कोआपरेटिव बैंक के सामने नाले पर सजी छोला भटुरा की दुकान।संवाद
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अमर उजाला पड़ताल
शहर के सिविल लाइंस सहित अन्य प्रमुख मार्गों का हाल, नाले के ऊपर या बगल में ही खड़े होकर खाना पड़ता है
संवाद न्यूज एजेंसी
देवरिया। प्रमुख सड़कों पर लगने वाली स्ट्रीट फूड की दुकानों पर जा रहे हैं तो सावधान होने की जरूरत है। आपको यहां स्वाद तो मिल रहा है, लेकिन यहां बिकने वाले व्यंजन आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं। सस्ते व स्वाद के चक्कर में बड़ी संख्या में शौकीन प्रमुख सड़कों व किनारों पर लगने वाले ठेले, खोमचों के पास जाकर स्ट्रीट फूड खा रहे हैं। कई दुकानें तो बड़े नालों के ऊपर और कई इसके बगल में ही चल रही हैं। ऐसे में पूरे दिन खुले में रखे व्यंजन पर मिक्खयां पूरे दिन भिनभिनाती रहती हैं। स्वाभाविक है कि यह खाना लोगों को बीमार ही बनाएगा। ऐसे में स्ट्रीट फूड के शौकीनों को यह जान लेना जरूरी है कि यहां सफाई है या नहीं।
शुक्रवार को दोपहर 12:25 बजे रुद्रपुर मोड़ के पास स्थित चिकन व अंडाकरी की दुकान पर ग्राहक जुटे दिखे। पांच से सात की संख्या में लोग चिकन तो कोई अंडा, घाठी, बड़े चाव से खा रहे थे। उनके खाने का अंदाज बता रहा था कि बड़े मजे लेकर वह इसका स्वाद ले रहे हैं। जबकि बड़ा नाला ठेले से बिल्कुल सटा हुआ था। यहां से बदबू भी उठ रही थी। ठेले वाले अपना कूड़ा भी इसी में गिरा रहे थे। 12:40 बजे रोडवेज के बगल में पीडब्ल्यूडी कार्यालय के सामने नाले के ऊपर ही लखनऊ का मशहूर वेज कबाब पराठा, वेज रोल व बिरयानी बिक रही थी। दो युवक बड़े तवे पर इसे बनाने में तो दो से तीन ग्राहक इसे पाने का इंतजार करते दिखे। नाले पर मिक्खयां व मच्छर भिनभिनाते दिखे। लेकिन न तो बनाने वाले और न ही खाने वाले इसे लेकर चिंतित दिखे।
दोपहर 12:55 बजे कोऑपरेटिव चौराहे के पास बड़े नाले के ऊपर ही छोला-भटूरा का ठेला दिखा। कुछ भटूरा पहले से तला हुआ तो कुछ ग्राहक कड़ाही में से गर्म निकलते भटूरा अपनी थाली में लेने के इंतजार में थे। अन्य ग्राहक के आते ही दुकानदार ताजा भटूरा लगाकर नई थाली तैयार करने में मशगूल दिखा।
इसी जगह पर दूसरी लेन पर चिकन, मटन व अंडा करी की दुकानें बड़े नाले के ऊपर लाइन से लगी हैं। युवा फल व्यवसायी राकेश मद्धेशिया यहां आए और चिकन करी व चावल का ऑर्डर देकर आराम से बैठ गए। अन्य दुकानों पर भी खाने वालाें की संख्या आठ से 10 थी। कुछ तो खड़े भी दिखे। हालांकि किसी को यह फिक्र नहीं थी कि यह व्यंजन उसकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकता है।
दोपहर 1:30 बजे मालवीय रोड पर कसया ओवरब्रिज के नीचे छोला भटूरा की दुकान पर 10 से अधिक ग्राहक भटूरा निकलने का इंतजार करते दिखे। खुले में रखा भटूरा व चावल तथा सड़क के दोनों तरफ नालियां स्थित थीं। दोपहर 1:45 बजे सदर रेलवे स्टेशन का मुख्य गेट। यहां क्रम से लिट्टी-चोखा, घाठी, अंडा करी, रंग व मसाले में लपेटा हुआ चिकन ठेले पर खुले में ही बिकता हुआ पाया गया। दोपहर का वक्त होने से खाने के शौकीन इन दुकानों पर पांच से छह की संख्या में बैठे हुए थे। दुकानदार से अपनी पसंद वाला पीस खिलाने की बात करते हुए दिखे।
ढकने का नहीं करते इंतजाम, खुले में रखा जाता है सामान
शहर में जहां भी ठेले पर खाने पीने का सामान दिखा, उसमें ज्यादातर दुकानों ने इसे खुले में ही रखा हुआ था। इस मौसम में दोपहर में धूल भरी तेज हवाएं चल रही हैं। धूल सीधे उड़कर इन व्यंजनों पर पहुंच रही है। इसके साथ ही सिविल लाइंस रोड पर दोनों तरफ बड़ा नाला एवं अन्य मार्गों के किनारे नाली बह रही है। कुछ जगहों पर यह ढकी है तो कुछ जगहों पर खुला रखा गया है। ऐसे में सड़कों से धूल और नालियों से कीटाणु उड़कर खाने-पीने की चीजों पर पहुंच जा रहे हैं। बावजूद इसके आने वाले ग्राहकों को इसे परोस दिया जा रहा है।
बढ़ रहे पेट दर्द के मरीज, फास्ट फूड पहुंचा रहा बड़ा नुकसान
गुठनी के रहने वाले शुभम शुक्ला शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में पेट दर्द की परेशानी लेकर पहुंचे थे। डॉक्टरों ने जांच कराई तो आंत में सूजन होने की बात पता चली। बार-बार इसके चलते उनकी सेहत भी खराब रहने लगी है। फिजिशियन डॉ. विजय गुप्ता ने बताया कि युवा आईबीडी यानी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज से पीड़ित है।
फिजिशियन के अनुसार, आंतों में सूजन की यह बीमारी लगातार मैदा खाने व बार-बार एक ही तेल के प्रयोग से बनने वाले फास्ट फूड के चलते होती है। युवा, किशोर व बच्चे अधिक नमक वाले इन खाद्य पदार्थों का प्रयोग जमकर कर रहे हैं। इससे उनका पाचन तंत्र गड़बड़ हो जा रहा है। इससे उनकी शारीरिक क्षमता भी प्रभावित हो रही है। बच्चों में मोटापा सामान्य उम्र में ही देखने को मिल रहा है। मेडिकल कॉलेज में हर रोज 30 से 35 मरीज ऐसे आ रहे हैं। इसमें किशोर व बच्चों की संख्या अधिक है। इन्हें पेट में दर्द, शौच पूरा न होना, भूख न लगना जैसी शिकायत है। जब उनके पिछले कुछ माह के खाने के बारे में पूछा जाता है तो पता चलता है कि बच्चे व किशोर स्कूल की छुट्टियों के बाद दोपहर में बर्गर, चाउमिन, मो-मो खाए होते हैं। पिज्जा तो अब घर-घर ऑर्डर पर पहुंच जा रहा है। इसकी मांग करने वाले किशोर व बच्चे ही अधिक हैं। नाश्ते में ही वह मैदा मिश्रित सामान का प्रयोग कर रहे हैं। यह चटपटा आहार उनकी आंतों को नुकसान पहुंचा रहा है। आंतों में मैदा का लेयर जमने से कुछ दिनों बाद आंतों में सूजन की शिकायत होने लगती है। इससे पेट में ऐंठन व दर्द की शिकायत हो रही है।
कोट
आईबीडी का मुख्य कारण फास्ट फूड का अधिक प्रयोग होना है। कम उम्र में ही बच्चों में इससे मोटापा देखने को मिल रहा है। अभिभावक अपने बच्चों को बिना सोचे समझे कार्बोंहाइड्रट और फैटयुक्त खाद्य पदार्थ खिला रहे हैं जो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। नाले-नालियों के पास लगने वाले ठेले पर तैयार होने वाले तले हुए व्यंजन हाइजिनिक नहीं होते। इन्हें एक ही तेल में बार-बार तला जाता है। ऐसा खाना पेट में आसानी से हजम नहीं कर पाता। ऐसे में बच्चे व किशोर तथा युवा की पेट से संबंधित बीमारियों की चपेट में अधिक आ रहे हैं।
-डॉ.एचके मिश्र, सीएमएस