अगले कई साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट में छाए रहेंगे रोहित शर्मा के ‘बच्चे’


अगले कई साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट में छाए रहेंगे रोहित शर्मा के 'बच्चे'

अब बच्चों के भरोसे रोहित शर्मा! (PC-AFP)

रोहित शर्मा बहुत ‘इजी गोइंग’ इंसान हैं. ‘इजी गोइंग’ यानि किसी भी चीज के लिए बहुत ज्यादा परेशान नहीं होते. उन्हें अपनी ‘पर्सनैलिटी’ को सहज रखने की आदत है. इसे दूसरी तरह ऐसे भी कहा जा सकता है कि रोहित शर्मा ‘कॉम्पलिकेटेड’ नहीं हैं. पिछले दिनों एक इंटरव्यू में उन्होंने ये भी बताया था कि बतौर कप्तान उन्होंने अपनी टीम के खिलाड़ियों से स्टैट्स यानि आंकड़ों को लेकर बहुत परेशान ना रहने को कहा था. उन्होंने खिलाड़ियों के मन से हार का डर निकाला. खिलाड़ियों को समझाया कि सारी कामयाबी तब है जब टीम को जीत मिले. वरना 2019 वर्ल्ड कप में उन्होंने पांच शतक लगाए थे लेकिन जीत नहीं मिली तो कौन याद रखता है. राजकोट टेस्ट मैच में बड़ी जीत के बाद भी उन्होंने बिल्कुल देसी स्टाइल में सोशल मीडिया पोस्ट लिखी. इस पोस्ट में यशस्वी जायसवाल के अलावा सरफराज खान और ध्रुव जुरेल की फोटो है. रोहित शर्मा ने इस पोस्ट में सिर्फ इतना लिखा है- ये आजकल के बच्चे. ये पोस्ट सोशल मीडिया में काफी वायरल भी हुई.

वैसे मजे की बात ये है कि राजकोट टेस्ट में मैन ऑफ द मैच रवींद्र जडेजा रहे. लेकिन इन तीन युवाओं का प्रदर्शन जबरदस्त रहा. इसीलिए रोहित शर्मा ने इन तीन युवा खिलाड़ियों का जोश बढ़ाने का काम किया. यशस्वी जायसवाल तो फिर भी टेस्ट क्रिकेट में सात महीने का समय बीता चुके हैं. सरफराज खान और ध्रुव जुरैल ने तो राजकोट टेस्ट से ही अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत की है. अब आगे बढ़ने से पहले आपको इन तीनों खिलाड़ियों की उम्र बता देते हैं. यशस्वी जायसवाल अभी 22 साल के हैं. ध्रुव जुरैल 23 साल के हैं. जबकि सरफराज खान 26 साल के हैं. यानि रोहित ने इन तीनों के लिए सही ही लिखा है- ये आजकल के बच्चे. उम्र और अनुभव दोनों के लिहाज से ये खिलाड़ी बच्चे ही हैं.

बच्चों पर भरोसा करने की मजबूरी बन गई

इस सीरीज में भारतीय टीम मुश्किल में थी. बतौर कप्तान रोहित शर्मा के लिए सही प्लेेइंग 11 चुनना आसान नहीं था. विराट कोहली ‘अवेलेबल’ नहीं थे. पहले उन्होंने निजी वजह से 2 टेस्ट मैच से नाम वापस लिया था. फिर पूरी सीरीज से ले लिया. केएल राहुल को पहले टेस्ट मैच के बाद चोट लग गई थी. वो दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच में प्लेइंग-11 का हिस्सा नहीं थे. जडेजा भी चोट की वजह से दूसरा टेस्ट मैच नहीं खेल पाए थे. श्रेयस अय्यर चोट की वजह से टीम से बाहर हो गए. चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे अनुभवी बल्लेबाज़ों को इस सीरीज की टीम में चुना नहीं गया था. कुल मिलाकर हालात ऐसे थे कि रोहित शर्मा को अनुभवी बल्लेबाज़ों के बिना ही मैदान में उतरना था. मोहम्मद शमी को लगी चोट की वजह से गेंदबाजी में भी रोहित के पास काफी सीमित विकल्प हैं.

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तीसरे टेस्ट मैच में आर अश्विन को भी बीच में एक दिन टेस्ट मैच छोड़कर घर जाना पड़ा था. हालांकि बाद में वो लौट भी आए थे. बावजूद इसके अगर एक कप्तान के नजरिए से देखा जाए तो शायद ही कोई ऐसी स्थितियों में कप्तानी करना चाहेगा. आप ये भी कह सकते हैं कि रोहित शर्मा के सामने मजबूरी थी कि वो इन बच्चों पर ही भरोसा करें. जो उन्होंने किया भी. रोहित पहले भी ऐसा करते रहे हैं. 2023 वर्ल्ड कप के पहले श्रेयस अय्यर और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों पर उन्होंने आंख मूंदकर भरोसा किया था. इन दोनों खिलाड़ियों ने उस भरोसे को सही साबित किया.

लेकिन बड़ा काम करते हैं छोटे बच्चे

बच्चों पर भरोसा किया गया तो उन्होंने उसे सही साबित किया. 7 महीने और 7 टेस्ट मैच का अनुभव रखने वाले यशस्वी जायसवाल ने लगातार दूसरे मैच में दोहरा शतक लगाया. उनकी बल्लेबाजी की तारीफ इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर्स भी कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आक्रामक शॉट्स खेलने से पहले उन्होंने अपनी पारी की शुरूआत बिल्कुल परंपरागत तरीके से की. इंग्लिश बल्लेबाज ये कहकर फंस गए कि यशस्वी जायसवाल ने इंग्लिश बल्लेबाज़ों की तरह खेल दिखाया. उन्हीं के देश के पूर्व खिलाड़ियों ने बेन डकेट को सलाह दी कि वो और उनकी टीम यशस्वी जायसवाल के खेलने के तरीके को देखे. सरफराज खान की भी बात कर लेते हैं. सरफराज खान काफी समय से टीम इंडिया का दरवाजा खटखटा रहे थे. राजकोट में उन्हें टेस्ट कैप मिली. अपनी पहली ही इंटरनेशनल पारी में उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया. उनके पास इंग्लैंड के सभी गेंदबाजों का सही जवाब था. वो तेज गेंदबाजों के खिलाफ सहज दिखे और स्पिनर्स के खिलाफ भी. पहली पारी में उन्होंने 48 गेंद पर अर्धशतक लगा दिया था. जडेजा की गलती से वो रन आउट हो गए वरना पहली ही पारी में उनका शतक आता दिख रहा था.

पहली पारी में रन आउट होने के बाद खिलाड़ी कई बार हतोत्साहित हो जाते हैं लेकिन सरफराज के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ. जब दूसरी पारी में वो बल्लेबाजी करने आए तो उनके तेवर बिल्कुल पहले जैसे ही थे. दूसरी पारी में उन्होंने नॉट आउट 68 रन बनाए. उनकी बल्लेबाजी को देखकर फिर यही लगा कि अगर कप्तान ने पारी डिक्लेयर नहीं की होती तो वो शतक की तरफ बहुत ही आत्मविश्वास के साथ बढ़ रहे थे. कुछ ऐसा ही प्रदर्शन ध्रुव जुरैल का भी रहा. मैच के दूसरे दिन नाइट वॉचमैन कुलदीप यादव के आउट होने के बाद वो क्रीज पर आए. अश्विन और उनके बीच अच्छी साझेदारी देखने को मिली. भारतीय टीम साढ़े चार सौ रनों के करीब पहुंची. जिसमें 46 रन ध्रुव जुरैल के थे. विकेट के पीछे भी जुरैल अच्छे मुस्तैद दिखाई दिए. भूलिएगा नहीं कि इससे पहले दोनों टेस्ट मैच में केएस भरत ने निराश किया था. भारतीय टीम को टेस्ट फॉर्मेट में एक अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश है. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज से जुरैल ने पहले ही मैच में अपना दावा ठोंक दिया है.


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