सोशल मीडिया की दुनिया में ‘बिना पेट वाली’ फूड ब्लॉगर (Gutless Food Blogger) के रूप में मशहूर नताशा डिड्डी का हाल ही में निधन हुआ है।मौत की सूचना फूड ब्लॉगर (Natasha diddee) के पति ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर दी है, जिसके बाद सोशल मीडिया की दुनिया में जहां शोक की लहर है, वहीं नताशा डिड्डी की फिजिकल कंडीशन को लेकर भी काफी चर्चाएं हो रही हैं।
गौरतलब है कि नताशा डिड्डी एक प्रोफेशनल शेफ थी और अपना फूड ब्लॉग चैनल भी चलाती थी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 12 साल पहले ट्यूमर के चलते सर्जरी के जरिए नताशा का पूरा पेट निकाल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने बिना पेट 12 साल की जिंदगी काटी। इस दौरान उन्हें इंस्टाग्राम पर ‘द गटलेस फूडी’ (The Gutless Foodie) के नाम से काफी शोहरत मिली। बता दें कि बीते रविवार 24 मार्च को नताशा ने 50 साल की उम्र में आखिरी सांस ली हैं।
असल में पेट की सर्जरी के बाद नताशा डंपिंग सिंड्रोम (Dumping syndrome) से जूझ रही थी। कुछ समय पहले दिए एक इंटरव्यू में नताशा ने इस बात का खुलासा किया था कि डंपिंग सिंड्रोम के चलते उन्हें उल्टी, मतली और पेट से जुड़ी समस्याएं महसूस हो रही थी। हालांकि नताशा की मौत की असल वजह की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है, पर माना जा रहा है कि डंपिंग सिंड्रोम के कारण ही नताशा डिड्डी की मौत हुई है।
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ऐसे में डंपिंग सिंड्रोम के बारे में भी लेकर भी काफी चर्चाएं हो रही हैं कि यह किस तरह की समस्या है? साथ ही इस बात को लेकर भी लोगों के मन मे जिज्ञासाएं है कि आखिर नताशा ने बिना पेट इतने दिनों तक कैसे सर्वाइव किया है। इस आर्टिकल में हम एक्सपर्ट से मिली जानकारी के आधार इन सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, इस बारे में हमने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ. सतीश कुमार से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
क्या है डंपिंग सिंड्रोम?
डॉ. सतीश कुमार बताते हैं कि डंपिंग सिंड्रोम, डाइजेशन से जुड़ी एक समस्या है, इसमें खाया हुआ खाना पेट से जल्द ही छोटी आंत में पहुंच जाता है। साथ ही खाना बिना पचे मल (Stools) के रूप में जल्द ही बाहर भी निकल जाता है। ऐसे में इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति का पेट भोजन के तुरंत बाद ही खाली भी हो जाता है, इसलिए डंपिंग सिंड्रोम को रैपिड गैस्ट्रिक एम्टिंग (Rapid gastric emptying) भी कहा जाता है।
डॉ. सतीश कुमार आगे बताते हैं कि डंपिंग सिंड्रोम की समस्या आमतौर पर पेट की सर्जरी करवाने वाले लोगों के साथ होती है। वहीं हाई-शुगर और हाई-फैट वाले फूड के सेवन के कारण भी डंपिंग सिंड्रोम का खतरा बढ़ता है।
डंपिंग सिंड्रोम के लक्षण
खाना ठीक से नहीं पचने के कारण डंपिंग सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को पेट से जुड़ी समस्याओं का काफी सामना करना पड़ता है। बात करें इस सिंड्रोम के लक्षणों की तो दस्त, उल्टी, थकान, बीपी कम होना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, पेट में बहुत गैस बनना और हृदय गति का बढ़ना आदि इसके मुख्य लक्षण हैं।
डंपिंग सिंड्रोम का उपचार
डॉ. सतीश कुमार कहते हैं कि डंपिंग सिंड्रोम आम तौर पर घातक नहीं होता है, बल्कि यह एक तरह की फिजिकल कंडीशन है जिसमें व्यक्ति को खास-देखभाल की जरूरत पड़ती है। ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को छोटे मील लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही अधिक शुगर और फैट वाले भोजन से दूरी और प्रोटीन से भरपूर हेल्दी डाइट लेनी होती है। स्थिति गंभीर होने पर डंपिंग सिंड्रोम के लिए मेडिकेशन भी उपलब्ध है, जिनमें ग्लूकोज और प्रोटान अवरोधक दवाएं दी जाती हैं।
बात करें नताशा डिड्डी की तो पेट की सर्जरी के बाद उन्हें डंपिंग सिंड्रोम की समस्या पेश आई थी। बीते 12 सालों से नताशा इस सिंड्रोम से जुझ रही थी। इंटरव्यू और सोशल मीडिया पर शेयर किए गए पोस्ट के जरिए उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया था कि उन्हें इस सिंड्रोम के चलते किस तरह की समस्याएं पेश आ रही थी। नताशा के अनुसार उन्हें बिना दिन भर में सिर्फ कुछ छोटे आहार लेने की ही अनुमति थी, जिनमें चावल के सेवन पर प्रतिबंध था।
देखा जाए तो इन सारे प्रतिबंध के साथ जीवन के 12 साल निकालना भी अपने आप बड़ी बात है। ऐसे में फूड ब्लॉगर नताशा डिड्डी अपने फॉलोअर्स के साथ ही पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन चुकी है और उनकी फिजिकल कंडीशन सेहत जगत में जागरूकता की वजह।
उम्मीद करते हैं इस आर्टिकल में दी गई सेहत से जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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