बर्न करके वेट को कंट्रोल में रख सकते हैं।
एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: मूंग दाल में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं, जो पेट और आंतों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इससे इरीटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी पेट की समस्याएं होने का खतरा भी कम हो जाता है। इसे नींबू और छाछ के साथ भी ले सकते हैं। इससे खिचड़ी के फायदे और बढ़ जाते हैं।
सवाल: किन लोगों को अपनी डाइट में खिचड़ी शामिल करनी चाहिए?
जवाब: न्यूट्रीशन रिलेटेड लगभग सभी जरूरतों को खिचड़ी पूरा करती है। इसलिए इन लोगों को इसे अपनी डेली डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
- बच्चों को अच्छी ग्रोथ के लिए
- अंडरवेट और ओवरवेट लोगों को
- जिन्हें ब्लोटिंग, अपच, गैस, एसिडिटी की प्रॉब्लम है
- लिवर पेशेंट्स को
- वायरल फीवर, उल्टी-दस्त होने पर
चलते-चलते…
खिचड़ी का इतिहास
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा के बारे में बाबा गोरखनाथ का एक किस्सा है।
दरअसल अलाउद्दीन खिलजी ने जब भारत पर आक्रमण किया था तो पूरे देश में हड़कंप मच गया। युद्ध के दौरान नाथ योगियों के पास खाना बनाने का समय नहीं रहता था, न ही ज्यादा साम्रगी। इस वजह से योगी दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे थे।
ऐसे में बाबा गोरखनाथ को एक तरकीब सूझी कि क्यों न दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर खाने के लिए कुछ बनाया जाए। इसके बाद जब इन सारी चीजों को मिलाकर कुछ नया पकाया गया तो बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन बनकर तैयार हुआ। इसे बनाने में कम समय और मेहनत लगी। इसके बाद बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन को खिचड़ी नाम दिया। जब अलाउद्दीन खिलजी के साथ युद्ध खत्म हुआ तो मकर संक्रांति के दिन खुशियां मनाई गईं। फिर इस दिन सभी के लिए खिचड़ी बनाई और बांटी गई। ऐसी मान्यता है कि उसके बाद से ही मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा शुरू हुई।
आप सभी को मकर संक्रांति की ढेर सारी शुभकामनाएं।