देहरादून: आजकल हर किसी को जल्दी है। किसी को घर का सामान दस मिनट में चाहिए तो किसी को खाना…
Action against online food delivery boy in Dehradun
लोगों की इस चाह को ऑनलाइन फूड कंपनियां खूब भुना रही हैं। कम से कम वक्त में खाना डिलीवर करने का दावा करने वाली ये कंपनियां अपने मुनाफे के लिए गरीब डिलीवरी बॉय की जान तक दांव पर लगा देती हैं। बीते दिनों हमने ऐसे कई हादसों के बारे में पढ़ा, जिनमें डिलीवरी बॉय टारगेट पूरा करने के चक्कर में सड़क हादसे का शिकार हो गए। उत्तराखंड में परिवहन विभाग ने ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाया है। आरटीओ ने ऑनलाइन फूड सप्लाई कंपनियों को चेतावनी दी है कि अगर डिलीवरी बॉय ने तेज बाइक भगाई तो उन पर कार्रवाई होगी। आरटीओ प्रवर्तन ने फूड कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें अल्टीमेटम दिया है। अब कंपनी के डिलीवरी बॉय को दो दिन की ट्रेनिंग देकर यातायात संबंधी जानकारी दी जाएगी। इसके बाद भी अगर डिलीवरी बॉय ने ट्रैफिक रूल तोड़ा तो कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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आरटीओ शैलेश तिवारी ने बीते दिन जोमैटो, स्विगी व अन्य ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। जिसमें उन्होंने कहा कि डिलीवरी बॉय को सड़क सुरक्षा से संबंधित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। उसके पास वाहन के सभी वैध दस्तावेज होने चाहिए। हेलमेट के पीछे रिफ्लेक्टर लगा होना चाहिए। डिलीवरी बॉय ने रात में रिफ्लेक्टर जैकेट या शर्ट पहनी हो, जिससे की रात में अन्य वाहन चालक उनको आसानी से देख सकें। सबसे जरूरी बात जो कंपनियों से कही गई है वो ये है कि डिलीवरी बॉय को फूड डिलीवरी जल्दी करने और तेज गति से गाड़ी चलाने के लिए मजबूर न किया जाए। बता दें कि 6 अक्टूबर को प्रेमनगर के पास जोमैटो कंपनी के फूड डिलीवरी बॉय (बाइक) की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। देहरादून में करीब 2000 लोग बाइक से रेस्टोरेंट और होटल से लोगों के घरों तक फूड पहुंचाने का काम कर रहे हैं। कई बार इन पर लिमिटेड समय में सामान पहुंचाने का दबाव बनाया जाता है। जिस कारण ये रैश ड्राइविंग करते हैं और हादसे को न्योता देते हैं।