सचिन के एक छूटे कैच ने कैसे तबाह कर दिया पाकिस्तान 3 महान खिलाड़ियों का करियर


नई दिल्ली: भारत के लिए टेस्ट में कोई सैकड़ों विकेट ले, लेकिन जो कद इरफान पठान का है, शायद ही किसी गेंदबाज का होगा। इसी तरह कोई रनों का अंबार लगा दे, लेकिन जो कद सचिन तेंदुलकर या वीरेंद्र सहवाग का है, वह शायद ही किसी बल्लेबाज का होगा। अब आप सोच रहे होंगे कि भारत में तो एक से बढ़कर एक बल्लेबाज और गेंदबाज रहे हैं, लेकिन बात सिर्फ इन 2-3 की क्यों हो रही है। दरअसल, दोनों में एक बात कॉमन है। वह यह कि भारत के लिए टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ हैट्रिक लेने का कारनामा इरफान पठान ने किया तो मुल्तान में वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट में ट्रिपल सेंचुरी बनाई। क्रिकेट में भगवान का दर्जा प्राप्त कर चुके सचिन ने विश्व कप में एक से बढ़कर एक पारी खेली और कभी तिरंगे का मान कम नहीं होने दिया।

खैर, ‘भारत का मिशन 8-0’ सीरीज के तहत अब जब भारत और पाकिस्तान की टीमें विश्व कप 2023 के तहत अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में महामुकाबला खेलने के लिए उतरने वाली हैं तो बात करते हैं 2003 की, जिसके बिना दोनों देशों का क्रिकेट अधूरा है। शायद ही कोई ऐसा क्रिकेट फैन हो, जिसे सचिन का आइकोनिक छक्का याद नहीं हो। शोएब अख्तर की तूफानी गेंद पर थर्डमैन पर लगाया गया सिक्स आज भी क्रिकेट की दुनिया में सबसे बेहतरीन छक्के में शामिल किया जाता है। उन्होंने 98 रनों की पारी खेली थी। यह भारतीय क्रिकेट फैंस से ज्यादा पाकिस्तानियों को याद होंगी। लेकिन क्या आपको याद है कि इस मैच में सचिन तेंदुलकर का एक कैच छूटा था, जिसने एक-दो नहीं, बल्कि 3 महान खिलाड़ियों के करियर के लिए तबाही लेकर आया।

अगर रज्जाक ने मिड-ऑफ पर तेंदुलकर का कैच ले लिया होता तो मैच बहुत कड़ा हो सकता था। मुझे याद है कि वसीम अकरम उनके इतनी दूर खड़े होने पर नाराज थे। वह सचमुच उचित मिड-ऑफ के बजाय गेंदबाज के बगल में खड़ा था।
मोहम्मद कैफ, सचिन के साथ मैदान पर बल्लेबाजी कर रहे थे

दरअसल, सेंचुरियन का ऐतिहासिक मैदान था। 2003 को एक मार्च का दिन था। भारत में उस वक्त ठंड का मौसम होता है, लेकिन उस साल अजीब गर्मी थी। यह तपन सूरज की नहीं, बल्कि साउथ अफ्रीका से भारत-पाकिस्तान मैच से आ रही थी। तापमान हाई था। स्टेडियम खचाखच भरा हुआ। कहते हैं कि अगर चांद पर भी टीम इंडिया खेलेगी तो वहां भी स्टेडियम नीले आसमान में ढका मिलेगा। यह तो फिर भी धरती का मामला था। भारत के सामने पाकिस्तान था। उसने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का फैसला किया। फिर… रहने दीजिए…. यह कहानी थोड़ी बोरिंग हो रही है। सीधे पॉइंट पर आते हैं।

भारतीय टीम को 274 रनों का लक्ष्य मिला। यह उस वक्त बड़ा और सुरक्षित टारगेट माना जाता था। वह भी पाकिस्तान के पास स्विंग के सुल्तान वसीम अकरम और वकार यूनुस थे तो शोएब अख्तर नाम का तूफान भी आग उगलने को आतुर था। भारतीय टीम के लिए सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की जोड़ी ने पारी का आगाज किया। पहले ओवर में सचिन-सहवाग ने वसीम अकरम को एक-एक चौका जड़ा तो दूसरे ओवर में मास्टर ने शोएब अख्तर नाम के तूफानी को 6, 4 और 4 यानी 3 बाउंड्री ठोकते हुए शांत कर दिया। मैच आगे बढ़ा तो छठे ओवर में वकार ने पहले सहवाग (21) और फिर अगली गेंद पर कप्तान सौरव गांगुली (0) को पवेलियन भेज दिया। लगा जैसे भारतीय टीम की कमर ही टूट गई, लेकिन फैंस का विश्वास कायम था, क्योंकि सचिन डटे थे।

तुझे (रज्जाक को) पता है तुमने किसका कैच छोड़ा है?
वसीम अकरम, सचिन को गेंदबाजी कर रहे थे

यहां पाकिस्तान के पास भारत पर प्रेशर बनाने का पूरा मौका था। 7वें ओवर में एक मौका भी बना, जब वसीम की गेंद पर सचिन हवा में शॉट खेल बैठे। यहां मिड ऑफ पर तैनात अब्दुल रज्जाक ने वो गलती कर दी, जिसने न केवल उन्हें पाकिस्तान में विलेन बना दिया, बल्कि 3 महान क्रिकेटरों का करियर भी खत्म कर दिया। जी हां, रज्जाक के हाथ से लगकर गेंद छिटक गई और उसके बाद सचिन ने पाकिस्तानी गेंदबाजों का भरता बना दिया। सचिन उस समय सिर्फ 32 रन पर थे और इसके बाद 75 गेंदों में 12 चौके और एक छक्का की मदद से 98 रनों की पारी खेली और पाकिस्तान को हार के लिए मजबूर कर दिया।

अब आप सोच रहे होंगे कि वो कौन से 3 खिलाड़ी थे, जिनका करियर खत्म हुआ तो बता दें पहला नाम सईद अनवर का था, जिन्होंने इस मैच में 101 रनों की पारी खेली थी, जबकि दूसरी नाम वसीम अकरम का था, जिन्हें स्विंग का सुल्तान कहा जाता है और आखिरी नाम उनके जोड़ीदार वकार यूनुस का था। विश्व कप में पाकिस्तान का आखिरी मैच 4 मार्च को जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला गया था और इसी के साथ ही इन तीनों की नेशनल ड्यूटी भी खत्म हो गई थी। यह अतिशयोक्ति नहीं है कि इन्हें फिर कभी नेशनल टीम में नहीं चुना गया। दूसरी ओर, भारतीय टीम इस विश्व कप की रनरअप बनी। उसे ऑस्ट्रेलिया से हार मिली और सचिन का सपना 2011 में वानखेड़े में पूरा हुआ, जब भारत ने श्रीलंका को हराकर विश्व कप जीता।
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