तेल निकलने के बाद बचने वाला वेस्ट आता है चिकन के काम : डॉ. दुपारे बताते हैं.
सोयाबीन का ज्यादातर इस्तेमाल तेल निकालने के लिए होता है. उससे बचा वेस्ट खली कहलाती है. शुरुआत में खली का 90% हिस्सा विदेशों में भेजा जाता था. तो इस हिसाब से सोयाबीन की फसल की कीमत विदेशों के मार्केट रेट पर ही निर्भर करती थी.
चिकन और फिशरी के उत्पादन से इंडिया में खली की खपत बढ़ी है. हमारा देश भी यही चाहता था कि इसका इस्तेमाल देश में ही बढ़े, जिससे हमारी निर्भरता विदेशी मार्केट के बजाय भारत में ही शिफ्ट हो जाए. इससे इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव कम होगा और किसानों को फायदा मिलता है.
सोयाबीन की खली प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, इसलिए इसकी खली का इस्तेमाल करने से चिकन का वजन तेजी से बढ़ता है.पूरे देश में सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना में उगाया जाता है.