डॉक्टरों ने बताया कि मरीज के लीवर में गुब्बारे जैसा एक सिस्ट (तरल पदार्थ) भरा हुआ था. इसके कारण ही गॉल ब्लैडर जिसे पित्ताशय की थैली भी कहा जाता है, उसका पता लगा पाना मुश्किल हो गया था. कोलकाता के अस्पताल में सर्जरी से इनकार किए जाने के बाद दिल्ली के निजी अस्पताल के रोबोटिक सर्जन ने सर्जरी की तैयारी की. इसके बाद टीम ने उस मरीज की सफलतापूर्वक इंडोसायनिन ग्रीन एआई फ्लोरोसेंस-असिस्टेड पित्ताशय की सर्जरी की.