प्रतीकात्मक तस्वीर

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कई रिसर्च ये बता चुके हैं कि कोई भी ग्राहक फ़ूड आइटम का एक पैकेट ख़रीदने में 6-10 सेकेंड का ही वक़्त लगाता है.

ग्राहक ज़्यादा से ज़्यादा उसकी एक्सपायरी डेट देखते हैं और उसकी क़ीमत.

लेकिन उस पैकेट के पीछे की साइड पर बहुत सी ऐसी ज़रूरी जानकारियां होती हैं जो आपको पढ़ना आ जाए तो शायद आप वो पैकेट ना भी ख़रीदें.

लेकिन वहाँ ये जानकारियां इस तरह लिखी होती हैं कि ग्राहक को समझ नहीं आता कि ये वाक़ई में उसके स्वास्थ्य के लिए ठीक है या नहीं.

आप पैकेट पर दिए गए पोषण संबंधी तथ्यों को देख कर अंदर के खाने की गुणवत्ता का आकलन करना सीख सकते हैं.

किसी चीज़ को ख़रीदने का आधार अगर उसमें विटामिन या मिनरल की कुछ मात्रा का होना है तो वो तभी फ़ायदेमंद है, जब उसके बाक़ी घटकों की मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ना हो.

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि भारत में जो फ़ूड लेबलिंग होती है वो ये मान कर होती है कि एक व्यक्ति की डायट 2000 किलो कैलरी है. इसे स्टैंडर्ड मान कर हर फ़ूड पैकेट में रेकमेंडेड डायटरी अलाउंस (आरडीए) भी तय किया गया है.

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