नई दिल्ली. क्रिकेट में ‘डबल रोल’ निभाने वाले प्लेयर कम ही होते हैं. किसी भी टीम में ऑलराउंडर की संख्या बमुश्किल एक या दो ही होती है. इससे इतर कुछ बॉलर ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने मैदान में अलग ही तरह का ‘रोल’ निभाया है. ये तेज या मध्यम तेज बॉलिंग में प्रवीण थे और स्पिन गेंदबाजी में भी. इंटरनेशनल मैचों में यह खास कौशल दिखाते हुए ये विकेट भी ले चुके हैं. इन प्लेयर में सबसे प्रमुख नाम सर गारफील्ड सोबर्स और सचिन तेंदुलकर का है.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी सोबर्स की गिनती बाएं हाथ के सर्वकालीन महान ऑलराउंडरों में होती है. बेहतरीन बैटर होने के साथ तेज और स्पिन गेंदबाजी, दोनों में वे समान रूप से पारंगत थे. फिंगर स्पिनर के अलावा रिस्ट स्पिनर के तौर पर भी उन्होंने सफलताएं हासिल कीं. यही बात सचिन तेंदुलकर के लिए कही जा सकती है. सचिन मध्यम गति के गेंदबाज होने के साथ ऑफ स्पिन और लेग स्पिन में भी माहिर थे. दाएं हाथ के रिस्ट स्पिनर के तौर पर तो उन्होंने खूब विकेट लिए.
नजर डालते हैं, ऐसे क्रिकेटरों पर जिन्होंने इंटरनेशनल मैचों में तेज/मध्यम गति के बॉलर के साथ स्पिनर का रोल भी निभाया..
गैरी सोबर्स बेहतरीन आलराउंडर तो थे ही, वे तेज गेंदबाजी के साथ स्पिन बॉलिंग में भी निपुण थे. Garry Sobers/X
सर गैरी सोबर्स : विश्व क्रिकेट के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रेडमैन को एक बार गैरी सोबर्स (Garry Sobers) को ‘फाइव इन वन’ क्रिकेटर बताया था. विकेटकीपिंग के अलावा ऐसी कोई विधा नहीं थी जिसमें सोबर्स पारंगत न हों. बेहतरीन बैटर और आला फील्डर होने के अलावा वे हर तरह की गेंदबाजी कर सकते थे. बाएं हाथ से सीम-स्विंग बॉलिंग और बाएं हाथ से ही ऑर्थोडॉक्स व अनआर्थोडॉक्स बॉलिंग (चाइनामैन). वेस्टइंडीज के सोबर्स ने वैसे तो तीनों तरह की बॉलिंग से विकेट लिए लेकिन करियर के ज्यादातर मैचों में उन्होंने परंपरागत शैली की स्पिन बॉलिंग की. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे पहले एक ओवर में 6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड सोबर्स ने ही बनाया था. 93 टेस्ट में 57.78 के औसत से 8032 रन (26 शतक, उच्च स्कोर 365*) के साथ 34.03 के औसत से 235 विकेट उन्होंने लिए थे.
सचिन तेंदुलकर मध्यम गति की गेंदबाजी के साथ साथ ऑफ स्पिन और लेग स्पिन भी करते थे. (AFP)
सचिन तेंदुलकर : मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. क्रिकेट के कई रिकॉर्ड उनके नाम पर हैं. इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 शतक बनाने वाले सचिन ने ही ODI में सबसे पहले दोहरा शतक बनाया था. 200 टेस्ट में 53.78 के औसत से 15921 रन और 463 वनडे में 44.83 के औसत से 18426 रन बनाने वाले सचिन बेहतरीन बॉलर भी थे. हालांकि उनकी बैटिंग की धमक के आगे बॉलिंग कौशल दबा-दबा रहा. सचिन मध्यम गति के बॉलर होने के साथ ही स्पिन में भी निपुण थे. वे ऑफ ब्रेक और और लेग ब्रेक/गुगली भी फेंकते थे. दाएं हाथ के रिस्ट स्पिनर के तौर पर तो उन्होंने कई दिग्गज बल्लेबाजों को आउट किया. टेस्ट में 46 और वनडे में 154 विकेट उन्होंने हासिल किए. सचिन अपनी गेंदों को काफी टर्न कराने में सफल होते थे. उनकी तारीफ करते हुए हरभजन ने एक बार कहा था कि हम स्पेशलिस्ट स्पिनरों से ज्यादा गेंद टर्न तो पाजी (सचिन) करा लेते हैं.
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करसन घावरी : जहीर खान, इरफान पठान और आशीष नेहरा के इंटरनेशनल क्रिकेट में आने से पहले करसन घावरी (Karsan Ghavri) को देश के बाएं हाथ के बेहतरीन तेज गेंदबाज होने का रुतबा हासिल रहा. गुजरात के घावरी ने कई मैचों में कपिलदेव के साथ भारत की तेज गेंदबाजी की शुरुआत की. तेज गेंदबाज होने के साथ घावरी अच्छे स्पिनर भी थे. उन्होंने शुरुआती क्रिकेट लेग स्पिनर के तौर पर ही खेली थी. एक मैच में तेज गेंदबाज की कमी होने पर घावरी ने इसमें हाथ आजमाया और फिर इसी हैसियत से भारतीय टीम में जगह बनाई. घावरी तेज गेंदबाज के साथ-साथ स्पिनर के तौर पर भी टेस्ट की पारी में 5 विकेट ले चुके हैं. फरवरी 1977 में इंग्लैंड के खिलाफ बंबई (अब मुंबई) टेस्ट में तेज गेंदबाजों को ज्यादा मदद नहीं मिल रही थी तब लेग स्पिन बॉलिंग करते हुए घावरी ने 5 विकेट हासिल किए थे. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक टेस्ट में उन्होंने ग्रेग चैपल को पहली पारी में स्पिन गेंदबाजी से आउट किया था जबकि दूसरी पारी में तेज गेंदबाजी से. 39 टेस्ट में 33.54 के औसत से 109 विकेट घावरी के नाम पर हैं, वनडे में भी उन्होंने 19 मैचों में 15 विकेट लिए थे.
साइमंड्स मध्यम तेज गेंदबाजी के साथ ऑफ स्पिन करने में भी माहिर थे.
एंड्रयू साइमंड्स : वर्ष 2008 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में भारत के हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स के विवाद ने इतना बड़ा रूप ले लिया था कि दोनों देशों के क्रिकेट रिश्तों पर खतरा मंडराने लगा था. साइमंड्स (Andrew Symonds) हरफनमौला की हैसियत से ऑस्ट्रेलिया के लिए 26 टेस्ट, 198 वनडे और 14 टी20 मैच खेले. बेहतरीन बैटर होने के साथ-साथ बॉलर के तौर पर भी वे उपयोगी थे. साइमंड्स मध्यम गति की गेंदबाजी के अलावा ऑफ स्पिन भी कर लेते थे. दोनों तरह की बॉलिंग से उन्होंने विकेट लिए. टेस्ट क्रिकेट में 24, वनडे में 133 और टी20I में 8 विकेट उन्होंने हासिल किए. IPL में भी खेल चुके साइमंड्स का मई 2022 में एक सड़क हादसे में निधन हो गया.
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कॉलिन मिलर :ऑस्ट्रेलिया के कॉलिन मिलर (Colin Miller) ने 1998 से 2001 के बीच ऑफ स्पिनर के तौर पर 18 टेस्ट खेले. मिलर ने क्रिकेट की शुरुआत तेज गेंदबाज के तौर पर की थी लेकिन एंकल इंजुरी के कारण उन्होंने बाद में स्पिन गेंदबाजी में हाथ आजमाया. 1996 में उन्होंने एक क्लब मैच में सबसे पहले स्पिन बॉलिंग की और बाद में इसी रोल में ऑस्ट्रेलिया की ओर से खेले.2000 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंगटन टेस्ट में दर्शक उस समय हैरान रह गए जब मिलर ने ओवर की पहली 5 गेंदें ऑफ स्पिनर के तौर पर फेंकीं और आखिरी गेंद तेज गेंदबाज के तौर पर. तेज गेंदबाज के तौर पर ओवर की आखिरी गेंद पर मैथ्यू सिंक्लेयर को आउट करने में भी सफल रहे थे. 18 टेस्ट में 26.14 के औसत से मिलर ने 69 विकेट हासिल किए.
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तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर (Manoj Prabhakar) और सोहेल तनवीर (Sohail Tanvir) भी इंटरनेशनल मैचों में स्पिन गेंदबाजी कर चुके हैं. वर्ल्डकप-1996 के अंतर्गत दिल्ली में हुए मैच में भारत के तेज गेंदबाज प्रभाकर के पहले दो ओवर में श्रीलंका के सनथ जयसूर्या और रोमेश कालुवितर्णा ने 33 रन बना डाले थे.ऐसे में उन्होंने अगले दो ओवर में ऑफ स्पिन बॉलिंग की थी. इसी तरह भारत के खिलाफ 2007 के कोलकाता टेस्ट में तेज गेंदबाजों को विकेट से ज्यादा मदद नहीं मिल रही थी, ऐसे में पाकिस्तान के सोहेल तनवीर ने लेग स्पिन बॉलिंग की थी. तनवीर अपने ‘रांग फुटेड एक्शन’ के कारण चर्चा में रह चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 20, 2024, 08:02 IST