करारी जलेबी के साथ इस दुकान पर तोलकर मिलता है कचोरी-समोसा, सस्त है नाश्ता


दीपक पांडेय/खरगोन: किसी भी शहर में पुरानी और पारंपरिक व्यंजनों की दुकान के स्वाद की बात ही कुछ और होती है. अलग स्वाद के लिए पहचान बनाने वाली ऐसी दुकानों पर शौकीनों की भीड़ लगी रहती है. खारगौन में भी 80 साल पुरानी इस दुकान पर जलेबी, समोसा और कचोरी खाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

दरअसल, यह दुकान पूरे खरगोन में सालगराम जलेबी वाला के नाम से फेमस है. यहां की जलेबी की डिमांड किसी भी मौसम में ज्यादा ही रहती है. यही नहीं, सुबह 8:30 बजे से रात 9:00 बजे तक दिनभर में करीब 1600 से ज्यादा कचोरी और समोसा भी इस दुकान से बिक जाता है. क्योंकि ऐसा स्वाद पूरे शहर में और कहीं नहीं मिलता.

किलो के भाव मिलता है नाश्ता
वैसे तो खरगोन में नाश्ते के लिए दुकानों की कोई कमी नहीं है. लेकिन, शहर के बीच राधावल्लभ मार्केट में स्थित सालगराम जलेबी वाले की दुकान की बात कुछ अलग है. इनके यहां के नाश्ता का स्वाद में जितना लाजवाब है, उतना ही खाने में यूनिक भी. आमतौर पर नाश्ता 10 रुपये, 20 रुपये नग में मिलता है, लेकिन यहां किलो के भाव मिलता है. अगर आपको कचोरी या समोसा खाना है तो यहां तौल कर दिया जाएगा.

दादा ने शुरू की जलेबी बनाना
दुकान के संचालक प्रदीप कोठाने बताते हैं कि इस नाम के साथ उनकी दुकान को 80 साल से ज्यादा समय हो चुका है. उनके दादा स्वर्गीय सालगराम ने शहर के रामपेठ मोहल्ले में जलेबी की दुकान शुरू की थी. उनका दावा है की खरगोन में 100 साल से भी ज्यादा समय पहले जलेबी बनाने की शुरुआत सबसे पहले उनके दादा ने ही की थी. बताया कि दादा को दिखता नहीं था, इसके बावजूद वह जलेबी बनाते थे. वहीं दादी को सुनाई नहीं देता था, इसलिए वह जलेबी बेचती थी. दोनों मिलकर यह दुकान चलाते थे.

रोज बिकती है इतनी कचोरी-समोसा
प्रदीप बताते है कि करीब 56 साल तक उन्होंने रामपैठ मोहल्ले में दुकान चलाई. सन 1987 में उन्होंने अपनी इसी दुकान में जलेबी के अलावा कचोरी, समोसा भी बेचना शुरू किया. लेकिन, उनका तरीका अलग था. जहां सभी नग से नाश्ता देते थे, उन्होंने तोल से देना शुरू किया. बाद में यहां किसी कारण दुकान बंद करनी पड़ी. 2001 में फिर से वल्लभ मार्केट में दुकान शुरू की. यहां भी तौल वाला पैटर्न ही रखा. अब दिनभर में 40 किलो से ज्यादा नाश्ता बिक जाता है, यानी करीब 1600 से ज्यादा कचोरी और समोसा वह रोज बेचते हैं.

200 रुपये किलो है रेट 
प्रदीप बताते है कि वह 200 रुपये किलो कचोरी और समोसा बेचते हैं. एक किलो में 40 से ज्यादा कचोरी आती है. मतलब लोगो को सिर्फ 5 रुपये में नाश्ता मिल जाता है, जबकि अन्य जगहों पर 10 से 15 रुपये देने पड़ते हैं. प्रदीप उनके पिता और बेटे यानी तीन पीढियां मिलकर एक साथ दुकान चला रहे है. जलेबी, समोसा, कचोरी के अलावा यहां इमरती, खमण, गुलाब जामुन, फाफड़ा, शक्कर पारे, सेव मिक्चर भी मिलते हैं.

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