नई दिल्ली: एक दशक पहले की तुलना में भारतीयों के खाने-पीने की आदतों में बड़ा बदलाव आया है। इनमें सबसे अहम ये है कि घर पर खाना बनाकर खाने में कमी आई है। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी तुलना में लोग बाहर के पके-पकाए खाने पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। सरकारी आंकड़े और रिसर्च रिपोर्ट इसकी पुष्टि कर रहे हैं। इसके मुताबिक, फूड डिलिवरी ऐप के विस्तार, बढ़ती आय और खाने-पीने में बदलते रुझान और टेस्ट के चलते इस प्रवृति में और भी इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है।
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स्टेटिस्टिक एंड प्रोग्राम इंपलिमेंटेशन मिनिस्ट्री (MoSPI) और ICICI सिक्योरिटीज के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पिरामिड के टॉप पर शहरी एलिट क्लास है। इस कैटिगरी के परिवारों ने FY23 में एक दशक पहले 41.2% की तुलना में अपने फूड बजट का आधा पैकेज्ड फूड, रेस्टोरेंट और फूड डिलीवरी पर खर्च किया। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट पारस जसराय का कहना है कि फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स ऐप के विस्तार की वजह से भी पैकैज्ड फूड खाने का चलन बढ़ा है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे परिवार की आय बढ़ती है, लोगों के खाने-पीने के ट्रैंड में भी इसके हिसाब से बदलाव आ जाता है।
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ऐसे बदलता गया ट्रेंड
इस अवधि के दौरान एलिट क्लास के प्रोसेस्ड फूड पर होने वाले खर्च में 2.2 गुना बढ़ोतरी हुई। मिडल-इनकम परिवारों में यह 3.3 गुना बढ़ गया। इस दौरान प्रोसेस्ड फूड और पेय पदार्थों पर मिडल-इनकम वाले परिवारों द्वारा अपने खाने-पीने के बजट के हिस्से के रूप में खर्च 16% से बढ़कर लगभग 25% हो गया। वर्किंग कपल की संख्या बढ़ने की वजह से इस ट्रेंड में ज्यादा इजाफा हुआ है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, अर्बन आबादी के टॉप 5% के लिए, स्टेपल्स पर खर्च में कमी आई है, जो बताता है कि एलिट परिवारों के लिए रसोई धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
इस खर्च में और होगी बढ़ोतरी
FY23 में अर्बन एलिट क्लास ने हर व्यक्ति पर 971 रुपये प्रति माह पर फूड डिलिवरी पर खर्च किया। मीडियम इनकम वाले परिवार में प्रति व्यक्ति 60 रुपये खर्च हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, FY24 में इस खर्च में 18% की वृद्धि होने का अनुमान है।