शहरी भारतीयों का सबसे बड़ा डर, बजट से पहले सता रही भोजन और नौकरी की चिंता


शहरों में रहने वाले भारतीयों को अभी भोजन और नौकरी की चिंता सबसे ज्यादा सता रही है. बजट से पहले किए गए एक सर्वेक्षण में शहरी भारतीयों ने बढ़ती महंगाई खासकर खाने-पीने की चीजों की महंगाई और वैश्विक छंटनी के बीच जॉब सिक्योरिटी को सबसे बड़ी चिंता बताया है.

अगले सप्ताह आने वाला है बजट

यह जानकारी सामने आई कांतार इंडिया यूनियन बजट सर्वे 2024 में, जिसे इस सप्ताह बुधवार को जारी किया गया. यह प्री-बजट सर्वे आगामी बजट से ठीक एक सप्ताह पहले आया है. अगले सप्ताह 31 जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत हो रही है और अगले गुरुवार को नया बजट आने वाला है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए यह अंतरिम बजट 1 फरवरी को आएगा. आसन्न लोकसभा चुनाव के चलते फरवरी में पूर्ण बजट के बजाय अंतरिम बजट आएगा.

हर दूसरे भारतीय को महंगाई से परेशानी

कांतार इंडिया के सर्वे के अनुसार, बढ़ती महंगाई से 57 फीसदी भारतीय चिंतित हैं. पिछले साल बजट से पहले सिर्फ 27 फीसदी भारतीयों को महंगाई की चिंता सता रही थी. अभी का आंकड़ा बताता है कि महंगाई हर दूसरे भारतीय की चिंता है. महंगाई में भी लोगों को फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों की महंगाई की चिंता सबसे ज्यादा है.

इस तरह से बढ़ रही है महंगाई

लोगों की महंगाई से जुड़ी चिंता बेबुनियाद भी नहीं है. पिछले महीने यानी दिसंबर 2023 में खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 5.69 फीसदी रही थी. बीते दो महीने में खुदरा महंगाई की दर में करीब 1 फीसदी की तेजी आई है. अक्टूबर 2023 में खुदरा महंगाई 4.87 फीसदी और नवंबर 2023 में 5.55 फीसदी रही थी. दिसंबर में थोक महंगाई भी बढ़कर 9 महीने के उच्च स्तर 0.73 फीसदी पर पहुंच गई थी. महंगाई दर में लगातार बढ़ोतरी का कारण फूड इंफ्लेशन में आ रही तेजी है.

छंटनी से परेशान हर तीसरा इंसान

सर्वे में हर तीन में से एक शहरी भारतीय ने दुनिया भर में चल रही छंटनी की लहर के बीच जॉब सिक्योरिटी को भी अपनी प्रमुख चिंता बताया है. छंटनी का हाल देखें तो 2024 में अब तक कई नामी कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी हैं, जिनमें गूगल और अमेजन जैसे नाम भी शामिल हैं. छंटनी की रफ्तार नए साल में धीमी होने के बजाय और तेज हो गई है. टेक कंपनियों के अलावा अन्य सेक्टरों में भी छंटनी का असर दिख रहा है.

भारत की आर्थिक वृद्धि पर भरोसा

शहरी भारतीय की अन्य प्रमुख चिंताओं में आर्थिक सुस्ती (इकोनॉमिक स्लोडाउन) और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे युद्ध भी शामिल हैं. आर्थिक सुस्ती व आर्थिक मंदी 48 फीसदी लोगों के लिए चिंता की बात है, जबकि युद्ध के कारण 45 फीसदी लोग चिंतित हैं. हालांकि अच्छी बात ये है कि ज्यादातर भारतीय आर्थिक वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं. सर्वे में शामिल 57 फीसदी लोगों ने इस बात का भरोसा जाहिर किया कि 2024 में भी भारत अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को मात देकर सबसे तेज गति से तरक्की करेगा.

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