बैटिंग स्टांस: धोनी जैसा पावरफुल शॉट या द्रविड़ का सॉलिड डिफेंस, इसमें स्टांस और बैलेंस का रोल, जानिए इसका साइंस


2 घंटे पहले

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धोनी जैसा पावरफुल शॉट हो या फिर द्रविड़ जैसा सॉलिड डिफेंस… एक बल्लेबाज के लिए ये दोनों चीजें करने के लिए एक चीज सबसे जरूरी होती है, वो है बैटर का स्टांस।

साइंस ऑफ क्रिकेट के आज के एपिसोड में बात बैटिंग स्टांस की।

बैटिंग स्टांस का साइंस?

भास्कर एक्सपर्ट डॉ. दीपक डोगरा बताते हैं कि बैटर की बैकलिफ्ट, खड़े होने के तरीके को बैटिंग स्टांस कहते हैं। किसी भी शॉट के सक्सेसफुल होने के पीछे इसी स्टांस का रोल है। और इसमें भी है साइंस। बैलेंस का साइंस। किसी भी बल्लेबाज के स्टांस में पैरों की पोजिशन, बैकलिफ्ट अलग-अलग हो सकती है, लेकिन एक चीज की पोजिशन कॉमन होती है… बल्लेबाज का सिर। ये एकदम स्थिर और सीधा रहता है।

इंसान का सिर शरीर का सबसे भारी हिस्सा होता है। बल्लेबाजी के वक्त इसका रोल अहम होता है। स्टांस के वक्त अगर बल्लेबाज का सिर सीधा ना रहकर किसी तरफ ज्यादा झुका रहेगा तो उसकी बाकी बॉडी भी उसी दिशा की तरफ झुकेगी।

जैसे किसी तराजू के एक पलड़े में ज्यादा वजन रख दिया जाए तो पलड़ा उस तरफ झुक जाता है। सिर किसी एक तरफ ज्यादा झुकने पर बल्लेबाज का शरीर भी उसी तरफ जाएगा तो उसका शॉट या तो मिस टाइम

हो जाएगा या फिर सही तरीके से नहीं खेला जा सकेगा। सिर स्टिल रहने पर बॉडी बैलेंस रहेगी और बल्लेबाज एक अच्छा शॉट खेल पाएगा।

फटाफट क्रिकेट ने बदला बैटिंग स्टांस

क्रिकेट में दो तरह के स्टांस चलन में हैं। पहला ऑर्थोडॉक्स और दूसरा अनऑर्थोडॉक्स। ऑर्थोडॉक्स स्टांस यानी बल्लेबाज सामने वाला पैर और कंधा सीधा बॉलर की दिशा में रहता है। अनऑर्थोडॉक्स स्टांस में बल्लेबाज का कंधा और पैर थोड़ा लेग साइड की तरफ रहता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, ऑर्थोडॉक्स स्टांस की बजाय अब अनऑर्थोडॉक्स स्टांस का चलन बढ़ गया है… वजह है फटाफट क्रिकेट का ज्यादा होना। आंकड़े बताते हैें कि 2015 से वनडे क्रिकेट में स्कोरिंग करीब 13% तक बढ़ गई है। 2019 से टी-20 मैचेस में 500% की बढ़ोतरी हुई है। टी-20 में बल्लेबाज हर गेंद को हिट करने की कोशिश करते हैं। इसलिए आजकल बल्लेबाज ट्रेडिशनल स्टांस की बजाय अनऑर्थोडॉक्स स्टांस को अपना रहे हैं।

ऑर्थोडॉक्स स्टांस में बल्लेबाज को कुछ शॉट्स खेलने में दिक्कत आती है, क्योंकि उसका कंधा और पैर सीधे बॉलर की दिशा में होते हैं। जैसे सुनील गावस्कर और सौरभ गांगुली को पुल और हुक करने में दिक्कत आती थी। अनऑर्थोडॉक्स स्टांस में कंधे और पैर का एंगल लेग साइड की ओर होता है और पैरों के बीच में थोड़ी जगह भी रहती है।

मौजूदा क्रिकेट में बल्लेबाज तेजी से रन बनाने पर फोकस करते हैं। अनऑर्थोडॉक्स स्टांस उनके हाथों को घूमने के लिए रेंज देता है। पावर हिटिंग के लिए जरूरी बैकलिफ्ट मिलती है। बल्लेबाज ग्रांउड में किसी भी दिशा में शॉट खेलने की पोजिशन में होता है।

साइंस ऑफ क्रिकेट के अगले एपिसोड में जानिए हेलिकॉप्टर शॉट को…

स्टांस का साइंस तो आपने जान लिया। अगले एपिसोड में बात धोनी के हेलीकॉप्टर शॉट की। कैसे धोनी ने लगाए पावरफुल सिक्स। क्या है उनके इस शॉट का साइंस। जानने के लिए जुड़े रहिए दैनिक भास्कर ऐप पर।


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