साउथ इंडियन खाने के लिए 1100 क्वार्टर और लिट्टी चोखा के लिए जेके रोड बनी पसंदीदा जगह


शहर में अलग-अलग जगह खाने के लिए फेसम होती जा रही हैं, जिस तरह जेके रोड लिट्टी-चोखा का गढ़ बन चुका है, जहां हर दिन 4000 से 5000 हजार लोग यहां लगे 30 से ज्यादा स्टॉल्स पर बिहार का यह व्यंजन खाने पहुंचते हैं। कुछ इसी तरह 1100 क्वार्टर रोड साउथ इंडियन फूड का हब बन गया है। यहां रोजाना एक दर्जन से अधिक ठेलों पर साउथ इंडियन फूड का स्वाद लेने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं। सुबह ऑफिस टाइम और शाम को यहां साउथ इंडियन फूड के शौकीनों का जमावड़ा लगता है। दुकानदारों से बात करने पर यह पता चला कि यहां अधिकांश मराठी और साउथ के लोग ही साउथ इंडियन फूड के ठेले लगा रहे हैं। हर दिन लगभग 5000 से ज्यादा लोग चटखारे लेने पहुंचते हैं।

पिछले डेढ़ दशक से लग रहीं दुकानें

1100 क्वार्टर के दुकानदार मुकेश बाइसकर ने बताया कि वे पिछले डेढ़-दो दशक से दुकान लगा रहे हैं। इनकी दुकान सुबह सिर्फ चार घंटे खुलती है। दुकानदार अरूण लोखंडे ने बताया कि मैं पिछले एक दशक से यहां दुकान लगा रहा हूं। पहले यहां तीन-चार दुकाने लगती थीं, लेकिन अब यहां एक दर्जन से अधिक साउथ इंडियन फूड की दुकानें लग रही हैं।

कोयल की आंच में तपती है लिट्टी

जेके रोड पर परोसी जाने वाली लिट्टी कोयल की जांच में तपती है। जिससे उसका स्वाद स्मोकी हो जाता है। देसी अंदाज में बनाई जाने वाली लिट्टी में सत्तू मिलाया जाता है। साथ में बैगन का भरता और आलू की रसे वाली सब्जी दी जाती है। स्वाद में में तीखे का तड़का लगाने के लिए हरी और लाल चटनी और एक तली मिर्ची के साथ इसको परोसो जाता है। दिनभर में एक स्टॉल पर 100 से अधिक लोग इसको खाने आते हैं। इसका रेट मात्र 20 से 50 रुपए है, जिससे अच्छा खासा पेट भर जाता है। -नीलेश साहू, वेंडर, जेके रोड

इडली-डोसे के स्टॉल ने कैफे तक पहुंचाया

घर में बने मसालों से हम साउथ इंडियन फूड बनाते हैं। इन मसालों को घर लाकर सूखाते हैं और उसके बाद उन्हें पीसते हैं। तब कहीं जाकर खाने में स्वाद आता है। इसी स्वाद की वजह से बड़ी संख्या में लोग हमारी दुकान में आते हैं। इसी स्टॉल की वजह से मेरा कोलार में साउथ इंडियन फूड कैफे भी शुरू हो चुका है। -करण कुंडे, वेंडर, 1100 क्वार्टर

यहां के मसाले डोसे की बात ही अलग है

यहां के मसाले डोसे की बात ही अलग है। बड़ी दुकानों के मसाले डोसे में भी वो बात नहीं है, जो यहां के मसाले डोसे में होती है। मसालों का स्वाद बिल्कुल प्योर लगता है। दूसरी दुकानों का एक डोसा भी पूरा नहीं खा पाते लेकिन यहां का डोसा इतना लाइट होता है कि दो-दो मसाले डोसे एक के बाद एक खाए जा सकते हैं। -अल्ताफ मलिक, स्टूडेंट

रेट कम और स्वाद लाजवाब है

1100 क्वार्टर वाले स्टॉल पर मिलने वाले साउथ इंडियन फूड का स्वाद बड़ी दुकानों से लाख गुना अच्छा है। साथ ही इनके रेट इतने कम हैं कि कोई भी कभी भी आकर यहां आसानी इस खाने का आनंद ले सकता है। -प्रथम यादव, स्टूडेंट


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