अहमदाबादएक घंटा पहले
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चाचा क्रिकेट ने 1999 के दौरान इंग्लैंड में वर्ल्ड कप देखने के लिए अपना घर तक बेच दिया था।
भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट फैन दुनिया के हर कोने में मिल जाते हैं, लेकिन ‘चाचा क्रिकेट’ से यूनिक फैन आपने कम ही देखा होगा। 70 साल की उम्र पूरी कर चुके चौधरी अब्दुल जलील पाकिस्तान क्रिकेट टीम को सपोर्ट करने दुनिया के हर कोने में पहुंचते हैं।
उन्होंने अलग-अलग देशों की तीन पीढ़ियों को खेलते हुए देखा है। चाचा क्रिकेट का दावा है कि उन्होंने स्टेडियम में 500 से अधिक इंटरनेशनल मैच देखे हैं।
बहरहाल, अब जबकि इस बार भारत वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है, तो चाचा क्रिकेट सुर्खियों में हैं। इस मौके पर हमारे गुजराती एडिशन दिव्य भास्कर की टीम ने उनसे खास बातचीत की। तो चलिए, चाचा क्रिकेट की जिंदगी और उनके इस खेल के लिए जुनून से जुड़े सवालों के जवाब यहां उन्हीं से जानते हैं…
हालातों के कारण पढ़ाई छोड़ी
‘चाचा क्रिकेट’ के नाम से मशहूर चौधरी अब्दुल जलील कहते हैं- मेरा जन्म 8 अक्टूबर 1949 को सियालकोट में हुआ। मैट्रिक तक पढ़ाई की, लेकिन इसके बाद हालात की वजह से पढ़ाई छोड़ दी। परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।
भारत आने पर असमंजस
क्रिकेट वर्ल्ड कप देखने के लिए भारत आने के सवाल पर यह बुजुर्ग क्रिकेट फैन कहता है- 10 दिन पहले मैं अमेरिका में था। यहां अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप का एक प्रोग्राम था। मुझे भी बुलाया गया था। इस कार्यक्रम के बाद मुझे उम्मीद थी कि इस बार भारत में होने वाले विश्व कप के लिए मुझे भी वहां जाने का मौका मिलेगा। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और BCCI से गुजारिश की। हालांकि, अभी तक भारत का वीजा नहीं मिला। शायद एक-दो दिन में अच्छी खबर मिले।
… तो भारतीय टीम का सपोर्ट करूंगा
जलील 2005 में पहली बार मैच देखने भारत आए थे। वो कहते हैं- मैं भारत समेत कई देशों में जा चुका हूं। इस बार अब तक वीजा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। अगर मुझे भारत आने और मैच देखने का मौका मिला तो मैं इसकी शुरुआत अहमदाबाद में भारत-पाकिस्तान मैच से करूंगा। वीजा नहीं मिला तो घर में टीवी पर मैच देखूंगा। पाकिस्तान टीम इस बार बाहर हो गई, तो भारतीय टीम का समर्थन करूंगा।
चाचा क्रिकेट ने सचिन तेंदुलकर से भी मुलाकात की है।
क्रिकेट का किस्मत कनेक्शन
चाचा क्रिकेट बचपन की यादें ताजा करते हुए कहते हैं- शुरू से ही क्रिकेट का बहुत शौक था। मैट्रिक में तीन बार फेल भी हो गया। सियालकोट में स्पोर्ट्स एसेसरीज बनाने वाली कंपनी में भी काम किया है। हमारे पास कुछ पुरानी प्रॉपर्टीज थीं। इनके किराए से परिवार का खर्च चलता था। पांच साल एक क्रिकेट क्लब में भी रहा। यहां पाकिस्तान के कई इंटरनेशनल स्टार्स के साथ खेलने का मौका मिला। 1968 में मैंने पाकिस्तान की पहली सीमेंट पिच तैयार करवाई थी। तब लोग दूर-दूर से इसे देखने आए थे।
19 साल बाद पहली बार लाहौर के स्टेडियम में मैच देखा
चौधरी अब्दुल जलील आगे कहते हैं- मैंने पहली बार 19 साल की उम्र में 1969 में लाहौर स्टेडियम में एक अंतरराष्ट्रीय मैच देखा था। 1973 में पाकिस्तान छोड़कर अमेरिका या डेनमार्क में बसने का प्लान बनाया। इसी प्लान के तहत ग्रीस पहुंचा, लेकिन हालात ऐसे बने कि ग्रीस छोड़कर दुबई जाना पड़ा। 1986 में शारजाह स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हुआ था। इस मैच में चेतन शर्मा की गेंद पर जावेद मियांदाद ने सिक्सर लगाया और हमारी टीम ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
गेंद उस तरफ गिरी, जहां मैं बैठा था। इस दौरान मेरे नारे और मजाक करने का अंदाज अक्सर टीवी पर दिखाया जाता था, जिससे हर तरफ मेरी ही चर्चा होती थी। इस दौरान भी मैं बहुत पॉपुलर हुआ। इसके बाद तो हर मैच देखने स्टेडियम जाने लगा। 1996 तक मेरा चेहरा हर पाकिस्तानी फैन को याद हो चुका था। तब मैं आबूधाबी में जॉब करता था।
1998 में उस वक्त के PCB चीफ जुल्फिकार बुखारी ने मुझे पाकिस्तान बुलाया और टीम का ऑफिशियल चीयरलीडर बनने को कहा। वसीम अकरम और मोईन खान मुझे साथ रखने तैयार हो गए।
चाचा क्रिकेट साल 1998 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के ऑफिशियल चीयरलीडर बने।
सियासत का शिकार बन गया
दुनिया मुझे चाचा क्रिकेट के नाम से जानती थी, लेकिन मैं पाकिस्तान की सियासत का शिकार हो गया। 1998 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के साथ घर लौटा तो वकार अहमद नए PCB चीफ बन गए थे। उन्होंने मुझे इंग्लैंड में 1999 विश्व कप के लिए टीम के साथ जाने की परमिशन नहीं दी। मैं दुनियाभर के स्टेडियम में ली गईं अपनी तस्वीरें लेकर इंग्लैंड एम्बेसी जा पहुंचा। यहां एक अफसर ने वीजा को मंजूरी दे दी।
वीजा तो मिल गया था, लेकिन इंग्लैंड जाने के पैसे नहीं थे। मैंने 15 लाख पाकिस्तानी रुपए में सियालकोट का अपना घर बेच दिया। आज इसकी वैल्यू 7 करोड़ रुपए है। 1997 में हमारे देश की आजादी के 50 साल पूरे हुए। तब से मैं पाकिस्तानी झंडे के रंग के कपड़े पहन रहा हूं।
जब लोग मुझे नहीं जानते थे तो खर्च खुद उठाता था। फेमस होने लगा तो बोर्ड, दोस्त और कुछ अन्य लोग खर्च उठाने लगे। अब कुछ कंपनियों से स्पॉन्सरशिप मिलती है। इससे इनकम भी होती रहती है। मैंने कई देशों में कुल 500 मैच देखे हैं। इंग्लैंड 14 बार, श्रीलंका और भारत 5-5 बार गया हूं।
कोहली और धोनी के बारे में राय
चाचा क्रिकेट कहते हैं- बाबर आजम अच्छा खेल रहे हैं, लेकिन टी-20 वर्ल्ड कप में विराट कोहली ने जिस तरह आखिरी तीन ओवर में 48 रन बनाए, उससे भारत को जीत मिली थी। विराट कोहली बेहद दमदार हैं। भारतीय टीम वाकई मजबूत है। भारत का नाम चमकाने के लिए धोनी ने बहुत मेहनत की। रोहित शर्मा, विराट कोहली, गिल और राहुल को आउट करना बेहद मुश्किल काम है।
आज भारत में सुधीर गौतम और राम बाबू जैसे लोग अपनी टीम के हर मैच में मौजूद रहते हैं। सुधीर और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं। कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ बच्चन ने एक बार सवाल भी पूछा था कि “चाचा क्रिकेट” किस देश के व्यक्ति हैं। तब प्रतियोगी ने तुरंत जवाब दिया कि पाकिस्तान। इसके बाद कई लोग मुझे फोन करके मेरा पूरा नाम पूछ रहे थे।
चाचा क्रिकेट को भारत आने का वीजा नहीं मिला। इसीलिए वह भारत में वनडे वर्ल्ड कप देखने के लिए नहीं आ सके।
मैं और मेरे नारे
“वक्त की ये मजबूरी है, ये बहुत ज़रूरी है, मारो-मारो चौके-छक्के मारो”
जब पाकिस्तान की गेंदबाजी होती है तो कहता हूं… “आउट करो भाई, आउट करो। बॉलिंग पर तुम गौर करो, जल्दी-जल्दी आउट करो…”
जब भारत का मैच होता है तो स्टेडियम में इंडिया…इंडिया का नारा लगता है। यह मुझे बहुत पसंद है।’