हिंदी सिनेमा में सूरज बड़जात्या की छवि बहुत ही शांत निर्देशक की रही हैं। उनकी इस खासियत की सभी लोग खूब तारीफ भी करते हैं। राजश्री प्रोडक्शन्स की पारिवारिक फिल्मों की जो परम्परा रही है, उसी परंपरा एक निर्वाह करते हुए सूरज बड़जात्या ने एक से बढ़कर एक पारिवारिक फिल्मों का निर्देशन किया है। 22 फरवरी 1964 को जन्मे सूरज बड़जात्या आज जीवन के 60वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। उनकी फिल्मों के कलाकार उन पर अपना प्यार निछावर करते ही रह हैं, ऐसे ही कुछ कलाकारों से जानते हैं, सूरज की इस अमिट आभा के बारे में..
सिनेमा की ‘ऊंचाई’ को सलाम
हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्म ‘सौदागर’ के बाद राजश्री प्रोडक्शन्स की फिल्म ‘ऊंचाई’ में 49 साल बाद काम किया। अमिताभ कहते हैं, ‘मैंने अपने शुरूआती दिनों में राजश्री प्रोडक्शन्स के साथ काम किया था। जया और और अभिषेक भी काम कर चुके हैं। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि सूरज जी ने मुझे इतने महान अभिनेताओं के साथ ‘ऊंचाई’ जैसी फिल्म में काम करने का मौका दिया। भिषेक चाहते थे कि यह फिल्म मैं करूं और उनकी बात मान ली हमने।’
पांचवें असिस्टेंट को दिया काम
अभिनेता अनुपम खेर ने राजश्री प्रोडक्शन्स की फिल्म ‘सारांश’ से ही अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। अनुपम खेर कहते हैं, ‘जब मैं फिल्म ‘सारांश’ कर रहा था उस समय सूरज बड़जात्या फिल्म में पांचवे असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे थे। प्रोड्यूसर का बेटा होने के नाते सूरज बड़जात्या को कोई सेट पर काम नहीं बोलता था। मैने सोचा सूरज बड़जात्या को मैं ही कुछ काम दे दूं। मैंने उनको स्क्रिप्ट लाने की जिम्मेदारी दी। वह बहुत खुश हुए।’
उनका शांत स्वभाव बहुत ही प्रेरक
फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ से लेकर ‘प्रेम रतन धन पायो’ तक सलमान खान ने सूरज बड़जात्या के निर्देशन में कई फिल्में की हैं। सलमान खान कहते हैं, ‘सूरज बड़जात्या गौतम बुद्ध की तरह शांत रहते हैं। उनकी सबसे बड़ी चीज जो कोई भी सीख सकता है वह यह है कि आप किसी भी स्थिति में खुद को काबू में रख सकते हैं। सूरज के साथ सेट का माहौल भी पॉजिटिव बना रहता है। सूरज के शांत स्वभाव की वजह से सेट पर सभी कलाकारों का मूड अच्छा रहता है।’
सपरिवार देखने वाली फिल्में बनाईं
सूरज बड़जात्या के निर्देशन में बनी फिल्म ‘ऊंचाई’ में नीना गुप्ता एक खास किरदार में नजर आई और इस किरदार में उनकी खूब तारीफ हुई। नीना कहती हैं, ‘मैं कहूंगी कि ये केवल ईश्वर की कृपा है, जो आगे भी बनी रहे। मैं यह फिल्म पाकर बहुत खुश हूं, मुझे बहुत अच्छे-अच्छे मैसेज और कॉल आ रहे हैं, सच कहूं तो ये एक ऐतिहासिक पल है क्योंकि इतने दिनों के बाद एक फिल्म लोगों को काफी पसंद आ रही है, जो लोग थियेटर में जाना भूल गए थे, वे अब परिवार के साथ फिल्म देखने थियेटर में जा रहे हैं।’