नई दिल्ली: ईटी कॉरपोरेट अवॉर्ड शो में इस बार एक अनोखी बात देखने को मिलेगी। इस बार इसमें अनन्या बिड़ला होस्ट की भूमिका में होंगी। भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवारों में से एक में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने सीमेंट से लेकर टेलिकॉम की सीमाओं से परे एक अलग पटकथा लिखी है। संगीत उनका जुनून था और इसके लिए उन्हें अपने अमीर माता-पिता का पूरा साथ मिला। आधुनिक काल में मानव इतिहास की कई परंपराओं और जड़ताओं को तोड़ा है। हालांकि, सबसे धनी परिवारों में इसकी पकड़ सबसे मजबूत बनी हुई है। इसी वजह यह है कि जन्म के समय निर्धारित भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाना पारिवारिक व्यवसायों को तेजी से बढ़ाने के लिए आवश्यक माना जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है। अनन्या इसकी मिसाल हैं। उनके भाई आर्यमान ने भी इन बेड़ियों तो तोड़ा है। वह रणजी ट्रॉफी में मध्य प्रदेश के लिए खेले हैं।लेकिन करियर में अपने जुनून को लेकर आगे बढ़ने की सलाह पर हर कोई नहीं चल सकता। बॉलीवुड की चर्चित फिल्म 3 इडियट्स में राजू रस्तोगी के चरित्र की तरह जिसके पंख ‘बहन की शादी, माँ की साड़ी और पिताजी की दवाई’ के बोझ तले दबे हुए हैं। ऐसे माता-पिता हैं जो बच्चों को वही काम करने के लिए कहते हैं जो वे करते हैं। उन्हें लगता है कि जीवन ऐसे ही चलता है। लेकिन अमीर और संपन्न लोग अपने बच्चों को स्वतंत्र रूप से उड़ने दे सकते हैं। यहां कोई अस्तित्व की अनिवार्यता नहीं है। इसलिए, ऐसे मामलों में बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध पूर्व-निर्धारित नौकरी और शादी के लिए मजबूर करना बहुत अन्यायपूर्ण है। कभी-कभी, यह बिल्कुल मानवाधिकारों के हनन जैसा लगता है। कई मामलों में, यह परिवार को मदद करने के बजाय उसे नुकसान पहुंचाता है।
बेहतर विकल्प
अगर माता-पिता और बच्चे एक ही जुनून साझा करते हैं तो यह अलग बात है। अगर किसी टाइकून की बेटी बचपन से ही टाइकून बनने का सपना देखती है। लेकिन दबाव वाले मामलों में, माता-पिता द्वारा निर्धारित मार्ग का मतलब उनके बच्चे के जीवन मुश्किल कर देता है। कभी-कभी बड़ी अपेक्षाओं को पूरा करने में विफलता दुखदायी, यहाँ तक कि दर्दनाक भी होती है। यह आक्रोश को बढ़ावा देता है। यह पारिवारिक संबंधों में ऐसी खटास आ जाती है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती।
एक स्वतंत्र विकल्प असीम रूप से बेहतर है। इसकी वजह यह है कि किसी के बच्चों के अपने लिए जो विचार होते हैं, वे उनके लिए बेहतर होते हैं। राहुल बजाज के पोते ने खुद को हवाई कलाबाजी के क्राफ्ट के लिए समर्पित कर दिया है। इसी तरह विधु विनोद चोपड़ा का बेटा एक क्रिकेटर है, ब्रूस स्प्रिंगस्टीन का एक फायर फाइटर है। बिल गेट्स की बेटी एक जानी-मानी घुड़सवार है। आमतौर पर, पेशेवर वर्गों ने अपने बच्चों को पारिवारिक कारोबार से अलग मुकाम चुनने की मुहिम में पहल की है। उन्होंने अपने बच्चे को हिंदुस्तानी गायन से लेकर फुटबॉल का ककहरा सीखने में मदद करने के लिए मदद की है। इसका मकसद यह देखना है कि वे किसमें अच्छा कर रहे हैं और उन्हें क्या पसंद है।
नहीं लगानी चाहिए पाबंदी
संभव है कि आप एक वकील हों, और आपकी बेटी ग्राफिक डिजाइनिंग में हो। या आप एक सर्जन हैं, और आपका बेटा पश्चिमी घाट के जंगलों की खाक छान रहा हो। आज बड़े होने के सभी नुकसानों के बीच, यह एक अद्भुत फायदा है कि आपके पास चुनने के लिए कई सम्मानजनक पेशे हैं। इंटिमेसी कोऑर्डिनेटर से लेकर प्रोफेशनल कडलर, पॉटर से लेकर सोमये तक। जो अपने बच्चों को ये सभी विकल्प देने का जोखिम उठा सकता है, उसे जरूर देना चाहिए। खलील जिब्रान के शब्दों में कहें तो आपके बच्चे आपके बच्चे नहीं हैं…वे आपके नहीं हैं। किसी भी पेड़ को उसके बीजों के और दूर-दूर तक गिरने से खुश होना चाहिए। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों पर कोई पाबंदी नहीं लगानी चाहिए और उन्हें खुले आसमान में स्वछंद उड़ने की आजादी देनी चाहिए।