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- 100 से ज्यादा फूड सप्लाई चेन, हजारों बाइकर्स, लाइसेंस गिनती के
- फल, सब्जी, दूध, आइसक्रीम समेत हजारों सप्लायर्स, मगर चेकिंग किसी की भी नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में 100 से ज्यादा फूड सप्लाई चेन हैं, इनके लिए काम करने वाले मसलन खाने का सामान सप्लाई करने वाले बाइकर्स की संख्या हजारों में है। इन सभी बाइकर्स के लिए खाद्यान्न विभाग का लाइसेंस लेना सूबे की योगी सरकार ने अनिवार्य किया है, ताकि आम जन के स्वास्थ्य के साथ कोई खिलवाड़ न कर सके, लेकिन सच्चाई इसके उलट है, अनिवार्य रूप से लाइसेंस लेने का कानून होने के
बाद भी फूड सप्लाई चेन से जुड़ी किस कंपनी के कितने बाइकर्स सप्लायर्स ने फूड लाइसेंस लिया है, ग्राउंड जीरों पर पहुंचकर इसकी सच्चाई जानने की फुर्सत लगता है फूड अफसरों को नहीं है, लेकिन सामाजिक सरोकारों के प्रति कटिबद्ध जनवाणी ने इस दायित्व को समझा और ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर बाइक होल्डर सप्लायर्स से रूबरू होकर लाइसेंस की अनिवार्यता की जमीनी हकीकत हासिल करने का प्रयास किया।
ग्राउंड रिपोर्ट
- सुबह 10 बजे
शहर के आउटर पार्ट रुड़की रोड मोदीपुरम फ्लाईओवर के नीचे सुबह बड़ी संख्या में तमाम प्रमुख कंपनियों के फूड सप्लाई करने वाले बाइकर्स जमा होते हैं। संवाददाता ने इन युवकों से उनके कामकाज व दूसरी बातों को लेकर बात की। उस दौरान लाइसेंस को लेकर जब सवाल किया तो उनमें से ज्यादातर ने लाइसेंस को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की और साफ किया कि जिस कंपनी में वो काम करते हैं, लाइसेंस के बारे में तो वही मुनासिब जवाब दे सकती है।
- दोपहर 1 बजे
बेगमपुल स्थित एक ढाबा जहां कई फूड सप्लाई का काम करने वाले कंपनी के बाइकर्स युवक जो आर्डर दिया था। उसका पैकिंग लेने को पहुंचे थे। संवाददाता ने अपना परिचय देते हुए जब लाइसेंस की अनिवार्यता की बात बताते हुए लाइसेंस होने को लेकर सवाल किया तो ज्यादातर चुप रहे। एक युवक ने जरूर उत्तर दिया। उसने बताया कि लाइसेंस फीस ज्यादा नहीं है, जिस कंपनी के लिए हम काम करते हैं, फूड सप्लाई लाइसेंस लेने का काम उनका है।
- रात 9 बजे
सदर बोम्बे बाजार हनुमान चौक से शिव चौक तक का रास्ता जहां बड़ी संख्या में ब्रांडेड कंपनी की आइसक्रीम बेचने वाले हॉकर खड़े होत हैं। संवाददाता ने जब इन हॉकर्स से आइसक्रीम खरीदने के बाद पूछा कि क्या कभी कोई चेकिंग के लिए आता है या कोई सैंपल और लाइसेंस की तो परेशानी नहीं होती तो सवाल पर हैरानी जताते हुए आइसक्रीम बेच रहे युवक ने उत्तर दिया कि उनका सैंपल या लाइसेंस से क्या लेना? उन्होंने बताया कि वो तो सीधे डिस्ट्रीब्यूटर्स के यहां से ठेला उठाकर आते हैं। उनका कोई लाइसेंस नहीं है न कोई आज तक चेक करने को आया।
- रात 11 बजे
शास्त्री नगर सेंट्रल मार्केट में जहां चाट पकौड़ी व फास्ट फूड के स्टाल व ठेले लगे हुए हैं। अकेले सेंट्रल मार्केट के छोटे से हिस्से में दर्जनों युवक लोगों को खाना सर्व कर रहे हैं। आन लाइन डिलीवरी भी कर रहे हैं, जब उनसे बात की तो एक भी युवक ऐसा नहीं मिला जिसको यह भी जानकारी हो कि जो काम वह कर रहा है। उसके लिए खाद्यान्न विभाग का लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बल्कि एक युवक ने यह पूछा कि यह कानून कब से आया है।
इनके लिए भी है अनिवार्य
आॅनलाइन फूड चेन के लिए काम करने वाले बाइकर्स के अलावा जिन अन्य के लिए खाद्यान्न का लाइसेंस लिया जाना अनिवार्य है। उनमें सब्जी बेचने वाला, चाय व कॉफी का ठेला व स्टाल लगाने वाला, घर-घर जाकर दूध सप्लाई करने वाला, मल्टीनेशनल कंपनी के पैकेज फूड की सप्लाई करने वाले समेत तमाम प्रकार के फूड को बेचने व सप्लाई करने वाले के लिए खाद्यान्न विभाग से लाइसेंस लिया जाना अनिवार्य है। यह सरकार का कानून है, जिसका अनुपालन कितनी गंभीरता से कराया जा रहा है
इसका अंदाजा ग्राउंड जीरो पर जाकर की गयी रिपोर्टिंग से लगाया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर स्याह हकीकत ये भी है कि खाद्यान्न विभाग के जिन अफसरों की इसको लेकर जिम्मेदारी दी गयी है, ग्राउंड जीरो पर जो हालात मिले उससे यह तो साफ हो गया कि जिस काम की सेलरी सरकार से ले रहे हैं वो काम या तो बिलकुल नहीं कर रहे हैं या फिर पूरी शिद्दत के साथ नहीं किया जा रहा है। वर्ना ऐसा क्या कारण है जो महज 100 रुपये फीस का लाइसेंस सभी हॉकर्स बनवाएं इसको सख्ती से लागू नहीं किय जा रहा है। लगता है कि लोगों की स्वास्थ्य व सुरक्षा से कोई सरकार इन अफसरों को नहीं रह गया है।
अनिवार्य है लाइसेंस
खाद्यान्न विभाग के अभिहित अधिकारी दीपक वर्मा का कहना है कि फूड चेन से जुड़े सभी के लिए लाइसेंस बनवाना जरूरी है, क्योंकि आम आदमी की सेहत से जुड़ा यह मामला है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। वहीं, दूसरी ओर जब एडिशन कमिश्नर फूड विष्णुकांत वर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने खुद के नोएडा में चल रहे एस्पो में व्यस्त होने की जानकारी दी।
ये कहना है आरटीआई एक्टिविस्ट का
उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष व आईटीआई एक्टिविस्ट लोकेश अग्रवाल से जब इस संबंध में जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि सच्चाई तो यह है कि केवल पर्व के मौके पर ही अफसर बाहर निकलते हैं, लेकिन ईद का पर्व हो तो बाहर भी नहीं निकलते। सच्चाई तो यह है कि जितने लोग फूड सप्लाई चेन से जुड़े हैं। उनमें से कुछ ही के पास लाइसेंस होगा। इस संबंध में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गयी है।
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