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अमेरिका में रहने वालीं भारतीय मूल की भाविनी पटेल अब अमेरिकी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने जा रहीं हैं. वो अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के लिए चुनावी दौड़ में शामिल होने जा रहीं हैं.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुकीं भाविनी पटेल के लिए ये सफर तय करना काफी मुश्किल था. एक वक्त था जब उन्होंने अपनी मां की मदद करने के लिए ‘इंडिया ऑन व्हील्स’ नाम से फूड ट्रक चलाया था. इसके बाद उन्होंने एक टेक स्टार्टअप भी शुरू किया.
30 साल की भाविनी पटेल ने पिछले साल 2 अक्टूबर को चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. वो पेन्सिल्वेनिया के 12वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से चुनाव लड़ेंगी. मौजूदा समय में यहां से डेमोक्रेटिक पार्टी की समर ली सांसद हैं. हालिया समय में समर ली की लोकप्रियता काफी कम हुई है.
समर ली कुछ उन चुनिंदा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल जून में अमेरिकी कांग्रेस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का बहिष्कार किया था.
जुटाई 3 लाख डॉलर से ज्यादा की रकम
पेन्सिल्वेनिया में इस साल 23 अप्रैल को प्राइमरी चुनाव होने हैं. इस चुनाव के लिए भाविनी पटेल ने 3.10 लाख डॉलर की रकम जुटाई है. उनका दावा है कि इसमें से 70 फीसदी रकम राज्य के अंदर से ही जुटाई गई है.
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समर ली की लोकप्रियता में कमी आने का फायदा भाविनी पटेल को मिल सकता है. उन्होंने बताया कि कई लेबर यूनियन ने उन्हें समर्थन दिया है. इसके साथ ही उन्हें एक बड़ी आबादी का भी समर्थन भी हासिल है.
इनके अलावा, भाविनी पटेल को लगभग 33 चुने हुए अधिकारियों का समर्थन भी हासिल है. इनमें छोटे शहरों के मेयर्स के साथ-साथ काउंसिल के सदस्य भी शामिल हैं.
उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने घर-घर जाकर लोगों से बात की है. लोग भी हमारे कैंपेन को लेकर उत्साहित हैं, जिसका मकसद पेन्सिल्वेनिया को विकास के रास्ते पर लाना है. उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले लोगों को कई तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है, जिसका समाधान जरूरी है.
भाविनी पटेल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की कट्टर समर्थक हैं. वो बाइडेन को अब तक का सबसे प्रोग्रेसिव राष्ट्रपति मानती हैं.
गुजरात से हैं भाविनी पटेल
भाविनी पटेल के परिवार की जड़ें गुजरात से हैं. 80 के दशक में उनकी मां गुजरात से अमेरिका आ गई थीं.
अपनी मां के बारे में भाविनी बताती हैं, ‘वो बहुत कम पैसे लेकर इस देश में आई थीं. मुझे लगता है कि ये एक ऐसी कहानी है जो कई प्रवासी भारतीयों की कहानी जैसी है. जब वो यहां आईं, तो उन्होंने मेरी और मेरे भाई की माता और पिता, दोनों की तरह परवरिश की. यहां आने के बाद कई जगह घूमे. इधर-उधर भटके. कभी रेस्टोरेंट में बर्तन तक धोए.’
उन्होंने बताया, ‘आखिरी में मेरी मां मोनरोविले आ गईं, जो पश्चिमी पेन्सिल्वेनिया का एक छोटा सा शहर है. यहीं पर हमने छोटा सा फूड बिजनेस शुरू किया. यहां के स्थानीय पटेल भाइयों को समोसे और पेस्ट्री बेची. यहां से एक फूड ट्रक शुरू किया.’ उन्होंने बताया कि उनका परिवार पिछले 25 साल से फूड ट्रक चला रहा है.
उन्होंने बताया कि पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के कैम्पस में दो फूड ट्रक चलते हैं, जहां भारतीय खाना परोसा जाता है. इसे ‘इंडिया ऑन व्हील्स’ कहा जाता है.
परिवार की पहली ग्रेजुएट हैं भाविनी
भाविनी पटेल ने पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. वो अपने परिवार की पहली ग्रेजुएट हैं. यहां से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने स्कॉलरशिप लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री हासिल की.