उमरीगर से लेकर गावस्कर-तेंदुलकर तक, मुंबई के वो 5 नगीने जिन्होंने किया वर्ल्ड क्रिकेट पर राज


मायानगरी मुंबई को भारतीय क्रिकेट की नर्सरी कहा जाता है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई हमेशा से क्रिकेट ट्रेनिंग का मशहर सेंटर रही है। जब से भारतीय क्रिकेट टीम ने इंटरनेशनल लेवन पर खेलना शुरू किया, तब से मुंबई के कई खिलाड़ियों ने देश का प्रतिनिधित्व किया है। युवाओं के क्रिकेट खेलने के लिए शहर में कई खुले मैदान हैं। इसमें कई क्रिकेट अकादमियां और जिमखाने भी हैं जो युवा क्रिकेटर्स को अपने टैलेंट को दुनिया के सामने लाने में मदद करते हैं। मुंबई भीड़-भाड़ वाली इमारतों के बीच अपनी तंग गलियों के लिए मशहूर है। इन्हीं तंग गलियों ने भारतीय क्रिकेट को कुछ बेहतरीन स्ट्रेट ड्राइवर्स दिए हैं। आइए एक नजर डालते हैं मुंबई के उन पांच खिलाड़ियों पर जिन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर देश के लिए भी दम दिखाया।

विजय मर्चेंट

विजय मर्चेंट

अपने शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर के बूते विजय मर्चेंट ने वर्ल्ड क्रिकेट में अद्भुत पहचान बनाई। प्रथम श्रेणी मैच में उनका 71.64 का औसत क्रिकेट इतिहास में दूसरा सर्वश्रेष्ठ है, उनसे आगे सिर्फ सर डॉन ब्रैडमैन हैं। बॉम्बे क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए मर्चेंट ने कुल 150 प्रथम श्रेणी मैच में 13,470 रन बनाए और 45 शतक लगाए। उनकी बल्लेबाजी तकनीक, दृढ़ संकल्प के अंग्रेज भी मुरीद थे। अंग्रेजी क्रिकेटर सीबी फ्राई ने उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि, ‘चलो उसे गोरा बनाते हैं और अपने साथ ऑस्ट्रेलिया ले जाते हैं।’ भारत के लिए अपने 10 मैच में मर्चेंट ने 47.72 की औसत से 859 रन बनाए। उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए, वानखेड़े स्टेडियम ने उनके नाम पर एक स्टैंड समर्पित किया है। उनके नाम से घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट भी होता है।

पॉली उमरीगर

पॉली उमरीगर

मुंबई के प्रसिद्ध क्रिकेटर पॉली उमरीगर एक मध्य-क्रम के बल्लेबाज थे जो कभी-कभी मध्यम गति से गेंदबाजी भी करते थे। उन्होंने आठ टेस्ट मैच में भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उमरीगर ने बॉम्बे के लिए 243 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 52.28 की शानदार औसत से 16,155 रन बनाए। उनके करियर में 49 शतक और 80 अर्धशतक शामिल हैं। विभिन्न अनौपचारिक टूर्नामेंटों में उनके शानदार प्रदर्शन ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई। अपने समय के एक सफल बल्लेबाज के रूप में उमरीगर ने टेस्ट मैचों में 12 शतक लगाए। हैदराबाद में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में किसी भारतीय द्वारा पहला शतक पॉली उमरीगर के बल्ले से आया था। अपने करियर में उन्होंने 1948 से 1962 के बीच 59 टेस्ट में 42.22 की शानदार औसत से भारत के लिए 3631 रन बनाए।

अजित वाडेकर​

अजित वाडेकर​

1960 और 1970 के दशक में भारत के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक के रूप में उभरे वाडेकर टॉप ऑर्डर के खिलाड़ी थे। वाडेकर ने साल 1958 में प्रथम श्रेणी में डेब्यू किया। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने 237 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 47 की शानदार औसत से 15,380 रन बनाए। उनकी उपलब्धियों में 46 प्रथम श्रेणी शतक शामिल हैं। बतौर भारतीय कप्तान वाडेकर ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में श्रृंखला जितवाई। भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार (1967) और पद्म श्री (1972) से सम्मानित किया, जो भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। उनकी कप्तानी में सुनील गावस्कर, फारूख इंजीनियर और बिशन सिंह बेदी जैसे मशहूर खिलाड़ी पनपे। वाडेकर ने 37 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, 2000 से अधिक रन बनाए।

सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर

348 प्रथम श्रेणी मैचों में बॉम्बे का प्रतिनिधित्व करने वाले गावस्कर को लिटिम मास्टर के नाम से भी पहचाना जाता है। प्रभावशाली बल्लेबाजी कौशल के मशहूर गावस्कर ने 51.46 की औसत से कुल 25,834 रन बनाए हैं। गावस्कर ने अपने करियर में 81 शतक जड़े। 1966 में, उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ स्कूली क्रिकेटर नामित किया गया था। बॉम्बे के लिए उनके लगातार प्रदर्शन ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाई। गावस्कर अपनी मजबूत बल्लेबाजी तकनीक और किसी भी गेंदबाज की चुनौतियों का मुकाबला करने की क्षमता के लिए मशहूर थे। उनके नाम 34 टेस्ट शतक का भी रिकॉर्ड है, जो कई साल तक रहा जब तक कि सचिन तेंदुलकर ने इसे नहीं तोड़ा। क्रिकेट कमेंटरी करने वाले गावस्कर भारत के सर्वकालिक महान बल्लेबाज हैं।

सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंदुलकर

क्रिकेट के भगवान के नाम से मशहूर इस बल्लेबाज के नाम खेल के इतिहास में सबसे ज्यादा रन दर्ज है। वह 200 टेस्ट मैच खेलने वाले और 100 शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। मुंबई में जन्मे और पले-बढ़े, तेंदुलकर खेल के अब तक के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक हैं। उन्होंने मुंबई के लिए 310 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 81 शतकों के साथ 25,396 रन बनाए। तेंदुलकर ने 15 साल 232 दिन की उम्र में बॉम्बे के लिए पदार्पण किया, डेब्यू पर शतक बनाया। तेंदुलकर ने दो दशकों से ज्यादा समय तक भारतीय उम्मीदों के बोझ को अपने कंधों पर संभाले रखा।


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