संवाद न्यूज एजेंसी
औरैया। शासन स्तर से जिले में पंजीकृत ऑटो की क्षमता एक हजार निर्धारित है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की सर्वे में जिले भर की सड़कों पर चार हजार से ज्यादा ऑटो फर्राटा भर रहे हैं। तादाद इस कदर बढ़ी है कि परमिट पर संचालित बसों के संचालन से मुनाफा तो छोड़िए लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। पिछले छह माह में जिले की 10 परमिट आधारित बसों को संचालकों ने सरेंडर कर दिया है। अधिकारियों ने वजह तलाशी तो ऑटो की बढ़ी तादाद सामने आई है।
ककोर स्थित संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में आठ सौ के करीब ऑटो का रजिस्ट्रेशन है। जिले में शासन स्तर से 1000 ऑटो संचालित होने की क्षमता निर्धारित है, लेकिन एआरटीओ कार्यालय के अधिकारियों की समीक्षा में जिले के विभिन्न रूटों पर चार हजार के करीब ऑटो फर्राटा भर रहे हैं। सीमा से सटे पड़ोसी जनपदों के ऑटो चालक भी जिले में घुस आ रहे हैं।
सुरक्षा के लिहाज से खरी मानी जाने वाली बसें घाटे में जाने लगी हैं। जल्दबाजी के चक्कर में सवारियां शहर कस्बों के आवागमन को लेकर ऑटो से सफर करती हैं, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से पिछले पांच सालों में जिस कदर से नियमों को दरकिनार कर ऑटो पंजीकृत किए गए हैं, उसका खामियाजा बस संचालकों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में यातायात पुलिस व परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर बुनियादी खामियों पर काम शुरू करने की तैयारी की है।
जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों अजीतमल, ऐरवाकटरा, बिधूना, बेला, अछल्दा, औरैया व सहार में बड़े पैमाने पर ऑटो के संचालन को लेकर चेकिंग अभियान चलाया जाएगा।
ऑटो के पीछे की मंशा थी स्वरोजगार, लोगों ने बना दिया उद्योग
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक सीएनजी आधारित ऑटो के संचालन की शुरुआत मध्यम वर्ग के बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास था। चालक बनकर वह परिवार का भरण-पोषण करते, लेकिन कुछ लोगों ने इसे उद्योग बनाकर बेरोजगारों को मेहनताने तक सीमित कर दिया है। सूत्रों की माने तो जिले में कई लोग ऐसे हैं जिनके द्वारा ऑटो खरीदकर दूसरे लोगों से चलवाए जा रहे हैं। रोजाना का मेहनताना से लेकर किराया की व्यवस्था अपनाई जा रही है। पुलिस व प्रशासन की सख्ती के अभाव में दिनों दिन ऑटो की संख्या बढ़ती जा रही है।
औरैया-दिबियापुर-बेला-बिधूना रूट पर संचालित थी 15 बसें, अब महज तीन
जिले की अहम मार्ग में शामिल औरैया-दिबियापुर-बेला-बिधूना पर परमिट आधारित प्राइवेट बसों की संख्या छह वर्ष पूर्व 15 थी। वर्तमान समय में महज तीन बसें ही इस रूट पर चलती हैं। बस संचालक अशोक कपूर ने बताया कि बस का संचालन बमुश्किल कराया जा रहा है। प्रति वर्ष औसतन घाटा ही हो रहा है।
ऑटो की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। अन्य जनपदों के ऑटो जिले की सीमा दाखिल न हो इसे लेकर प्रवर्तन टीम की चौकसी बढ़ा दी गई है। जल्द ही बड़े स्तर पर चेकिंग अभियान को चिह्नित रूटों पर कराया जाएगा। परमिट आधारित बसों का सरेंडर रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। – अशोक कुमार, एआरटीओ औरैया