रविवारी मार्केट में ठेला लगाता था, दाने-दाने को था मोहताज… पाकिस्तानी पेसर हारिस रऊफ का छलका दर्द


नई दिल्ली: कहते हैं जहां जिद होती है वहीं जीत होती है। वहीं सफलता होती है। स्टार वही बनता है, जिसने जिंदगी में संघर्ष किया होता है। कुछ ऐसी ही स्टोरी है पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारिस रऊफ की। रऊफ ने अपनी जिंदगी के उस फेज के बारे में बात की, जब उन्हें गुजारा करने के लिए काफी हद तक संघर्ष करना पड़ा था। 29 वर्षीय तेज गेंदबाज ने कहा कि जब तक उन्होंने टेप-बॉल क्रिकेट खेलना शुरू नहीं किया, तब तक उन्हें पढ़ाई की फीस के लिए रविवारी मार्केट में स्नैक्स बेचने पड़ते थे।

रविवारी मार्केट में बेचना पड़ता था निमको

रऊफ ने कहा कि उन्हें अपनी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए बाजार में स्नैक्स बेचना पड़ता था। उन्होंने कहा- मेरे पिता मेरी फीस भरने के लिए सघम नहीं थे। मुझे अपनी फीस के लिए खुद संघर्ष करना पड़ता था। मैं रविवार को लगने वाली मार्केट में स्नैक्स (निमको) बेचने का काम करता था। सप्ताह के बाकी दिनों में मैं स्कूल और अकादमी में जाता था।

क्रिकेट में आने के बाद बदली जिंदगी

ईएसपीएनक्रिकइन्फो की डॉक्यूमेंट्री में रऊफ ने कहा- जब मैंने यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया तो मेरे पिता की कमाई इतनी नहीं थी कि वह मेरी फीस भर सकें और मैं भी इसका खर्च वहन नहीं कर सकता था। टेप-बॉल क्रिकेट खेलकर मैं आसानी से अपनी फीस का इंतजाम कर लेता था। हार्ड-बॉल क्रिकेट खेलने से पहले रउफ टेप-बॉल क्रिकेट खेलते थे और इसने उन्हें मैदान पर अपने करियर में बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार किया।

रसोई में सोना और मुश्किल से गुजारा

तेज गेंदबाज ने बताया कि उसके परिवार को इस हद तक संघर्ष करना पड़ा कि उसे रसोई में भी सोना पड़ा। उन्होंने कहा- पाकिस्तान में पेशेवर रूप से टेप-बॉल खेलने वाले लड़के आसानी से प्रति माह लगभग 2-2.5 लाख कमा लेते हैं। मैं वह कमाता था और अपनी मां को दे देता था, लेकिन मैंने अपने पिता को इतनी कमाई के बारे में कभी नहीं बताया।

रऊफ ने कहा- मेरे पिता के तीन भाई हैं और सभी एक साथ रहते थे। मेरे पिता के पास एक बड़ा कमरा था और जब मेरे चाचाओं की शादी हुई, तो मेरे पिता ने अपना कमरा अपने भाइयों को दे दिया। आखिरकार, हम उस स्थिति में पहुंच गए जहां हम रसोई में सो रहे थे। रऊफ अब 50 ओवर के विश्व कप में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं। पहले ही टी20 विश्व कप के दो सत्र खेल चुके रऊफ पाकिस्तान की सबसे बड़ी उम्मीदों में शामिल हैं। अब तक 28 एकदिवसीय मैचों में रऊफ ने 5.68 की इकॉनमी रेट से 53 विकेट लिए हैं, जिसमें 4 चार विकेट और एक बार 5 विकेट शामिल हैं।
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