Bilaspur Kanan Pendari Zoo News: बैटरी कार को दिया ज्वाला व लावा नाम, ताकि ताजा रहे कानन की पहली बाघिन की यादें – The battery car was named Jwala and Lava so that the memories of Kanans first tigress remain fresh


कानन पेंडारी के अस्तित्व में आने के बाद वन विभाग ने कांकेर के जंगल से खूंखार बाघिन ज्वाला को उसके शावक लावा के साथ यहां लाया था। उस समय जू में उन्हें रखने के लिए ढंग के पिंजरे भी नहीं थे।

Publish Date: Wed, 11 Oct 2023 07:14 AM (IST)

Updated Date: Wed, 11 Oct 2023 07:14 AM (IST)

Bilaspur Kanan Pendari Zoo News:  बैटरी कार को दिया ज्वाला व लावा नाम, ताकि ताजा रहे कानन की पहली बाघिन की यादें

HighLights

  1. जू प्रबंधन की इस पहल का पर्यटक भी करते हैं प्रशंसा
  2. तीसरे पायदान पर पहुंच चुका है कानन
  3. बैटरी कार से सैर करना भाता है पर्यटकों

Bilaspur Kanan Pendari Zoo News: कानन पेंडारी जू की पहली बाघिन ज्वाला व लावा थीं। अब वे दोनों दुनिया में नहीं हैं। लेकिन जू में उनकी यादें आज भी ताजा है। इसके लिए जू प्रबंधन ने कुछ साल पहले प्रयास किया। पर्यटकों के भ्रमण के लिए जो बैटरी कार खरीदी गई है उसमें दोनों बाघिन का नाम दे दिया गया है। पर्यटकों को भी जू प्रबंधन की यह पहल अच्छी लगी।

कानन पेंडारी के अस्तित्व में आने के बाद वन विभाग ने कांकेर के जंगल से खूंखार बाघिन ज्वाला को उसके शावक लावा के साथ यहां लाया था। उस समय जू में उन्हें रखने के लिए ढंग के पिंजरे भी नहीं थे। कमरे को केज का स्वरूप दिया गया। जू में बाघिन आने की खबर से शहर में हलचल मच गई। उन्हें देखने के लिए प्रतिदिन पर्यटकों की भीड़ पहुंचती थी।

सालों तक पर्यटकों के बीच आकर्षक का केंद्र रही ज्वाला-लावा समय के साथ उम्रदराज होती गईं और आखिरकार 2008-09 में बीमारी के कारण एक के बाद एक दोनों की मौत हो गई। जब लावा की मौत हुई, तब यह निर्णय लिया गया कि वह जू की पहली बाघिन थी। इसलिए उसकी यादें हमेशा जू में ताजा रहनी चाहिए।

इस दिशा में वैसे तो कई योजनाएं थीं। लेकिन, सभी अमल में नहीं आ सकी। हालांकि कई विभागीय अड़चनों की वजह से ऐसा हुआ था। लेकिन, जू प्रबंधन की कोशिश सफल रही। 11 सीटर व आठ सीटर दो बैटरी कार को ज्वाला व लावा नाम देने का निर्णय लिया गया है। इस पर किसी को कोई आपत्ति भी नहीं थी। इसलिए दूसरे ही दिन बैटरी कार में नाम लिखा गया। इतना ही नहीं बुकिंग के दौरान भी इन्हीं नामों का उपयोग किया जाता है।

तस्वीर भी लगाई गई है

ज्वाला व लावा की यादें ताजा रखने के लिए जू प्रबंधन ने एक और प्रयास किया है। दोनों बाघिन की तस्वीर जू कार्यालय में लगाई गई है। जब कोई पर्यटक निवेदन करता है, तब उन्हें तस्वीर भी दिखाई जाती है। इसके पीछे कहीं न कहीं जू प्रबंधन का उद्देश्य वन्य प्राणियों के संरक्षण का संदेश पहुंचाना भी है।

तीसरे पायदान पर पहुंच चुका है कानन

कानन को मीडियम जू का दर्जा मिल चुका है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) के मापदंड के अनुसार यह चिड़ियाघर का यह श्रेणी तीसरे पायदान में आता है। सीजेडए ने चिड़ियाघर को चार श्रेणी में बांटा है। इसमें सबसे पहले मिनी जू फिर स्माल जू और तीसरे नंबर मीडियम जू आता है। चौथे नंबर पर लार्ज जू आता है। जैसे-जैसे चिड़ियाघर प्राधिकरण के मापदंडों को पूरा करते जाते हैं, उनका कद बढ़ता जाता है। कानन पेंडारी जू भी इनमें शामिल है। वर्ष 2005 में सबसे पहले मिनी जू का दर्जा मिला। प्राधिकरण से मान्यता मिलना बड़ी बात थी। इस उपलब्धि के बाद जू प्रबंधन का हौसला बढ़ता गया और वर्ष 2009 में स्माल जू बन गया।

बैटरी कार से सैर करना भाता है पर्यटकों

कानन पेंडारी जू में पर्यटकों की सैर के लिए, जो ट्रैक बनाया गया है, वह लगभग साढ़े तीन किमी है। काफी बड़ा दायरा होने के कारण अधिकांश पर्यटक बैटरी कार से सैर करना पसंद करते हैं। यही वजह है कि जू प्रबंधन ने पर्यटकों को भ्रमण कराने के लिए बैटरी की सुविधा उपलब्ध कराया है। इसके एवज में बैटरी कार का शुल्क भी लिया जाता है। शुल्क कम होने के कारण पर्यटक खासकर बुजुर्ग व बच्चे बैटरी कार की बुकिंग कराने के बाद जू का लुत्फ उठाते हैं।


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