अफगानिस्तान पर प्यार छलकाता हिंदुस्तान, पाकिस्तान के साथ ही क्यों होता है हिन्दू-मुसलमान?


राशिद, राशिद… नवीन, नवीन.. जीतेगा भाई जीतेगा अफगानिस्तान जीतेगा… ये वे नारे हैं, जो दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में हजारों लोग लगभग 8 घंटे तक लगातार लगा रहे थे। हैरानी इस बात की है कि जो लोग ये नारे लगा रहे थे वे सभी अफगानिस्तान से नहीं आए थे। वे यहीं दिल्ली के लोग थे। भारत के लोग थे। हां, कुछ मुट्ठी भर लोग जरूर अफगानिस्तानी थे। मैच के बाद करिश्माई खान नाम से मशहूर राशिद खान ने भी दिल खोलकर दिल्ली वालों की तारीफ की। स्टेडियम में मौजूद लोग सिर्फ दिल्ली की नुमाइंदगी नहीं कर रहे थे। वे पाकिस्तान के उस प्रोपेगेंडा के चीथड़े उड़ा रहे थे, जिसमें उसने भारत-पाकिस्तान मैच को हिन्दू-मुसलमान का रूप देने की कोशिश की थी। दिल्ली स्टेडियम में जो जो कुछ हुआ उससे पाकिस्तान में आग लगी होगी।

अरुण जेटली स्टेडियम में मौजूद लोग जिस टीम को चीयर कर रहे थे उसमें कोई भी हिन्दू नहीं था और न ही कोई ऐसा खिलाड़ी, जिसने भारत के खिलाफ कोई विवादित बयान दिया हो। भारत से मिले प्यार को लेकर अफगानिस्तान क्रिकेट टीम हमेशा से प्रफुल्लित रही है। हो भी क्यों नहीं, जब अफगानिस्तान सीमा पर पाकिस्तान तोपें तैनात कर रहा था और आए दिन गोले बरसा रहा था तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने न केवल उसकी टीम को नोएडा स्टेडियम में खेलने के लिए स्टेडियम दिया, रहने के लिए घर दिया, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग इंडियन प्रीमियर लीग में बाहें फैलाकर स्वागत किया। उसने अफगानिस्तान क्रिकेट टीम को बनाया। इसी वजह से अफगानों को इंटरनेशनल लेवल पर भारत की जूनियर टीम भी कहा जाता है।

भारत वाले मैच में नवीन उल हक की हूटिंग जरूर हुई थी, लेकिन विराट कोहली के एक इशारे ने हजारों की भीड़ का रुख पलट दिया था। जब नवीन इंग्लैंड के खिलाफ खेलने उतरे तो उनका उत्साहवर्धन हो रहा था। लोग चीयर कर रहे थे। यह इस बात का सबूत है कि आप भारत के खिलाफ बोलकर तब तक बच सकते हैं, जब तक भारतीय चाहें। विराट कोहली और नवीन उल हक के बीच आईपीएल में टकराव हीट ऑफ द मोमेंट था। वह मैदान की बात थी और मैदान में ही खत्म हो गई। लेकिन जो पाकिस्तान करता है वह हीट ऑफ द मोमेंट नहीं होता है। सोची समझी पूरी साजिश होती है।

मोहम्मद रिजवान का टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में भारत पर जीत के दौरान नमाज अता करना और उसे कौम की जीत बताना सिर्फ हिंदुओं को ही नागवार नहीं गुजरा था, उसने भारत के करोड़ों मुसलमानों दुख पहुंचाया था। रिजवान का बयान ऐसा था जैसे मुसलमान सिर्फ पाकिस्तान में रहते हैं या फिर मुसलमान सिर्फ पाकिस्तान को सपोर्ट करते हैं। इसलिए भी दुख अधिक हुआ, क्योंकि जिस वकार यूनुस को भारत से हमेशा प्यार मिला वो इसे धर्म का चोला पहना रहे थे। बांटने की कोशिश कर रहे थे। भारत में रह रहे हिन्दू-मुसलमान के बीच आग लगाने की कोशिश कर रहे थे। टीवी पर एक्सपर्ट के रूप में बैठे वकार यूनुस की राय सिर्फ उनकी नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के टीवी चैनल से लेकर राजनेता तक ने एक सुर में इसी तरह के बयान दिए।

यह इकलौता मौका नहीं था जब पाकिस्तान का कोई क्रिकेटर इस तरह के बयान में शामिल रहा हो। जब पाकिस्तान टीम विश्व कप के लिए भारत आ रही थी तो उसके पूर्व क्रिकेटर मुश्ताक अहमद ने कहा था कि भारत के मुसलमान पाकिस्तान को सपोर्ट करते हैं। मुश्ताक वो इंसान हैं, जिन्हें सचिन तेंदुलकर तक महान स्पिनरों की लिस्ट में शामिल कर चुके हैं। उनके अलावा राणा नावेद ने भी यही बयान दिया। शाहिद अफरीदी, शोएब अख्तर जैसे खिलाड़ी भी दे चुके हैं। इन बयानों ने भारतीय क्रिकेट फैंस को उकसाने का काम किया। यह ठीक वैसा था जैसे पाकिस्तानी आर्मी सीमा पर समय-समय पर सीजफायर का उल्लंघन करके करती है।

पाकिस्तान टीम के कप्तान बाबर आजम, इमाम उल हक ने हैदराबाद पहुंचने के दिन ही चाय की तस्वीर एक्स डॉट कॉम पर शेयर की। भारत की शान विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का मजाक बनाया। श्रीलंका के खिलाफ मिली जीत को मोहम्मद रिजवान ने कौम की जीत बताई और उसे इजरायल में घुसकर आतंकी हमले को अंजाम देने वाले संगठन हमास को समर्पित किया। सोशल मीडिया के इस दौर में इन सभी बातों ने आग भी घी का काम किया। रिजल्ट ये रहा कि जब पाकिस्तान टीम अहमदाबाद पहुंची तब तक लोगों में इस बात का गुस्सा था। पाकिस्तान में टीवी पर लगातार चल रहा था कि मोदी स्टेडियम में भारत को हराना है और रिजवान को नमाज अता करना है। भारत के खिलाफ आतंकी घटनाओं में शामिल होने के बावजूद पाकिस्तान क्रिकेट टीम का शानदार स्वागत किया गया, लेकिन शायद यह व्यवहार बाबर सेना को अधिक पसंद नहीं आया था। दरअसल, पाकिस्तान की ओर से एक एजेंडे के तहत लगातार उकसाने का काम किया जा रहा था और फिर जो कुछ अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुआ उससे हैरानी नहीं हुई। यह क्रिया की प्रतिक्रिया थी।

खैर, अब आते हैं असल मुद्दे पर। मोदी स्टेडियम में हुई हूटिंग और जय श्री राम के नारे को पाकिस्तान ने ‘हिन्दू vs मुसलमान’ का रूप देने की कोशिश की, लेकिन क्या वाकई ऐसा है…? अगर अफगानिस्तान vs इंग्लैंड मैच को देखेंगे तो पाएंगे कि यह सिर्फ पाकिस्तान का नापाक एजेंडा है। अगर भारत में या भारतीय हिंदुओं को मुसलमान से कोई दिक्कत होती, नफरत तो अफगानिस्तान को चीयर नहीं किया जाता। उनके साथ गलत व्यवहार होता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। संभवत: कभी ऐसा हो भी नहीं। क्यों? क्योंकि भारतीय हिंदुओं को न तो इस्लाम से दिक्कत है और न ही मुसलमान से, लेकिन बात जब पाकिस्तान की आती है तो मामला देश का होता है। भारत को नफरत उसके नापाक इरादों से है। उसकी हरकतों से है। उसके भारत विरोधी अभियानों से है। बयानों से है। शाहिद अफरीदी, मोहम्मद रिजवान, बाबर आजम, वकार यूनुस, मुश्ताक अहमद, शोएब अख्तर…. लिस्ट लंबी है और सुधरने की कोई संभावना नहीं दिखती..।

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